असम में एनआरसी लिस्ट से बाहर बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाए: सरकार- पाँच बड़ी ख़बरें




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केंद्र सरकार ने कहा है कि असम में ऐसे किसी भी बच्चे को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा जिसका नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं है लेकिन उसके माता-पिता में से किसी का भी नाम लिस्ट में शामिल है.
सरकार ने एक ग़ैर-सरकारी संस्था सिटीज़न्स फ़ॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) की ओर से एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को ये जानकारी दी. संस्था ने ऐसे क़रीब 60 बच्चों के माता-पिता की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी.
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद ए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के सामने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील अपर्णा भट्ट ने कहा कि इन बच्चों के सारे काग़ज़ात अधिकारियों को दिखाए गए थे, लेकिन इन बच्चों के नाम एनआरसी में नहीं आ सके, लेकिन इन बच्चों के माता-पिता का नाम एनआरसी लिस्ट में है.
वकील ने अदालत से पूछा कि क्या अब इन बच्चों को डिटेंशन सेंटर में भेजा जाएगा?
इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की तरफ़ से आश्वासन दिलाया कि उन बच्चों को डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनी कमेटी ने असम में 31 अगस्त 2019 को एनआरसी की अपडेटेड लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट में क़रीब 19 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं थे.

केरल: स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई जाएगी संविधान प्रस्तावना




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केरल के स्कूल और कॉलेजों की असेंबली में जल्द ही छात्रों को संविधान की प्रस्तावना पढ़ाई जा सकती है. केरल सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कालीकट में एक छात्र कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा, ''संविधान की सुरक्षा की ज़रूरत के मद्देनज़र सामाजिक जागरूकता फैलान के लिए राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि स्कूल और कॉलेज की असेंबली में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जाए.''
केरल के कॉलेजों के छात्र संघ कई दिनों से ये माँग कर रहे थे कि ऐसे समय में जब संविधान और उसके मूल्य ख़तरे में हैं, संविधान की पढ़ाई पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए. सरकार ने उनकी माँगों के बाद ही ये फ़ैसला लिया है.

फ़िरोज़ाबाद: मृत आदमी को नोटिस भेजने पर पुलिस वाले हटाए गए




यूपी में सीएए को लेकर हिंसाइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

फ़िरोज़ाबाद में 20 दिसंबर को नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शन में शामिल होने वाले कई लोगों को पुलिस ने नोटिस भेजी थी. लेकिन पुलिस ने जिन लोगों को नोटिस भेजी थी उनमें एक नाम ऐसा भी था जिनकी मौत छह साल पहले हो चुकी थी.
बन्ने ख़ान छह साल पहले मर चुके हैं, उस वक़्त उनकी उम्र 94 बरस थी. पुलिस के अनुसार बन्ने ख़ान से शांति भंग होने का ख़तरा है.
मीडिया में ये ख़बर आने के बाद पुलिस और ज़िला प्रशासन की भारी किरकिरी हुई थी.
अब समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार एक सब-इंस्पेक्टर समेत तीन पुलिसवालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है. पीटीआई के अनुसार उन तीनों पुलिसकर्मियों को अपने पद से फ़िलहाल हटा दिया गया है.
20 दिसंबर को सीएए के ख़िलाफ़ यूपी के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान पुलिस की गोली से कम-से-कम 19 लोग मारे गए थे.



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निर्भया गैंगरेप: आज हो सकता है फांसी का ऐलान

दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले में चार दोषियों के लिए मंगलवार को फांसी की तारीख़ की घोषणा हो सकती है. भारतीय सुप्रीम कोर्ट दोषियों की दया याचिका पहले ही ठुकरा चुका है.
इससे पहले सोमवार को एक दोषी के पिता ने अपने बेटी की फांसी की सज़ा टलवाने की कोशिश की. मामले के इकलौते चश्मदीद के ख़िलाफ़ झूठी गवाही देने के आरोप में एफआईआर से जुड़ी उनकी मांग को अदालत ने ख़ारिज कर दिया.
निर्भया के माता-पिता शुरुआत से ही दोषियों के लिए फांसी की सज़ा की मांग करते आए हैं.

इराक़ से अमरीकी फ़ौज की वापसी की ख़बर का खंडन




इराक़ में तैनात अमरीकी फ़ौजइमेज कॉपीरइटAFP

अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने उन ख़बरों को ख़ारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि इराक़ में तैनात अमरीकी फ़ौज को वहां से हटा लिया जाएगा. एक अमरीकी सैन्य अधिकारी के एक ख़त के कारण इस तरह की बातें कहीं जा रही थीं.
उस ख़त में कहा गया था कि इराक़ी सांसदों ने अमरीकी सेना को इराक़ छोड़ने के लिए प्रस्ताव पारित किया है जिसके कारण आने वाले दिनों में अमरीकी सेना अपनी तैनाती में कुछ फेरबदल करेगी.
लेकिन रक्षा मंत्री के अनुसार ''इराक़ छोड़ने के बारे में अभी कोई फ़ैसला नहीं किया गया है.''
ईरान के एक शीर्ष सैन्य कमांडर जनरल क़ासिम सुलेमानी की अमरीकी हवाई हमले में हत्या के बाद से इराक़ में रह रहे अमरीकी सैनिकों पर ख़तरा बढ़ गया है.
साभार बीबीसी हिंदी
https://www.bbc.com/hindi/india-51015218

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