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BBC वेबसाइट तक पहुंचाने वाले लिंक सामग्री को स्किप करेंAccessibility Help साइन इन करें बीबीसी सूची बीबीसी में खोजें Hindi navigation  सेक्शन 'अंत में मैं सिर्फ़ ये पत्र लिख पा रहा हूं..' 18 जनवरी 2016 साझा कीजिए रोहित वेमुलाImage copyrightROHITH VEMULA FACEBOOK PAGE हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र रोहित वेमुला ने रविवार रात फांसी लगाकर ख़ुदक़ुशी कर ली. दलित समुदाय के रोहित को उनके चार अन्य साथियों के साथ कुछ दिनों पहले हॉस्टल से निकाल दिया गया था. इसके विरोध में वो पिछले कुछ दिनों से अन्य छात्रों के साथ खुले में रह रहे थे. कई अन्य छात्र भी इस आंदोलन में उनके साथ थे. आत्महत्या से पहले रोहित वेमुला ने एक पत्र छोड़ा है. यहां हम अंग्रेज़ी में लिखे उनके पत्र का हिंदी में अनुवाद दे रहे हैं: गुड मॉर्निंग, आप जब ये पत्र पढ़ रहे होंगे तब मैं नहीं होऊंगा. मुझ पर नाराज़ मत होना. मैं जानता हूं कि आप में से कई लोगों को मेरी परवाह थी, आप लोग मुझसे प्यार करते थे और आपने मेरा बहुत ख़्याल भी रखा. मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है. मुझे हमेशा से ख़ुद से ही समस्या रही

यदि अख़लाक़ की हत्या पर अपनी राजनीति चमकाने वालों को बाकी की लाशों में वोटबैंक नज़र नहीं आता तो क्या उपेक्षित रह जायेंगी ये लाशें??? क्या हम इनके लिए न्याय नहीं मांगेंगे??? और याद रखिये कि सिर्फ़ दलित और मुस्लिम ही नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक संवैधानिक व्यवस्था पर विश्वास रखने वाला हर जाति का इंसान इस समय निशाने पर है.. बीएचयू के प्रोफेसर संदीप पाण्डेय के साथ हुआ दुर्व्यवहार यही कहता है।

Razia S. Ruhi ( Facebook ) गत दिनों दक्षिणभारतीय दलित छात्र ‪#‎रोहित_वेमुल्ला‬ की निर्मम हत्या कर दी गयी, रोहित (पीएचडी) शोधछात्र थे और सक्रीय रूप से अम्बेडकर विचारधारा से जुड़े थे। इस हत्या का जिमेदार एबीवीपी को बताया जा रहा है जो भाजपा की ही स्टुडेंट विंग है और भाजपा नेताओं के इशारे पर चलती है। इस कैम्पस में ये लगातार तीसरी हत्या है, और सरकार चुप.. एबीवीपी की गुंडागर्दी जारी है। अगर याद हो तो हैदराबाद विश्वविद्यालय में कुछ दिन पहले ही 5 दलित छात्रों को जातीय घृणा के कारण प्रताड़ित करने का मामला सामने आया था.. जो अम्बेडकर विचारधारा को लेकर मुखर थे। यानी मुस्लिमों के साथ दलितों को भी निशाना बनाया जा रहा है क्यों कि ये दोनों ही मनुवादी हिन्दू राष्ट्र बनाने में बाधक हैं। अख़लाक़ हत्याकाण्ड के बाद से जाने कितनी लाशों को रौंदते हुये हम रोहित की लाश तक आ पहुंचे हैं, केंद्र और राज्य एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते रहें लेकिन कौन नहीं जानता कि हिंदुत्व के ठेकेदारों के हौंसले किसकी दम पर बुलंद हैं... यदि अख़लाक़ की हत्या पर अपनी राजनीति चमकाने वालों को बाकी की लाशों में वोटबैंक नज़र न

