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खुल गई पोल ! मुस्लिम लड़कियों के द्वारा शिव मंदिर में जल चढ़ाने का मामला निकला फ़र्ज़ी

कांवड़ यात्रा: मुस्लिम लड़कियों के शिव मंदिर में जल चढ़ाने का सच



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सोशल मीडिया पर बुर्क़ा पहने हुए कांवड़ लेकर जातीं कुछ महिलाओं का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि 'हलाला और तलाक़ से बचने के लिए कुछ मुस्लिम महिलाओं ने झारखंड के देवघर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में जल चढ़ाया'.
इसी दावे के साथ फ़ेसबुक-ट्विटर पर बीते 48 घंटे में यह वीडियो सैकड़ों बार शेयर किया गया है और सात लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है.
वीडियो में दिखता है कि कुछ बुर्कानशीं महिलाएं कंधे पर कांवड़ रखकर एक क़ाफ़िले में शामिल हैं. इस क़ाफ़िले में दिख रहीं अन्य महिलाओं भगवा वस्त्र पहने हुए हैं.
एक मिनट के इस वीडियो को सोशल मीडिया पर जिन लोगों ने पोस्ट किया है, उन्होंने लगभग एक जैसा ही संदेश लिखा है.


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Image captionबीबीसी के सौ से ज़्यादा रीडर्स ने वॉट्सऐप के ज़रिये हमें यह वीडियो भेजा है और इसकी सच्चाई जाननी चाही

ये संदेश है, "हज़ारों मुस्लिम लड़कियाँ कावड़ लेकर चलीं देवघर जल चढ़ाने. उन्होंने हिन्दू लड़कों से शादी की मन्नत मांगी ताकि तीन तलाक़ से मुक्त हो सकें. भोलेनाथ इनकी मनोकामना पूर्ण करें."
लेकिन अपनी पड़ताल में हमने इस दावे को ग़लत पाया है. ये वीडियो झारखंड के देवघर ज़िले का नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के इंदौर का है.


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वीडियो की हक़ीक़त

रिवर्स इमेज सर्च से पता चलता है कि मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में साल 2015 और 2016, दो वर्षों तक लगातार एक विशेष कांवड़ यात्रा का आयोजन किया गया था जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस यात्रा का आयोजन मध्य प्रदेश की 'साझा संस्कृति मंच' नाम की एक संस्था ने किया था.
कई साल पहले हुई इस कांवड़ यात्रा के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए बीबीसी संवाददाता प्रशांत चाहल ने इस संस्था के संयोजक सेम पावरी से बात की.
उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो 14 अगस्त 2016 का है.


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सेम पावरी मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार में राज्यमंत्री पद पर रह चुके हैं और मध्य प्रदेश के अल्पसंख्यक आयोग से भी जुड़े रहे हैं.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि "दो वर्षों तक हमने इस सद्भाव कांवड़ यात्रा का आयोजन किया था. साल 2015 में क़रीब 1,300 मुस्लिम महिलाओं ने इसमें हिस्सा लिया था. जबकि वर्ष 2016 में चार हज़ार से ज़्यादा मुस्लिम महिलाएं इस यात्रा में आई थीं."
"दोनों ही बार ये यात्रा इंदौर शहर में आयोजित की गई थी. जिस कांवड़ यात्रा का वीडियो अब सोशल मीडिया पर ग़लत मैसेज के साथ सर्कुलेट किया जा रहा है, वो इंदौर के गांधी हॉल से शुरू होकर गोपेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक के साथ समाप्त हुई थी."
पारसी समुदाय से आने वाले सेम पावरी के अनुसार बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस कांवड़ यात्रा में मुख्य अतिथि थे और सभी धर्मों के कुछ धर्मगुरु इस यात्रा में शामिल हुए थे.


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एक सांकेतिक यात्रा

उन्होंने बताया, "हमने हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरुओं से बात करने के बाद ही इस यात्रा का प्रारूप तैयार किया था. हमने इसका पूरा ध्यान रखा था कि यात्रा में कुछ भी ऐसा न हो जिससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों. मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ लेकर क़रीब डेढ़ किलोमीटर की सांकेतिक यात्रा पूरी की थी जिसके बाद कांवड़ों को हिन्दू महिलाओं को दे दिया गया था ताकि वो मंदिर के भीतर जाकर जलाभिषेक कर सकें."
हमने सेम पावरी से पूछा कि जिस कांवड़ यात्रा को उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का संदेश देने के लिए आयोजित किया था, उस यात्रा का वीडियो अब धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे वो कैसे देखते हैं?
उन्होंने कहा, "ये बहुत ही अफ़सोसजनक है. जब हमने ये सांकेतिक यात्रा आयोजित की थी, तब भी लोगों ने कई सवाल खड़े किये थे. कई लोगों को ये विश्वास ही नहीं हुआ था कि मुस्लिम समुदाय के लोग इस तरह हिन्दुओं के धार्मिक आयोजन में हिस्सा ले सकते हैं. और यही वजह थी कि मुस्लिम महिलाओं को इस यात्रा में अपने वोटर कार्ड गले में लटकाकर आना पड़ा था."
बीबीसी हिंदी से साभार
https://www.bbc.com/hindi/india-49101004


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