#DelhiViolence की बदनामी के बाद अलगथलग पड़ता भारत ......

दिल्ली में हिंसा पर मोदी के ख़िलाफ़ बोले कई विदेशी नेता

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दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं लगातार आ रही हैं. तुर्की, पाकिस्तान, अमरीका समेत कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से प्रतिक्रिया आई है और भारत सरकार की निंदा की गई है.
शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने एक बार फिर से दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में हुई यहूदियों के क़त्लेआम से जोड़ा है.
इमरान ख़ान ने कहा, "मुसलमानों के जला दिए गए घरों और दुकानों की तस्वीरें सामने आ रही हैं. मुसलमानों को मारा-पीटा जाना, मस्जिदों और क़ब्रगाहों को नापाक कर देना वैसा ही जैसा नाज़ी जर्मनी में यहूदियों की सामूहिक हत्या के रूप में हुआ था. मोदी की फासीवादी नस्लवादी सरकार की बर्बर सच्चाई को दुनिया समझना चाहिए और इसे रोकना चाहिए."
उन्होंने आगे कहा, "मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते मुसलमानों के साथ बर्बर बर्ताव किया और अब हम नई दिल्ली में वही होते हुए फिर से देख रहे हैं."
दिल्ली हिंसा पर मुखर रूप से प्रतिक्रिया देने वालों में केवल इमरान ख़ान नहीं हैं.
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Image captionतुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप अर्दोआन

तुर्की के राष्ट्रपति का बयान

पिछले दिनों दुनिया भर के नेताओं ने अपनी नाराज़गी अलग-अलग तरह से जताई है.
पाकिस्तान के क़रीबी सहयोगी तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप अर्दोआन ने गुरुवार को कहा था, "भारत अब एक ऐसा देश बन गया है जहां व्यापक स्तर पर नरसंहार हो रहा है. कैसा नरसंहार? मुसलमानों का नरसंहार. कौन कर रह है? हिंदू."
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ रेचप तैय्यप अर्दोआन ने ये बात अंकारा में एक भाषण के दौरान कही.
तुर्की के राष्ट्रपति के बयान पर भारत की तरफ़ से प्रतिक्रिया देते हुए जिनेवा में भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी विमर्श आर्यन ने कहा, "मैं केवल तुर्की को भारत के अंदरूनी मामलों पर टिप्पणी करने से बचने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बेहतर समझ बनाने की सलाह दे सकता हूं."
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Image captionबर्नी सैंडर्स अमरीका में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे हैं

दिल्ली हिंसा की आलोचना

अमरीकी सीनेटर और इस साल होने वाले अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी के रेस में सबसे आगे चल रहे बर्नी सैंडर्स ने भी दिल्ली हिंसा की आलोचना की है.
उन्होंने कहा, "20 करोड़ से ज़्यादा मुसलमान भारत को अपना घर मानते हैं. मुस्लिम विरोधी भीड़ ने कम से कम 27 लोगों की जान ले ली और कई लोग घायल हुए. ट्रंप ने ये कहते हुए प्रतिक्रिया दी, 'ये भारत पर निर्भर करता है.' मानवाधिकार के मुद्दे पर ये नेतृत्व की नाकामी है."
बर्नी सैंडर्स ने ट्रंप के भारत दौरे पर रक्षा क़रार की भी आलोचना की थी. बर्नी सैंडर्स ने कहा था कि ट्रंप भारत दौरे पर डिफेंस डील की घोषणा कर रहे हैं जबकि उन्हें जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भारत से साझेदारी बढ़ानी चाहिए.
सैंडर्स ने ट्वीट कर कहा था, ''ट्रंप भारत से तीन अरब डॉलर के हथियार बेचकर डिफेंस कंपनियां रेदियॉन, बोइंग और लॉकहीड को अमीर बना रहे हैं जबकि उन्हें भारत के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन पर काम करना चाहिए. हम भारत के साथ वायु प्रदूषण में कमी लाने, प्राकृतिक ऊर्जा और पृथ्वी को बचाने के लिए काम कर सकते हैं.''
इससे पहले बर्नी सैंडर्स ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने पर भी पीएम मोदी की नीतियों की आलोचना की थी. तब बर्नी सैंडर्स ने कहा था कि कश्मीर में भारत का क़दम अस्वीकार्य है.
उन्होंने ये भी कहा था कि वो कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित हैं. वर्मोंट से सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने कहा था कि सुरक्षा के नाम पर कश्मीर में विरोध की आवाज़ को दबाने से स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच भी बाधित हुई है.
अमरीकी एजेंसी यूनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजयस फ़्रीडम ने दिल्ली हिंसा की निंदा करते हुए कहा, "किसी भी ज़िम्मेदार सरकार की ज़िम्मेदारियों में एक काम ये भी है कि वो अपने नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराए. हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वो भीड़ की हिंसा का निशाना बनाए जा रहे मुसलमानों और अन्य लोगों की सुरक्षा में गंभीर क़दम उठाए."
इस्लामी देशों के संगठन आईओसी ने भी भारत से कार्रवाई की मांग की है.
आईओसी की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है, "आईओसी भारत से ये अपील करता है कि वो मुस्लिम विरोधी हिंसा को अंज़ाम देने वाले लोगों को इंसाफ़ के कटघरे में खड़ा करे और अपने मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करे."