इंद्रेश भाई और बताऊं कि मन इतने में ठंडा हो गया ? तो सुनिये.. देश भक्ति की सीख अपने मातृ संगठन को दीजिए जो तिरंगे को स्वीकार नहीं करता. देश के संविधान को नहीं मानता. समझे

Irshadul Haque  ( Facebook) एक संघी प्राणी हैं. नाम हैं इंद्रेश कुमार. आरएसएस के प्रचारक. जनाब कहते हैं- मैं मुस्लिम धर्मगुरुओं, इमामों, मौलवियों से आग्रह करता हूं कि वे मदरसों में बच्चों को देशभक्ति की तालीम दें. इंद्रेश भाई आपकी इस मखरापूर्ण बुद्धि पर मुझे तरस आया. अगर सचमुच आपको पता नहीं तो बार-बार तरस आयेगा. लेकिन संदेह है कि आपकी बुद्धि इतनी कम हो सकती है. क्या आपको पता है कि सरफरोशी की तमन्ना लिखने वाला शायर मदरसा का प्रोडक्ट था. सारे जहां से अच्छा जब इकबाल ने लिखा तब संघ का वजूद तक न था. उलेमा ए बाकीपुर का नाम भी न सुना होगा आपने जिसके मौलियों ने अंग्रेजों से लड़के अपनी जान दी. जमीयत उलमाये हिंद ने तो देशभक्ति की ऐसी मशाल जलायी जिसकी मिसाल नहीं मिलती. इंद्रेश भाई और बताऊं कि मन इतने में ठंडा हो गया ? तो सुनिये.. देश भक्ति की सीख अपने मातृ संगठन को दीजिए जो तिरंगे को स्वीकार नहीं करता. देश के संविधान को नहीं मानता. समझे 7 hrs · Public · More Like Comment Share Jitendra Singh and 51 others like this. Sanjay Verma नासमझ को समझ थोरे ही आएगी Like · 4 · Reply · Report ·

अमीरका ने अलकायदा का निर्माण इसलिए कराया था क्यूंकि वो रूस से बदला ले सके और हर देश किसी ना किसी आतंकी संघठन को आर्थिक मदद करते है, कुछ समय बाद रूस से अमेरीका की सुलह हुई और तब ओसामा बिन लादेन बेरोजगार हो गया और फिर वो अमेरीका के खिलाफ ही खड़ा हो गया। आज अमेरीका और रूस उसी तालिबान से मदद ले रहा है जिसको अमेरीका खुद ही आतंकी देश कहता था जिसके साथ उसने युद्ध भी लड़ा

Indian Muslim Pro- (Fafebook page) साभार:- राकेश ठाकुर सद्दाम हुसैन आज होते तो शायद ISIS से विश्व को डरना नहीं पड़ता अमेरीका ने यदि इराक के सद्दाम हुसैन से जबरदस्ती की जंग नहीं की होती तो शायद आज आईएसआईएस का नामो-निशान नहीं होता,लीबिया के गद्दाफी और मिस्त्र के होस्नी मुबारक आज सत्ता में होते तो शायद विश्व को आतंकी संघठन आईएसआईएस से डरना नहीं पड़ता। क्यूंकि सद्दाम हुसैन ने कहा था की उनके रहते कोई आतंकी संघठन खड़ा नहीं होगा और उनके रहते कभी कोई आतंकी संघठन भी सक्रीय नहीं हुआ। अमीरका ने अलकायदा का निर्माण इसलिए कराया था क्यूंकि वो रूस से बदला ले सके और हर देश किसी ना किसी आतंकी संघठन को आर्थिक मदद करते है, कुछ समय बाद रूस से अमेरीका की सुलह हुई और तब ओसामा बिन लादेन बेरोजगार हो गया और फिर वो अमेरीका के खिलाफ ही खड़ा हो गया। आज अमेरीका और रूस उसी तालिबान से मदद ले रहा है जिसको अमेरीका खुद ही आतंकी देश कहता था जिसके साथ उसने युद्ध भी लड़ा। जब अमेरीका को मेहसूस हुआ की उसका दबदबा विश्व में कम हो रहा है तब उसने इराक पर हमला करके सभी देशो को यह सन्देश देना चाहा की हमारी गुंडागर्दी

