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Kidney Disease & Homeopathic Treatment ( किडनी की बीमारियों के होम्योपैथिक इलाज़ )

किडनी फेलियर के लक्षण और होम्योपैथिक इलाज November 27, 2016, 12:53 PM IST डॉ. नीति श्रीवास्तव in होम्योपैथिक ब्लॉग | हेल्थ पिछले कुछ सालो में किडनी के रोगी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। कई बार सही जानकारी नहीं होने के कारण या देर से इलाज के कारण बहुत से रोगियों की मौत हो जाती है। मैंने एक छोटी सी कोशिश की है किडनी फेल होने के बारे में कुछ जानकारी देने कि ताकि समय पर रोगी को इलाज मिल सके और उसकी जिन्दगी को बचाया जा सके। क्या होता है किडनी फेल होना हमारे शरीर में दो गुर्दे यानी किडनी होती हैं। जिनका मुख्य काम रक्त को छान कर विषैले पदार्थों को मूत्र (urine) के द्वारा शरीर से बाहर करना हैं। इसके अलावा  किडनी के अन्य कार्य भी होते हैं जैसे ब्लड-प्रेशर को कंट्रोल करना, शरीर के इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) को बैलेंस करना, रेड ब्लड सेल के प्रॉडक्शन को स्टिम्युलेट करना। जब किडनी विषैले पदार्थों को किसी कारण से बाहर निकालने में असमर्थ होती है तो उसे किडनी फेल होना कहते हैं।  किडनी फेल होने के प्रकार ये मुख्यत: 2 प्रकार होते हैं ऐक्यूट रीनल फेलियर (Acute renal failure) जब अचानक स

हागिया सोफिया में नमाज़ पढ़ने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   इस पोस्ट को शेयर करें Twitter   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट BULENT KILIC/AFP VIA GETTY IMAGES तुर्की के इस्तांबुल में ऐतिहासिक हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने के बाद वहाँ पहली बार शुक्रवार को नमाज़ अदा की गई. यहां हज़ारों की संख्या में लोग नमाज़ अदा करने आए. बीबीसी तुर्की सेवा की संवाददाता नेरान एल्डेन बताती हैं कि तुर्की के कई शहरों से लोग यहां नमाज़ पढ़ने आए थे और अज़ान का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. हागिया सोफिया के आसपास घास में मैदानों पर लोगों ने नमाज़ अदा की. इस दौरान हागिया सोफिया के आसपास के इलाक़े में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. हालांकि कुछ लोग एक जगह पर पुलिस नाके को तोड़ते हुए हागिया सोफिया परिसर में घुस आए और वहां उन्होंने तुर्की का झंडा फहराया. तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन का इस्लामिक राष्ट्रवाद कैसे फैलाया जा रहा है? हागिया सोफ़िया को तुर्की में मस्जिद बनाने पर बोले पोप फ़्रांसिस इमेज कॉपीरइट EPA/TOLGA BOZOGLU इस्तांबुल के गवर्नर अली येर

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चीनी सैनिक पूरी तरह पीछे नहीं हटे, भारतीय सेना भी कर रही है तैयारी - प्रेस रिव्यू

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   इस पोस्ट को शेयर करें Twitter   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES एक सेना तभी लड़ सकती है, जब उसके पास खाने का पूरा सामना हो. लेकिन उसे विशेष कपड़ों, रहने के लिए बनाई गई जगह, तम्बू, ईंधन और उन सारे उपकरणों की भी ज़रूरत होती है, जिससे वो पूर्वी लद्दाख जैसे ऊँचे इलाक़े की ठंड झेल सके. द टाइम्स ऑफ इंडिया  अख़बार के मुताबिक़, भारतीय सेना ने ये लॉजिस्टिकल एक्सरसाइज़ बड़े पैमाने पर शुरू कर दी है, ताकि वो अपने सैनिकों को पर्याप्त विशेष राशन और दूसरे सामान पहुँचा सके. ये सब ऐसे वक़्त में किया जा रहा है, जब चीनी सैनिक अब तक पैंगोंग सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग से पूरी तरह से पीछे नहीं हटे हैं. बुधवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "अगर लद्दाख में आम तौर पर हर साल 30 हज़ार मिट्रिक टन राशन की ज़रूरत पड़ती है, तो इस साल वहाँ क़रीब दोगुना राशन की ज़रूरत होगी. क्योंकि वहाँ अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की गई है." इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बुधवार को कहा कि