रिहाना, ग्रेटा और मीना हैरिस के ट्वीट के बाद भारत सरकार ने क्या कहा

 


रिहाना, ग्रेटा, मोदी

भारत सरकार ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की ओर से किए गए ट्वीट्स के बाद किसी का नाम लिए बग़ैर टिप्पणी की है. विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सोशल मीडिया पर बड़ी हस्तियों को ज़िम्मेदारीपूर्वक व्यवहार करना चाहिए.

इससे पहले अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस, पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग, पूर्व पॉर्न स्टार मिया ख़लीफ़ा और पॉप सिंगर रिहाना ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया है.

रिहाना ने इस मुद्दे पर ट्वीट करके लिखा है कि "इस बारे में कोई बात क्यों नहीं कर रहा है?" अब तक रिहाना के इस ट्वीट को 224 हज़ार बार रिट्वीट किया जा चुका है.

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इसी तरह मीना हैरिस ने लिखा है कि "यह कोई संयोग नहीं है कि एक महीने से भी कम समय पहले दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र पर हमला हुआ था और अब हम सबसे बड़ी आबादी वाले लोकतंत्र पर हमला होते देख रहे हैं. यह एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है. हम सभी को भारत में इंटरनेट शटडाउन और किसान प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों की हिंसा को लेकर नाराज़गी जतानी चाहिए."

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मीना हैरिस ने अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसा और भारत में किसान आंदोलन का ज़िक्र करते हुए कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने चेताते हुए कहा है कि दुनिया में हर जगह पर लोकतंत्र को ख़तरा है और 'एकता' सच से शुरू होती है.

उन्होंने एक ट्वीट मे लिखा कि 'युद्धप्रिय राष्ट्रवाद अमेरिकी राजनीति में एक प्रबल ताक़त है जैसा कि भारत या कहीं ओर है. इसको तभी रोका जा सकता है अगर लोग इस हक़ीक़त को लेकर जाग जाएं कि फ़ासीवादी तानाशाह कहीं जाने वाले नहीं हैं.'

किसान प्रदर्शनों पर पॉप सिंगर रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी ट्वीट कर चुकी हैं. इन अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को इस मुद्दे पर ट्वीट करने के बाद विरोध का सामना भी करना पड़ा है.

बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने भी रिहाना को टैग करते हुए ट्वीट किया है.

उन्होंने प्रदर्शनकारियों से घिरे पुलिस कर्मियों का वीडियो जारी करते हुए सवाल किया है, "आप कहां थी रिहाना? हमें इस बारे में बात करने की बहुत ज़रूरत है."

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लेकिन अब भारत के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर इन ट्वीट्स को लेकर बयान जारी किया है. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं लिया है.

ज़िम्मेदार ट्वीट करने की अपील

विदेश मंत्रालय ने बताया है, "भारत की संसद ने व्यापक बहस और चर्चा के बाद, कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी क़ानून पारित किया. ये सुधार किसानों को अधिक लचीलापन और बाज़ार में व्यापक पहुंच देते हैं. ये सुधार आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से सतत खेती का मार्ग प्रशस्त करते हैं. भारत के कुछ हिस्सों में किसानों का एक बहुत छोटा वर्ग इन सुधारों से सहमत नहीं है. भारत सरकार ने प्रदर्शनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू की है. इस कोशिश में अब तक ग्यारह दौर की वार्ता हो चुकी है जिनमें केंद्रीय मंत्री हिस्सा ले रहे हैं सरकार ही नहीं, भारत के प्रधानमंत्री की ओर से इन क़ानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव भी दिया गया है."

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सामग्री् उपलब्ध नहीं है

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विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि कुछ वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप्स की ओर से इन आंदोलनों को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है.

बयान में कहा गया है, "इसके बाद भी कुछ समूह, जिनके अपने स्वार्थ हैं, इन विरोधों पर अपने एजेंडे लागू करने की कोशिश करके इन्हें पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि काफ़ी दुर्भाग्यपूर्ण है. भारत के गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ये देखा गया था जब एक राष्ट्रीय पर्व, गणतंत्र दिवस की वर्षगांठ, मनाई गई तब भारतीय राजधानी में हिंसा और बर्बरता की घटनाएं देखी गईं.

इन निहित स्वार्थ समूहों में से कुछ ने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की भी कोशिश की है. ऐसे हाशिए पर मौजूद तत्वों से प्रेरित होकर, दुनिया के कुछ हिस्सों में महात्मा गांधी की मूर्तियों को अपवित्र किया गया. यह भारत के लिए और हर जगह सभ्य समाज के लिए बेहद परेशान करने वाली बात है.

भारतीय पुलिस बलों ने इन उपद्रवियों को बेहद संयम के साथ नियंत्रित किया है. यह ध्यान देने वाली बात है कि पुलिस विभाग में कार्यरत सैकड़ों पुरुषों और महिलाओं पर शारीरिक हमला किया गया है, और कुछ मामलों में छुरा भी घोंपा गया और गंभीर रूप से घायल किया गया.

हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि इन विरोधों को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति के संदर्भ में और गतिरोध को हल करने के लिए सरकार और संबंधित किसान समूहों के प्रयासों के साथ देखा जाना चाहिए.

ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले, हम आग्रह करेंगे कि तथ्यों का पता लगाया जाए, और मुद्दों की उचित समझ पैदा की जाए. मशहूर हस्तियों द्वारा सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियों के प्रलोभन का शिकार होना, न तो सटीक है और न ही जिम्मेदार है."

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