लोकसभा चुनाव 2019: 'बेटा गया तो मेरा गया, सरकार का क्या गया?'
इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger इस पोस्ट को शेयर करें Twitter साझा कीजिए वर्ष 2017 के जून माह की पहली तारीख़ से ही मंदसौर के पिपलिया तक आने वाली हर सड़क और पगडंडी पर हज़ारों की संख्या में किसान जमा हो रहे थे. ये किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य और पाने उत्पाद की उचित क़ीमत को लेकर आन्दोलन कर रहे थे. फिर छह तारीख़ को कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे भारत के किसानों को आक्रोश से भर दिया और उन्हें सड़कों पर आने को मजबूर कर दिया. जून की छह तारीख़ को किसानों पर हुई 'पुलिस फायरिंग' में छह लोग मारे गए थे. इस घटना के बाद किसानों का आन्दोलन और भी ज्यादा उग्र और हिंसक बन गया. उस वक़्त की शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकार ने किसानों के आक्रोश को ठंडा करने के लिए फ़ायरिंग में मारे जाने वालों के परिजनों को एक करोड़ रूपए बतौर मुआवज़ा देने की घोषणा की. null आपको ये भी रोचक लगेगा 'चुनावी फ़िजाओं में परिवर्तन की नहीं बारूद की गंध है' चुनावी हलचलः 8 अप्रैल से 14 अप्