भीमा कोरेगाँव: तीन साल बाद भी पुलिस कुछ साबित नहीं कर पाई
दीपाली जगताप बीबीसी मराठी संवाददाता 1 जनवरी 2021 उस घटना के तीन साल बीत चुके हैं, जब भीमा कोरेगाँव एक जनवरी 2018 को हिंसक झड़पों का गवाह बना था. इसमें अब तक 16 सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और वकीलों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जिन लोगों को गिरफ़्तार किया है, उनमें आनंद तेलतुंबडे, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, कवि वरवर राव, स्टेन स्वामी, सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंजाल्विस समेत कई अन्य शामिल हैं. भीमा कोरेगाँव हिंसा का देश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल पर गंभीर असर पड़ा है. एक जनवरी 2018 को ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठों के बीच हुए युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के जश्न के दौरान भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़क उठी थी. हज़ारों दलित विजय स्तंभ के नज़दीक इकट्ठा हुए थे. लेकिन तनाव के बाद वहां आगज़नी और पथराव हुआ. इसमें कई गाड़ियों को नुक़सान पहुँचा और एक शख़्स की जान चली गई. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें भीमा कोरेगाँव- इतिहास, वर्तमान और पुलिस की जांच भीमा कोरेगांवः आनंद तेलतुंबड़े, स्टेन स्वामी माओवादियों के इशारे पर काम करते थे - NIA सप्लीमेंट्री