जेठमलानी ने कहा- मर्डर केस में शाह को बचाने से इनकार पर BJP ने मुझे निकाला

जेठमलानी ने कहा- मर्डर केस में शाह को बचाने से इनकार पर BJP ने मुझे निकाला dainikbhaskar.comJan 15, 2016, 21:56 PM IST PrintDecrease FontIncrease Font EmailGoogle PlusTwitterFacebookCOMMENTS6 EmailGoogle PlusTwitterFacebookCOMMENTS 1 of 2 Next शुक्रवार को कानपुर में मीडिया से बातचीत करते राम जेठमलानी। कानपुर. राम जेठमलानी ने एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधा है। शुक्रवार को उन्‍होंने कहा कि आज बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह को प्रोटेक्‍ट करने के लिए मुझे 2010 में पार्टी में बुलाया जा रहा था। लेकिन मना करने पर मेरे खिलाफ कार्रवाई हुई। जेठमलानी ने कहा- मुझसे डरते थे अटल बिहारी वाजपेयी… - ''मैं बीजेपी का फाउंडर मेंबर था, जब पार्टी अस्तित्व में आई थी। जब पहली बार अटल जी की सरकार आई तो उन्होंने मुझे अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर बनाया।'' - ''मैं लॉ मिनिस्टर बनना चाहता था, लेकिन अटल ने लॉ मिनिस्ट्री जयललिता के रिश्तेदार को देने का फैसला कर लिया था।'' - ''अटल जी मुझसे डरते थे, मेरे जवाब पर वो कुछ बोल नहीं पाते थे। वो इतना डरते थे कि उन्होंने एलान

Keya Auliya Allah se Mohbbat ka Tariqa Yahi hai .....? Iss me koi shaq nahi k #Khankanhen #islam ki #Asha'at ka #Markaz rahin hain , jin k zariye karodon Afrad k Qalub ko zikre Elahi se ma'moor kia geya hai , jin ki koshishon se karodon log halqabagosh islam huye hain , ye bhi RozeRaushan ki tarah Ayan hai ki Aaj barsagir mein jo islam nazar aa raha hai wah unhi khankahon aur bujragane din wa auliya ki den hai .....yaqinan wah tamam #khanqahein islam ki Asha'at ka markaz thin aur tutey , foote dilon ki rahat wa sakun ki Aa'majgah bhi......Lekin aaj bhi khanqahen keya kar rahi hain , un ka maqsad aur mishan keya rah geya hai ......unhen ye nahi bataya jata hai ki Aaj jo bhi iss tarah k jalse wa juloos aur Akhaden nikal rahe hain wah gair Islami sha'aar k hamil hain .....islam se koi lena dena nahi hai .....Balki aise Taur wa Tariqe Islam ko masakh karne ki raah hamwaar kar rahe hain .........meri baat kuchh logon ko talkh maloom hongi lekin haqiqat yahi hai k achchaiyon ko humne chhod dia aur Laguyaat ki rah Akhtiyar kar li .....dunia kahan se kahan ja rahi hai aur hum hain k jehalat aur jalalat ki raah ko apnaye huye hain ....Yaqin janiye qur'aan wa hadis aur sahaba e karam razwanullah Ta'ala azmain ka taur wa tariqa hee hamari kamyabi ki zamin hai aur iss k Alawa koi dusri chiz nahi...........

