Posts

मेघालय: CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान हिंसा में दो की मौत, तनाव और कर्फ़्यू

Image
सलमान रावी बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट DAVID/BBC मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में हुई झड़प के दौरान दो व्यक्तियों की मौत हो गई है. इसके बाद शहर में कर्फ़्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है. शनिवार की सुबह शिलॉन्ग के बड़ा बाज़ार इलाके में खासी छात्र संघ (केएसयू) के सदस्यों और ग़ैर-आदिवासी समूहों के बीच झड़प हुई जिसमें दोनों व्यक्तियों की मौत हुई. इनमें से एक मृतक की पहचान खासी यूनियन के नेता के तौर पर हुई है. ये झड़प नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के मुद्दे पर निकाले जा रहे एक जुलूस के दौरान हुई. विज्ञापन झड़प के दौरान हुई चाकूबाजी में कम से कम छह लोग घायल भी हो गए हैं. फ़िलहाल वहां स्थिति बहुत तनावपूर्ण है. इमेज कॉपीरइट DAVID/BBC प्रवासियों को बनाया जा रहा निशाना जुलूस में स्थानीय लोगों ने प्रवासियों को निशाना बनाया. इस घटनाक्रम के बाद व

'उन्हें हिंदू नहीं कह सकता...'उन्हें किसी धर्म से जोड़ना मैं ठीक नहीं समझता. मैं नहीं कह सकता कि हिंदुओं ने मेरे साथ ऐसा किया. ऐसा करने वाला न हिंदू हो सकता है और मुसलमान. हर धर्म प्यार-मोहब्बत और अमन का संदेश देते हैं..."

Image
दिल्ली हिंसा: इस फ़ोटो वाले मोहम्मद ज़ुबैर की आपबीती देबलिन रॉय बीबीसी संवाददाता 29 फरवरी 2020 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए 37 वर्षीय मोहम्मद ज़ुबैर की एक तस्वीर दिल्ली दंगों की त्रासदी का चेहरा बन गई है झक सफ़ेद कुर्ते-पजामे पर बिखरे ख़ून के छींटे. ज़मीन पर सिर के बल गिरा एक निहत्था युवक, जो अपने दोनों हाथों से सिर बचाने की कोशिश कर रहा है. सिर से बहते ख़ून में दोनों हथेलियां रंग गई हैं. वो चारों ओर से दंगाइयों से घिरा हुआ है. दंगाई डंडे, लाठियों और लोहे की रॉड से पीट रहे हैं. 37 वर्षीय मोहम्मद ज़ुबैर की यह तस्वीर दिल्ली दंगों की त्रासदी का चेहरा बन गई है. वो चेहरा, जिसके ज़ख़्म अनंत काल तक रिसते रहेंगे. वो चेहरा, जिसके जख़्म शायद कभी नहीं सूखेंगे. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के रहने वाले ज़ुबैर सोमवार को जब पास की मस्जिद में सालाना इज़्तमा में शामिल होने के लिए घर से निकले थे तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उनकी दुनिया कैसे बदलने वाली है. वो बत