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शोपियाँ एनकाउंटर : सुरक्षाबलों ने तोड़े नियम
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शोपियाँ एनकाउंटर: भारतीय सेना ने कहा, सुरक्षाबलों ने 'अपनी हदें पार कीं' 19 सितंबर 2020, 02:23 IST अपडेटेड 2 घंटे पहले इमेज स्रोत, TAUSEEF MUSTAFA इमेज कैप्शन, सांकेतिक तस्वीर भारत प्रशासित कश्मीर के शोपियाँ ज़िले में हुए एक एनकाउंटर के मामले में भारतीय सुरक्षाबलों ने अपनी ताकतों से 'आगे बढ़कर' कार्रवाई की थी. भारतीय सेना ने इस मामले की जाँच की है और पाया है कि 'पहली नज़र' के सबूतों से ऐसा लगता है कि सुरक्षाबलों ने आर्म्ड फ़ोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) के अधिकारों की सीमा रेखा पार की. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सेना के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि इस मामले में आर्मी एक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई है. इस साल जुलाई में हुए इस एनकाउंटर में तीन युवकों की मौत हो गई थी. विज्ञापन सुरक्षाबलों ने 18 जुलाई को दावा किया था कि दक्षिणी कश्मीर में शोपियाँ ज़िले के अम्शीपुरा गाँव में हुए एनकाउंटर में तीन चरमपंथी मारे गए थे. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें कश्मीर में लगातार हुई मुठभेड़ और मुहर्रम के जुलूस पर बल प्रयोग की कहानी कोरोन
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देविंदर सिंह: अफ़ज़ल गुरु और चरमपंथियों से क्या था कनेक्शन?
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रियाज़ मसरूर बीबीसी संवाददाता, श्रीनगर इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट PTI कश्मीर के पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह रैना पर चरमपंथियों की मदद करने का आरोप लगा है और फिलहाल वो पुलिस हिरासत में हैं. 57 साल के देविंदर सिंह 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ चलाए गए अभियान के दौरान प्रमुख पुलिसकर्मियों में रहे हैं. देविंदर सिंह भारत प्रशासित कश्मीर के त्राल इलाक़े के रहने वाले हैं जिसे चरमपंथियों का गढ़ कहा जाता है. कश्मीर में मौजूदा चरमपंथ का चेहरा रहे शीर्ष चरमपंथी कमांडर बुरहान वानी का भी संबंध त्राल से था. डीएसपी देविंदर सिंह के कई सहकर्मियों ने बीबीसी को बताया कि वो गैरक़ानूनी गतिविधियों (जैसे बेकसूर लोगों को गिरफ्तार करना, उनसे मोटी रकम लेकर रिहा करना) में शामिल रहे हैं लेकिन हर बार वो नाटकीय ढंग से इन सब आरोपों से बरी हो जाते थे. एक अधिकारी ने आरोप लगाया कि देविंदर सिंह ने 1990 के दशक में एक शख़्स को भारी मात्रा में अफीम के साथ गिरफ़्तार किया थ