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हाईजीन की 8 बातें, जिनसे बचा सकते हैं मेडिकल बिल

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27 जून 2019 साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES ब्रिटिश रॉयल सोसाइटी फॉर पब्लिक हेल्थ (आरएसपीएच) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, लोगों को घर में गंदी दिखने वाली जगहों को साफ़ करने के साथ साथ हानिकारक कीटाणुओं को घर में फैलने से रोकने पर अधिक ध्यान देना चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार, हाथ, कपड़े और फ़र्श को समय पर धोना बीमारियों से बचा सकता है, लेकिन चार में से एक व्यक्ति इसे महत्वपूर्ण नहीं मानते. आरएसपीएच रिपोर्ट  के अनुसार, लोगों में गंदगी, कीटाणु, साफ़-सफ़ाई और स्वस्थ रहने के उपायों को लेकर भारी भ्रम है. संस्था ने 2000 लोगों का सर्वे किया जिसमें 23 प्रतिशत लोगों का मानना था कि बच्चों को गंदगी और कीटाणुओं का सामना करना चाहिए ताकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके. लेकिन इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि ये ख़तरनाक सोच है क्योंकि इससे कुछ हानिकारक संक्रमण के शिकार होने का भी ख़तरा होता है. वे कहते हैं कि इसकी बजाय लोगों को अपने घर में कुछ ख़ास समय में कुछ ख़ास जगहों की सफ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, भले ही वो साफ़ दिखती हों, ताकि कीटाणुओं को

#TabrezAnsari: मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ़ भारत के 50 से ज़्यादा शहरों में प्रदर्शन - सोशल

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27 जून 2019 साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट AFROZ ALAM SAHIL/FACEBOOK "सरकार लोगों से जबरन मुझसे प्रेम नहीं करवा सकती लेकिन वो मुझे पीटकर मार डालने से रोक सकती है." ये मार्टिन लूथर किंग जूनियर के शब्द हैं जो बुधवार को भारत के कई शहरों, कई इलाक़ों में गूंजे. वजह थी, झारखंड में मुसलमान युवक तबरेज़ अंसारी की मॉब लिंचिंग के विरोध में जगह-जगह हुए विरोध प्रदर्शन. कुछ दिन पहले 17 जून को झारखंड के घातकीडीह गांव में भीड़ ने तबरेज़ अंसारी नाम के एक युवक को कथित चोरी के शक में बिजली के पोल से बांधकर इतना पीटा था कि बाद में उनकी मौत हो गई थी. भीड़ ने इस अपराध का वीडियो भी बनाया था जो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया. वीडियो में देखा जा सकता है कि भीड़ तबरेज़ को पीट रही है और साथ ही उनसे 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' के नारे लगवाए. इस घटना की देश भर में निंदा हुई थी और इसी सिलसिले में बुधवार को मॉब लिंचिंग के विरोध में भारत के 50 से अधिक शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए. ये भी पढ़ें :  झारखंड में 'मॉब लिंचिंग' के बाद मुस्लिम युवक की मौत '&

ईरान-अमरीका तनाव और भारत की दुविधा

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES Image caption अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला ये साल 2001 की बात है, 11 सितंबर को हुए चरमपंथी हमले के बाद अमरीका ने एक नई रणनीति बनाई. कैंप डेविड में हुई मीटिंग में राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा था कि इस हमले से अधिक ख़तरनाक और क्या हो सकता है. जॉर्ज बुश की इस बात पर मीटिंग में मौजूद अन्य आला अधिकारियों ने कहा कि हमले में यदि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता, तो ये हमला और भी ख़तरनाक साबित होता. इस संभावित ख़तरे से निपटने के लिए तत्कालीन बुश प्रशासन ने एक व्यापक रणनीति बनाई जिसमें 'एक्सिस ऑफ़ इविल' (शैतानियत की धुरी) का ज़िक्र किया गया. इसमें ईरान, इराक़ और नॉर्थ कोरिया को अमरीका के लिए सबसे बड़ा ख़तरा माना गया. अमरीका को डर था कि ये तीनों देश परमाणु हथियार हासिल करने के बाद उन्हें अल-क़ायदा को मुहैया करा सकते हैं और तब अमरीका पर बहुत भयानक हमले हो सकते हैं. अमरीका की डेलवेयर यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों