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असम डिटेंशन कैंप: मोदी का दावा कितना सही

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट AFP दिल्ली के रामलीला मैदान में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है, उन्होंने इसे अफ़वाह बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा "सिर्फ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेन्टर वाली अफ़वाहें सरासर झूठ है, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों से भरी पड़ी है - ये झूठ है, झूठ है, झूठ है." उन्होंने कहा, "जो हिंदुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, जिनके पुरखे मां भारती की संतान हैं. भाइयों और बहनों, उनसे नागरिकता क़ानून और एनआरसी दोनों का कोई लेना देना नहीं है. देश के मुसलमानों को ना डिटेंशन सेन्टर में भेजा जा रहा है, ना हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेन्टर है. भाइयों और बहनों, ये सफेद झूठ है, ये बद-इरादे वाला खेल है, ये नापाक खेल है. मैं तो हैरान हूं कि ये झूठ बोलने के लिए किस हद तक जा सकते हैं." विज्ञापन प्रधानमंत्री मोदी के दावे के विपरीत बी

असम में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में प्रदर्शन जारी हैं. आज वहाँ पर सभी सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर जाने वाले हैं. असम राज्य में कर्मचारियों की सबसे बड़ी संस्था 'असम राज्य कर्मचारी परिषद' के बैनर तले यह हड़ताल की जा रही है. असम सरकार ने कहा है कि 'जो भी कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं, हम उन्हें रोकेंगे नहीं और ना ही उनका वेतन काटा जाएगा, लेकिन उन्हें हड़ताल में शामिल होने के लिए आधिकारिक तौर पर छुट्टी लेनी होगी.' असम छात्र संघ पहले ही इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहा है. https://www.bbc.com/hindi/india-50832244

असम में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलनः आख़िर सैम स्टफर्ड का कसूर क्या था?- ग्राउंड रिपोर्ट

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फ़ैसल मोहम्मद अली बीबीसी संवाददाता, गुवाहाटी इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए Image caption सैम स्टफर्ड सैम स्टफर्ड ने मां से फ़ोन पर कहा था, "ज़ोर की भूख लगी है माई चिकन-पुलाव बनाओ." लेकिन नसीब में कुछ और लिखा था, कुछ ही देर बाद दो गोलियों ने उसके शरीर को भेद डाला. एक सैम की ठुड्डी को चीरती हुई सिर की तरफ़ से निकल गई, दूसरी ने पीठ पर अपना निशान छोड़ दिया. बीते गुरुवार को याद करते हुए मां मैमोनी स्टफर्ड के चेहरे की मांसपेशियां हल्के-हल्के कांपने लगती है, ख़ुद पर क़ाबू पाकर वो कहती हैं, "वो पुलाव-चिकन नहीं खा पाया, उसको अस्पताल ले गए…" विज्ञापन मैमोनी स्टफर्ड बताती हैं, "उस दिन नागरिकता क़ानून के खिलाफ़ लताशिल मैदान में विरोध-प्रदर्शन था, जिसमें मशहूर असमिया गायक ज़ुबिन गर्ग समेत कई बड़े आर्टिस्ट आ रहे थे, तो सैम सुबह-सुबह ही वहां चला गया था, और गोधूलि बेला के समय लौटते हुए उसका फ़ोन आया था." चश्मदीदों और परिवार वालों के मुताबिक़ गोली तब चली जब