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जींद में सुरजेवाला पीछे, बीजेपी को बढ़त, रामगढ़ में कांग्रेस जीती

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  31 जनवरी 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Email   इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें Twitter   इस पोस्ट को शेयर करें Whatsapp राजस्थान के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी साफिया ख़ान जीत गई हैं. उन्होंने बीजेपी के सुखवंत सिंह को 12,228 मतों से हराया. इस जीत के साथ ही राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 100 सीट हो गए हैं. अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पूर्ण बहुमत से केवल एक सीट पीछे है. रामगढ़ के साथ ही 28 जनवरी को हरियाणा की जींद विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हुए थे. जींद में उपचुनाव कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की वजह से प्रतिष्ठा की लड़ाई में बदल चुका है. यहां चौथे राउंड की मतगणना पूरी होने तक सुरजेवाला बीजेपी के उम्मीदवार कृष्ण मिड्ढा से पीछे चल रहे हैं. जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला तीसरे नंबर पर हैं. कांग्रेस ने एक बड़ा दाँव खेलते हुए इस सीट से अपने प्रवक्ता और कैथल विधानसभा सीट से विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला को उम्मीदवार बनाया है. हरियाणा में 2014 से बीजेपी की सरकार है और इस उप-चुनाव को

बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले लोगों के सम्बन्ध में समय समय पर समाचार आते रहते हैं,!

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बस्ती।बाबरी मस्जिद की शहादत मुसलमानों के लिए ही नहीं देश और दुनियां के लिए बड़ी घटना थी, यह ऐसी घटना थी जिसने भारत के चरमपंथी, अतिवादी रूप को सब के सामने ला दिया था, दुनियां जान चुकी थी कि भारत में एक संगठन के चरमपंथी लोग अन्य धर्मों के मानने वालों के प्राथना िस्थलों पर हमला करते हैं उन्हें संगठित होकर सरकारों की मदद से गिराते हैं|बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले लोगों के सम्बन्ध में समय समय पर समाचार आते रहते हैं, कई तो ऐसे लोग हैं जो शर्मिन्दिगी और पछतावे के कारण खुद से इस्लाम धर्म में शामिल हो गए, कई लोगों को निकारण भय सताता रहता है, उन्हें लगता है कि जैसे कोई अदृश्श्य शक्ति उन को घेरे हुए है, लातूर में आये भयानक भूकंप में भी सबसे अधिक वह लोग शिकार बने थे जो बाबरी मस्जिद गिराने में शामिल थे| बजरंग दल के प्रमुख पदों पर रहे और बाबरी विध्‍वंस के मुख्य आरोपी 72 वर्षीय रमेश प्रताप सिंह का उनके निवास स्थान बेलाड़ी में 18 मई की शाम ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया। उनकी मौत से राजनीतिक गलियारे में मायूसी की लहर दौड़ पड़ी है। परिजनों की ओर से उनका अंतिम संस्कार अमहट स्थित कुवानो नदी पर आज

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बिहार प्रशासन और मुसलमान !

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जानें, बिहार प्रशासन में आख़िर कहाँ हैं मुसलमान! January 29, 2019 बिहार की कुल आबादी में मुसलमानों की संख्या सरकारी आंकरे के अनुसार 16.9% है जो कि 2015 के एनएसएसओ के अनुमान के अनुसार एक करोड़ 90 लाख होता है | Watan Wikas Organisation Like our facebook page Report as per  26 Jan 2019 अगर हम न्याय प्रणाली कि बात करें तो पटना हाईकोर्ट में कुल 27 जस्टिस नियुक्त हैं  जिसमें सिर्फ 01 मुसलमान हैं , आजादी से अबतक  पटना हाईकोर्ट में सिर्फ  02 मुस्लमान बतौर चीफ़ जस्टिस  , पटना हाई कोर्ट हुए हैं  । बिहार में  कुल 90 नियुक्त डिस्ट्रिक्ट & सेशन जज में सिर्फ़ 04 मुसलमान  हैं,  जिसमें बतौर 01 प्रिन्सिपल जज (फ़ैमिली कोर्ट, मुंगेर)ही मुख्य पोस्ट पे हैं  और उनका प्रमोशन भी वर्षों से लंबीत है । कुल नियुक्त [320 अडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (ADJ) में 16], [286 सिविल जज (सीन्यर डिविज़न) में 09], [503 सिविल जज (जून्यर डिविज़न) में 28], [11 रेलवे मजिस्ट्रेट में 1] मुसलमान हैं,    हालाकि आज से 20 साल पहले यह आंकरा  16-22 प्रतिशत था। वर्ष 2000 से पहले न्याय प्रणाली में

बिहार सरकार ने 145 इंस्पेक्टरों का प्रमोशन कर डीएसपी बनाया

बिहार सरकार ने 145 इंस्पेक्टरों का प्रमोशन किया है। यह सभी इंस्पेक्टर अब डीएसपी हो गए हैं। सभी 1994 बैंच के डीएसपी है। प्रमोशन को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। ये बने डीएसपी इसमें श्रीभगवान पासवान, सुनील कुमार दास, नवीन कुमार, अशोक कुमार आजाद,काशी नाथ मांझी, सत्यनारायण राम, सुरेंद्र पासवान, घूरण मंडल,त्रिपुरानी प्रसाद, जय प्रकाश सिंह, पंकज कुमार,जितेंद्र कुमार सिंह, मुकूल परिमल पांडेय, जय प्रकाश तिवारी, अतनु दत्ता,ममता प्रसाद, सुजीत कुमार, अजय कुमार,ओम प्रकाश, ओम प्रकाश सिंह, अरूण कुमार सुमन, अजय कुमार झा,मुकेश कुमार साहा,जाकिर हुसैन,आलोक कुमार, सुमन कुमार शर्मा, शुभेंद्र कुमार सुमन प्रभात कुमार शर्मा, देवेंद्र प्रसाद, संतोष कुमार समेत 145 शामिल हैं।
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गणतंत्र दिवस पर क्या ख़ौफ़ में रहते हैं मदरसों के छात्र? मोहम्मद शाहिद बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें What इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   इस पोस्ट को शेयर करें Twitter   साझा कीजिए स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के मौके पर सोशल मीडिया में कुछ ऐसी तस्वीरें वायरल होने लगती हैं जिनमें कुर्ता-पायजामा पहने, सिर पर टोपी लगाए और हाथ में तिरंगा झंडा लिए युवा या बच्चा दिखाई देता है. आम तौर पर ये छवि एक मदरसे के छात्र की समझी जाती है. भारत में मदरसों को केवल इस्लामी शिक्षा की एक संस्था के रूप में देखा जाता है. हालांकि, कई मदरसों में हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित और विज्ञान भी पढ़ाया जाता है. भारत में विभिन्न फ़िरकों (पंथ) के मदरसे हैं. इनमें सबसे बड़ा मदरसा उत्तर प्रदेश का दारुल उलूम देवबंद है. ADVERTISEMENT हाल में दारुल उलूम देवबंद ने अपने हॉस्टल के छात्रों से कहा था कि वे गणतंत्र दिवस की दो दिन की छुट्टियों में यात्रा करने से बचें. 'देश के सभी मदरसे बंद हों, नहीं तो मुसलमान चरमपंथी बन जाए