फडणवीस और भाजपा उतावलेपन में सब गंवा बैठे- नज़रिया
प्रदीप सिंह वरिष्ठ पत्रकार इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES राजनीति बड़ी निष्ठुर होती है. इसीलिए रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है कि निष्ठुरता की सीपी में राजनीति का मोती पलता है. यह बात उद्धव ठाकरे ने साबित कर दी. ठाकरे ने 30 साल का संबंध एक झटके से तोड़ा तो मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा हो गया. लेकिन राजनीति का मोती कभी-कभी सिर्फ़ निष्ठुरता से ही नहीं मिलता. ठाकरे की निष्ठुरता परवान चढ़ गई तो अजित पवार की औंधे मुंह गिर गई. या फिर कहें कि वे पूरी तरह निष्ठुर हो नहीं पाए. राजनीति का कमाल देखिए कि गिरे अजित पवार और लहूलुहान हुए देवेंद्र फडणवीस. महाराष्ट्र की राजनीति के चक्रव्यूह में शरद पवार ने उन्हें अभिमन्यु की तरह घेरकर मारा. लेकिन सवाल है कि उन्हें अभिमन्यु बनाया किसने? वे आंखों पर पट्टी बांध कर इस चक्रव्यूह में घुस गए या खुली आंखों से? महाराष्ट्र में 22 नवंबर की रात से 23 नवंबर की सुबह तक जो हुआ उसके कुछ किरदार तो सबके सामने हैं लेकिन पर्दे के पीछे के कि