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#आतंकवाद का सच ।। देश के क़ानून के भरोसे रहा जेल में ज़िंदा' ।। मासूमों की हत्या दहशतगर्दी , ऐसे लोगों को सबक सिखाने की ज़रूरत ।। लेकिन सबसे बड़ा सवाल गुनाहगारों को सजा देने के नाम पर मासूमों की जिन्दगियों को बर्बाद कर देना ये कौन पुण्य ? देखें क्या हुआ था देश के चर्चित आतंकी घटना के जांच के बाद ? इतिहास के पन्नो दबा कला सच

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  देश के क़ानून के भरोसे रहा जेल में ज़िंदा' अंकुर जैन अहमदाबाद से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए 28 मई 2014 इमेज स्रोत, ANKUR JAIN शबाना आदम अजमेरी अहमदाबाद के दरियापुर इलाक़े की एक म्युनिसिपल स्कूल में छठी क्लास की छात्रा हैं. जहां देश और उसकी क्लास के बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, उद्यमी या सीए बनने के सपने देखते हैं, वहीं शबाना वकील बनना चाहती है. यह पूछने पर क्यों.... वह चुप हो जाती है. कुछ पल बाद अपने पिता की ओर देखती हैं और फिर रोने लगती हैं. उसकी मां नसीम बानो कहती हैं, "इसका बचपन क़ानून, पुलिस और वकीलों के क़िस्से सुनकर बीता है. बस तभी से यह कहती है कि यह वकील बनेगी और हम सबको बचाएगी." शबाना के पिता आदम सुलेमान अजमेरी 11 साल जेल में रहने के बाद 17 मई, 2014 को बाहर आए हैं. उन पर अक्षरधाम मंदिर हमले में शामिल चरमपंथियों का साथ देने का आरोप था और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. लेकिन एक दशक तक जेल में रहने के बाद  सुप्रीम कोर्ट  ने उन पर लगे सभी आरोप ख़ारिज कर दिए और उन्हें बाइज़्ज़त रिहा कर दिया. 24 सितंबर, 2002 को दो हमलावरों ने अक्षरधाम मंदिर के भीतर एके-56 राइफल से गोलिया

#आतंकवाद की हकीकत ।। #अक्षरधामः 'वह देखकर मुझ पर क़यामत टूट पड़ी

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  अक्षरधामः 'वह देखकर मुझ पर क़यामत टूट पड़ी ।  अंकुर जैन अहमदाबाद से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए 1 जून 2014 इमेज स्रोत, ANKUR JAIN अहमदाबाद का दरियापुर इलाक़ा. साबरमती नदी और अहमदाबाद रेलवे स्टेशन के बीच में बसा यह इलाक़ा पुराने शहर में है. मौलाना अब्दुल मियां कादरी अक्षरधाम मामले में पकड़े अन्य अभियुक्त आदम अजमेरी, सलीम शेख और अब्दुल कयूम की तरह दरियापुर के निवासी हैं. गुजरात में 2002 दंगों के बाद हुआ अक्षरधाम मंदिर हमला हो या टिफ़िन बम धमाका या हरेन पंड्या का कत्ल, इन सभी मामलों में पकड़े गए लोगों में सबसे ज़्यादा, इसी इलाक़े से हैं. अब्दुल मियां को अदालत ने 10 साल की सज़ा सुनाई थी. सात साल जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें 2010 में ज़मानत दी और 16 मई, 2014 को उन्हें अन्य लोगों के साथ सभी आरोपों से बरी कर दिया गया. 'मानो ज़मीन फट गई' मौलाना अब्दुल मियां कहते हैं, "मुझे भी अन्य लोगों की तरह कोर्ट में पेश करने के 13 दिन पहले 17 अगस्त 2003 को पुलिस ने बुलाया. एक कमरे में बिठाए रखा और फिर कुछ देर बाद एक बड़े अधिकारी मुझसे इधर-उधर की बात करने लगे. मुझे लगा कि व

#आतंकवाद की हक़ीक़त ।। देश के चर्चित आतंकी हमला (अक्षरधाम आतंकी हमला ) में कैसे निर्दोषों को बलि का बकरा बनाया गया था ? निर्दोषों की हत्या बेशक दहशतगर्दी है इस में में कोई शक की गुंजाइश नहीं , लेकिन मासूमों की जिंदगी तबाह कर देने को क्या कहेंगे ?

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    https://www.aajtak.in/india/story/acqiutted-by-sc-akshadham-attack-accused-say-they-were-framed-by-gujarat-police-210724-2014-05-21

अज़ादी के लिये किसी तहरीक या आन्दोलन या बगावत या जंग की शुरुआत ही मुस्लिमों के ज़रिये हुयी ! 1498 की शुरुआत से लेकर 1947 तक मसलमानो ने विदेशी आक्रमनकारीयों से जंग मसलमानो ने विदेशी आक्रमनकारीयों से जंग लड़ते हुए अपना सब कुछ क़ुरबान कर दिया !

"भारत की आज़ादी के हसूलयाबी में मुस्लिमों का किरदार और हिस्सा लेने वाली कुछ तनज़ीमें " ------------------@ शादाब सहराई  & शाहीन इस्लाम 'सुमन' जब बात भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की होती है तो सिर्फ दो ही नाम जो मुस्लिम कटआउट की तरह जहाँ देखो वहीं दिखाई देते है..? और वो नाम है "मौलाना अबुल कलाम आज़ाद"  मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या नवाब अश्फ़ाकुल्लाह खान वारसी ,जिन्होने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मे हिस्सा लिया था | जबकि इतिहास की सच्चाई ये है कि अज़ादी के लिये किसी तहरीक या आन्दोलन या बगावत या जंग की शुरुआत ही मुस्लिमों के ज़रिये हुयी ! 1498 की शुरुआत से लेकर 1947 तक मसलमानो ने विदेशी आक्रमनकारीयों से जंग लड़ते हुए अपना सब कुछ क़ुरबान कर दिया ! यहां हम मुस्लिमों की जानिब से लडी गयी कुछ जंगों और आज़ादी हासिल करने के लिये बनायी गयी कूछ तंज़ीमों और तहरीकों का ज़िक्र ज़रूरी समझते हैं ताकि हमारी नौजवान नस्ल उस इतिहास को समझने के लिये भी कोशीश करे जिसकों लगातार मिटाने की कोशिश की जारही है ! १- कुनाह्ली मक्कर तहरीक -  पुर्तगालियों के खिलाफ लड़ा हुआ किसी भारतीय का पहला हथ