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UP ! Daliton k sath yah kya ?

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सिख बनकर कैसे सिखों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर चलाया गया अभियान?

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  श्रुति मेनन और फ्लोरा कार्माइकल बीबीसी रियलिटी चेक और बीबीसी मॉनिटरिंग 24 नवंबर 2021 सोशल मीडिया पर खुद को सिख धर्म का अनुयायी बताते हुए विभाजनकारी एजेंडा आगे बढ़ाने वाले फ़र्ज़ी सोशल मीडिया खातों के एक नेटवर्क का पर्दाफाश किया गया है. बुधवार को प्रकाशित होने जा रही इस रिपोर्ट को बीबीसी के साथ साझा किया गया है. इस रिपोर्ट में उन 80 सोशल मीडिया खातों की पहचान की गयी है जिन्हें अब फ़र्ज़ी होने की वजह से बंद कर दिया गया है. सैनिकों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल से क्या हैं ख़तरे? सोशल मीडिया पर कोई आपत्तिजनक फ़ोटो डाले तो क्या करें लड़कियाँ? इस अभियान के तहत हिंदू राष्ट्रवाद एवं भारत सरकार के पक्ष को बढ़ावा देने के लिए फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम खातों का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट के लेखक बेन्जामिन स्ट्रिक को ऐसा लगता है कि इस नेटवर्क का उद्देश्य "सिखों की आज़ादी, मानवाधिकार एवं उनके मूल्यों जैसे अहम विषयों पर नज़रिये को बदलना था." बीबीसी ने भारत सरकार से इस पर अपना पक्ष मांगा है लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें कर्नाटक

सर्दियों में सस्ता रहने वाला टमाटर सौ के पार क्यों पहुंचा?

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  दिलनवाज़ पाशा बीबीसी संवाददाता एक घंटा पहले इमेज स्रोत, GETTY IMAGES भारत की अधिकांश जगहों पर सर्दियों के दिनों में टमाटर के भाव 15 से 20 रुपये प्रति किलो तक होते हैं. लेकिन इस साल भारत के कुछ शहरों में टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं. कई जगहों पर खुदरा बाज़ार में इसकी क़ीमतें 80 रुपये प्रति किलो से ऊपर हैं. कुछ दक्षिण भारतीय शहरों में तो क़ीमतें 120 प्रति किलो तक पहुंच गई हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार केरल में जहां क़ीमतें 90 से 120 रुपये प्रति किलो के बीच हैं वहीं राजधानी में क़ीमतें 90 से 110 रुपये प्रति किलो के बीच पहुंच गई हैं. कहा जा रहा है कि बारिश के कारण टमाटर की सप्लाई बाधित हुई है जिसके कारण इसकी क़ीमतें बढ़ रही हैं. एक तरफ जहां टमाटर के दाम बढ़ने से उपभोक्ताओं पर मार पड़ रही है वहीं किसानों ने कुछ राहत की सांस ली है. दरअसल अक्तूबर में बेमौसम हुई बरसात ने टमाटर की फसल को ख़राब कर दिया था जिससे किसानों को भारी नुक़सान हुआ. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें कृषि क़ानून की वापसी पर लखीमपुर खीरी के किसानों ने क्या कहा - ग्राउंड रिपोर्ट उत्तराखंड में एक के बाद