Mohammad shakil asthanvi 09852508777 ---------------------------- Keya Auliya Allah se Mohbbat ka Tariqa Yahi hai .....? Iss me koi shaq nahi k #Khankanhen #islam ki #Asha'at ka #Markaz rahin hain , jin k zariye karodon Afrad k Qalub ko zikre Elahi se ma'moor kia geya hai , jin ki koshishon se karodon log halqabagosh islam huye hain , ye bhi RozeRaushan ki tarah Ayan hai ki Aaj barsagir mein jo islam nazar aa raha hai wah unhi khankahon aur bujragane din wa auliya ki den hai ..... yaqinan wah tamam #khanqahein islam ki Asha'at ka markaz thin aur tutey , foote dilon ki rahat wa sakun ki Aa'majgah bhi...... Lekin aaj bhi khankqahen keya kar rahi hain , un ka maqsad aur mishan keya rah geya hai ...... unhen ye nahi bataya jata hai ki Aaj jo bhi iss tarah k jalse wa juloos aur Akhaden nikal rahe hain wah gair Islami sha'aar k hamil hain ..... islam se koi lena dena nahi hai ..... Balki aise Taur wa Tariqe Islam ko masakh karne ki raah hamwaar kar rahe hain ...

मुसलमान वन्दे मातरम क्यों नहीं कहते हैं?

Abrar Hussain  (Facebook) मुसलमान वन्दे मातरम क्यों नहीं कहते हैं? दुनिया में अलग अलग धर्म हैं और हर धर्म में अलग अलग भगवान और देवी-देवताओं की पूजा की जाती हैं। कोई पत्थरों को तराशकर उन्हें पूजते हैं। कोई इन्सानो को पूजते हैं। कोई जानवरों को पूजते हैं। कोई सूरज को पूजते हैं। कोई चान्द और सितारों को पूजते हैं। कोई धन को पूजते हैं। कोई पानी को पूजते हैं। कोई आग को पूजते हैं। कोई हवा को पूजते हैं। कोई प्रकृति को पूजते हैं। कोई पेड़-पौधों को पूजते हैं। इसी प्रकार हिन्दू धर्म में धरती को पूजा जाता हैं। जबकि इस्लाम धर्म इन सभी वस्तुओं को पूजने से रोकता हैं और उसको पूजने का हुक्म देता हैं जिसने इन सभी वस्तुओं का निर्माण किया हैं। इस्लाम निर्माता को पूजने का हुक्म देता हैं न कि निर्मित को। क्योंकि पूजा के लायक तो सिर्फ वो हैं जो अमर हैं और सदैव रहने वाला हैं और अमर व सदैव रहने वाला तो सिर्फ ईश्वर हैं। ईश्वर के अलावा जो कुछ भी इस ब्रह्मांड में हैं सब नश्वर हैं। वन्दे मातरम का अर्थ होता हैं ए धरती माँ हम तेरी वन्दना करते हैं। मतलब धरती माँ हम तुझे पूजते हैं। अब सवाल ये उठता हैं कि क्या

दोमंज़िला इमारत बन गई थी चरमपंथियों का बंकर

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वेबसाइट तक पहुंचाने वाले लिंक सामग्री को स्किप करें Accessibility Help साइन इन करें बीबीसी सूची Hindi navigation  सेक्शन दोमंज़िला इमारत बन गई थी चरमपंथियों का बंकर संजय शर्मा चंडीगढ़ से, बीबीसी हिन्दी डॉटकॉम के लिए 6 घंटे पहले साझा कीजिए Image copyright Sanjay Sharma पठानकोट एयरबेस पर हुए चरमपंथी हमले में भारतीय सेना ने छह चरमपंथियों को मार गिराया. भारत-पाकिस्तान सीमा से 25 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद एयरबेस पर भारतीय सेना का तलाशी अभियान पूरा होने के क़रीब है. पश्चिमी कमांड के मुख्य सैन्य कमांडर केजे सिंह ने मीडिया को बताया, ''वायुसेना और सेना के बीच महत्वपूर्ण संपत्तियों को एक दूसरे को सौंपने की कार्यवाही गुरुवार को होगी.'' विज्ञापन कमांडर के मुताबिक़ भारतीय सेना ने इन अहम संपत्तियों को ख़ुफ़िया एजेंसियों और पंजाब पुलिस से मिले इनपुट के बाद दूर हटाया था. हालांकि अभी पठानकोट में सेना का अभियान पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ है क्योंकि ख़ुफ़िया एजेंसियों को चरमपंथियों के एकाध अन्य जगहों