मलेशियाई यूथ ग्रुप ने भी जताई चिंता

शुक्रवार को मलेशिया के एक मुस्लिम यूथ ग्रुप ने दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता जताई है. द मुस्लिम यूथ मूवमेंट ऑफ मलेशिया ने कहा है कि यह भारत सरकार की नाकामी है कि वो अपने नागरिकों को सुरक्षा नहीं दे पा रही है.
इस ग्रुप के महासचिव मोहम्मद फ़ज़रील मोहम्मद सालेह ने कहा, ''प्रशासन दंगे को नियंत्रित करने में नाकाम रहा है. धार्मिक अतिवादियों ने मुसलमानों के घरों और पूजास्थलों को टारगेट किया है. यह संभव नहीं है कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था इस क़दर कमज़ोर है कि दंगे को न रोक सके. हम भारत के विवादित क़ानून सीएए को लेकर भी चिंतित हैं.''
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UNHRC चीफ़ ने सांप्रदायिक हिंसा पर जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद प्रमुख मिशेल बाचेलेत जेरिया ने भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) और सांप्रदायिक हिंसा को लेकर चिंता जताई है.
जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स कमिशन की उच्चायुक्त ने पूरी दुनिया में मानवाधिकार की स्थिति और इसके सुधार के संबंध में हुई प्रगति को लेकर जानकारी दी.
इस दौरान भारत का भी ज़िक्र किया गया. इसमें भारत प्रशासित कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद के हालात और हाल ही में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान हुई मौतों को लेकर चिंता जताई गई.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत ने पाकिस्तान पर फिर निशाना साधा है. भारत ने कहा कि पाकिस्तान को चरमपंथी संगठनों का समर्थन बंद कर अपने देश की जनता की भलाई के बारे में सोचना चाहिए, ख़ास कर अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने में अपनी नाकामी को सुधारे.
भारत ने कहा कि मानवाधिकारों पर उपदेश देने से पहले पाकिस्तान ये याद रखे कि आतंकवाद मानवाधिकारों के हनन का सबसे बड़ा जरिया है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद प्रमुख मिशेल बाचेलेत जेरियाइमेज कॉपीरइटAFP
Image captionसंयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद प्रमुख मिशेल बाचेलेत जेरिया

कम से कम 42 लोगों की मौत

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ दिल्ली हिंसा में अब तक कम से कम 42 लोगों की मौत और 200 से ज़्यादा लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है.
उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोधियों और समर्थकों के बीच हुई हिंसा के बाद रविवार को हालात बेकाबू हो गए थे.
उन्मादी भीड़ ने कई घरों, दुकानों, गाड़ियों और एक पेट्रोल पंप पर आग लगा दी और स्थानीय नागरिकों और पुलिसकर्मियों पर पत्थरों से हमला किया.
उत्तर पूर्वी दिल्ली के चांद बाग़, जाफ़राबाद, मौजपुर, बाबरपुर, यमुना विहार, भजनपुरा, शिव विहार इलाके सांप्रदायिक हिंसा से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
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