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बरी होते ही उसने रोते रोते कहा, ‘मुझे मेरे 10 साल चाहिये’, पढ़िये अब्दुल अजीम की कहानी
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ये कहानी है अब्दुल अजीम राजा की जिन्हे 10 साल बाद मुबंई की अदालत ने बाइज्जत बरी कर किया है.

मुंबई : ‘बात मई 2006 की है. मुझे मुबंई मे सरकारी नौकरी मिलने जा रही थी. मेरी खुशी का ठिकाना नही था. इस बीच मेरी शादी को लेकर फाईनल बात भी चल रही थी. जिससे मे बेइतंहा प्यार करता था उसी से मे शादी करने जा रहा था, घर वाले भी मान गये थे’.

24 साल की उम्र मे मुझे जिंदगी का सब कुछ मिल रहा था. लेकिन तभी मुंबई पुलिस की एंटी क्राइम ब्रांच (ATS) टीम के एक दस्ते ने मुझे गिरफ्तार कर लिया. अगले ही दिन देश के अखबारों ने मुझे सबसे बड़ा आतंकवादी बना डाला.

ये कहानी है अब्दुल अजीम राजा की जिन्हे 10 साल बाद मुबंई की अदालत ने बाइज्जत बरी कर किया है. अदालत से निकलने के बाद अब्दुल अजीम ने पत्रकारों को बताया कि जिंन्दगी के इन 10 सालो को अब कौन लौटायेगा, कौन शादी करेगा, कौन सरकारी नौकरी देगा, कौन समाज मे इज्जत देगा. 34 साल की उम्र मे अब्दुल अजीम को बेगुनाह का सर्टिफिकेट तो मिल गया लेकिन नौकरी देने को कोई राजी नही है.

अब्दुल अजीम ने मुबई ATS पर आरोप लगाया कि उन्होने मेरी जिंदगी का एक दशक वर्बाद कर दिया. जो 10 साल मैने जेल मे बिताये वो मेरी जिंदगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे. क्यो कि मैं अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करना चाहता था. मैं अपने परिवार के साथ सेटल होकर अपना करियर बनाना चाहता था. मुझे नही पता कि मेरे गिरफ्तार होने के बाद वो अब कहां है.

अब्दुल अजीम कहते है कि एक चीज मुझे हमेशा याद रहेगी. जब 2008 मे मेरे पिता का इंतकाल हुआ. तो मुझे जेल से पैरोल तक नही मिल सकी. और में अपने अब्बू के जनाजे मे भी शामिल नही हो सका. लेकिन मे शुक्रिया अदा करता हूं अपने भाई का जिनके NGO जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मुझे मुफ्त मे कानूनी मदद दिलाई.
http://www.worldnewshindi.com/india/man-acquitted-in-2006-aurangabad-arms-haul-case/

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