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पाकिस्तान के मौलाना Ghazi Rahman ने Nizamuddin_Markaz मामले पर क्या कहा ?

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जिस मौलाना साद को मीडिया लापता घोषित कर दिया था , जानिए वह कहां थे ?

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तबलीग़ी जमात: निज़ामुद्दीन मरकज़ के मौलवी मोहम्मद साद कौन हैं? ज़ुबैर अहमद बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट BIPLOV BHUYAN/HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGES तबलीग़ी जमात और इसके अमीर (नेता) मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं. उनके सुर्खियों में होने की वजह दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम है जिसके बाद देश भर में कोविड -19 के कई मामले सामने आए. दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को मौलाना साद के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज की. पुलिस का कहना है मौलाना ने निज़ामुद्दीन बस्ती में एक विशाल धार्मिक सभा आयोजित करके सरकार के आदेशों का उल्लंघन किया है. मीडिया ने जब मौलाना साद को लापता बताना शुरू किया तो मंगलवार रात उन्होंने एक ऑडियो मेसेज जारी करके कहा कि वो इन दिनों ख़ुद आइसोलेशन में हैं. अब लोग जानना चाहते हैं कि 55 वर्षीय मौलाना साद हैं कौन? अगर आप गूगल करें तो उनके बारे में न तो कुछ ख़ास जानकारी मिलेगी और न ही उनकी तस्वीरें या वीडियो दिखेंगे. अ

लेकिन क्या है तबलीग़ी जमात जो अचानक से चर्चा में आ गया.

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तबलीग़ी जमात का जन्म भारत में 1926-27 के दौरान हुआ. एक इस्लामी स्कॉलर मौलाना मुहम्मद इलियास ने इस काम की बुनियाद रखी थी. परंपराओं के मुताबिक़, मौलाना मुहम्मद इलियास ने अपने काम की शुरुआत दिल्ली से सटे मेवात में लोगों को मज़हबी शिक्षा देने के ज़रिए की. बाद में यह सिलसिला आगे बढ़ता गया. तबलीग़ी जमात की पहली मीटिंग भारत में 1941 में हुई थी. इसमें 25,000 लोग शामिल हुए थे. 1940 के दशक तक जमात का कामकाज अविभाजित भारत तक ही सीमित था, लेकिन बाद में इसकी शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैल गईं. जमात का काम तेज़ी से फैला और यह आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया. तबलीग़ी जमात का सबसे बड़ा जलसा हर साल बांग्लादेश में होता है. जबकि पाकिस्तान में भी एक सालाना कार्यक्रम रायविंड में होता है. इसमें दुनियाभर के लाखों मुसलमान शामिल होते हैं. मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे ज़फ़र सरेशवाला तबलीग़ी जमात से सालों से जुड़े हैं. उनके मुताबिक़ ये विश्व की सबसे बड़ी मुसलमानों की संस्था है. इसके सेंटर 140 देशों में हैं. भारत में सभी बड़े शहरों में इसका मरकज़ है यानी केंद्र है. इन