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Thook se Aakhon ka Ilaaz Mumkin hai ?

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शिशुओं में कॉलिक (उदरशूल) || बच्चे की रोने की वजह ||

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  शिशुओं में कॉलिक (उदरशूल)       Studio Memoir for BabyCenter In this article कॉलिक (उदरशूल) क्या है? मुझे शिशु में कॉलिक होने का कैसे पता चल सकता है? क्या मुझे शिशु को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए? मेरा शिशु इतना ज्यादा क्यों रोता है? यदि मैं शिशु को स्तनपान करा रही हूं, तो क्या मेरे आहार की वजह से शिशु को कॉलिक हो सकता है? मैं कॉलिक से ग्रस्त अपने शिशु को शांत कैसे करा सकती हूं? कॉलिक के लिए पारंपरिक उपचार क्या हैं? क्या उदरशूल नुकसानदेह है? कॉलिक (उदरशूल) क्या है? स्वस्थ शिशु जब अत्याधिक व अनियंत्रित ठंग से रोए और कोशिशों के बाद भी शांत न हो, तो इसे कॉलिक (उदरशूल) कहा जाता है। वैसे तो सभी बच्चे रोते हैं। मगर इसे अत्याधिक रोना तब माना जाता है, जब वह एक दिन में तीन घंटे तक रोए और ऐसा कम से एक सप्ताह में तीन बार हो, और कम से कम तीन हफ्तों तक चले। इस तरह के रोने को निरंतर रोना (पर्सिसटेंट क्राइंग), समस्यात्मक रोना (प्रॉब्लम क्राइंग) या फिर 'पर्पल क्राइंग' की अवधि का एक हिस्सा भी कहा जाता है। आप चाहे इसे कोई भी नाम दें, शिशु का अत्याधिक रोना परेशान करने वाला हो सकता है। कई घंटों

अगर घर का माहौल सही नहीं रहेंगे तो जानिए आपके बच्चे का होगा कितना बड़ा नुकसान ?

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तीन माह तक रहते हैं कोरोना (Corona) के लक्षण || सफेद चीनी , जानें सेहत के लिए है कितना खतरनाक || सर्दी नहीं करेगी परेशान जानें उसके लिए आपको क्या करना पड़ेगा ?

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#Corona||#BreastCancer

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  कोरोना और ब्रेस्ट कैंसर: तकलीफ़ भी, उम्मीद भी नितिन श्रीवास्तव बीबीसी संवाददाता इमेज कैप्शन, राधा रानी दिल्ली के तिलक नगर इलाक़े में गुरुनानकपुरा एक पुरानी कॉलोनी है जिसके भीतर पहुँचने के लिए आपको कई संकरी गलियों को पैदल पार करना होता हैं. बिजली के तारों के झुंड से ढकी हुई एक तंग गली के तीन मंज़िला मकान की छत पर खड़ी एक महिला हमारा इंतज़ार कर रही थीं. 34 साल की  राधा रानी  ने इसी साल अगस्त महीने से दूसरी मंज़िल पर एक छोटा घर किराए पर ले रखा है जहाँ उनके दो बच्चे भी साथ रह रहे हैं. उन्होंने बताया, "लॉकडाउन ख़त्म होने के दो महीने बाद ही मुझे ब्रेस्ट कैंसर होने का पता चला. हम जम्मू में थे जहाँ डॉक्टर ने दिल्ली आकर पहले सर्जरी और फिर इलाज कराने की सलाह दी." राधा रानी के पति नौकरी करते हैं और इन दिनों श्रीनगर में तैनात हैं. दिल्ली में किराए का मकान लेकर इलाज कराने के अलावा कोई चारा नहीं था. लेकिन मुश्किलें और भी थीं. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें बिहार के गांवों में क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर के मरीज़ मोदी ने कहा लॉकडाउन से कोरोना पर लगी लगाम, क्या सहमत हैं जानकार?