तालिबान ने कहा, कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज़ उठाने का उसे अधिकार- बीबीसी एक्सक्लूसिव

 


  • विनीत खरे
  • बीबीसी संवाददाता
तालिबान

इमेज स्रोत,SERGEI SAVOSTYANOV\TASS VIA GETTY IMAGES

इमेज कैप्शन,

सुहैल शाहीन

तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि उनके पास जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार है.

बीबीसी के साथ ज़ूम पर एक वीडियो इंटरव्यू में सुहैल शाहीन ने अमेरिका के साथ हुए दोहा समझौते की बात करते हुए कहा कि किसी भी देश के ख़िलाफ़ सशस्त्र अभियान चलाना उनकी नीति का हिस्सा नहीं है.

दोहा से बात करते हुए शाहीन ने कहा, "एक मुसलमान के तौर पर, भारत के कश्मीर में या किसी और देश में मुस्लिमों के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार हमारे पास है."

"हम आवाज़ उठाएँगे और कहेंगे कि मुसलमान आपके लोग है, अपने देश के नागरिक हैं. आपके क़ानून के मुताबिक वो समान हैं."

भारत कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा है, आलोचकों का कहना है साल 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत बढ़ी है, हालाँकि बीजेपी इन आरोपों से इनकार करती रही है.

जम्मू कश्मीर की स्वायत्ता ख़त्म करने का भारत का फ़ैसला और इसे लागू करने के तरीक़ों के कारण वहाँ रहने वाले कई लोग नाराज़ है.

कश्मीर पिछले चार दशकों से भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद का केंद्र रहा है. अब पाकिस्तान समर्थित तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा हो चुका है और भारत में कई लोगों को डर है कि तालिबान के कुछ धड़ों की नज़र जम्मू कश्मीर पर हो सकती है और इन्हें पाकिस्तान में मौजूद भारत विरोधी ताक़तों का समर्थन मिल सकता है.

पाकिस्तानी टीवी की एक बहस में, जिसका वीडियो काफ़ी शेयर किया जा रहा है, पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी पीटीआई की प्रवक्ता नीलम इर्शाद शेख कहती हुई दिख रही हैं, "तालिबान ने कहा है कि वो हमारे साथ हैं और वो कश्मीर (को आज़ाद कराने) में हमारी मदद करेंगे."

छोड़िए YouTube पोस्ट, 1
वीडियो कैप्शनचेतावनी: तीसरे पक्ष की सामग्री में विज्ञापन हो सकते हैं.

पोस्ट YouTube समाप्त, 1

भारत की बढ़ेंगी मुश्किलें?

अमेरिका के नेतृत्व में 2001 में तालिबान को बाहर निकाला गया था. इससे पहले भारत ने नॉर्दन अलायंस का समर्थन किया था, जो तालिबान के ख़िलाफ़ था.

20 साल बाद पाकिस्तान समर्थित तालिबान का फिर से सत्ता में आना भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि अशरफ़ ग़नी की सरकार के साथ भारत के अच्छे संबंध थे.

भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में ढाँचागत योजनाओं में करोड़ों का निवेश कर ख़ुद को एक सॉफ़्ट पावर की तरह स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन अब तालिबान के वापस लौटने के बाद डर है कि ये निवेश बेकार हो जाएँगे.

31 अगस्त को तालिबान के साथ हुई पहली आधिकारिक बातचीत में भारत ने अपनी चिंताएँ तालिबान के दोहा ऑफ़िस में शेर मोहम्मद अब्बास स्तनिकज़ई से साझा की.

मीटिंग में भारत ने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान की मिट्टी का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों या किसी तरह से आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए."

तालिबान

इमेज स्रोत,AAMIR QURESHI/AFP VIA GETTY IMAGES

भारत के लिए चुनना आसान नहीं

अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश खुलकर तालिबान से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन भारतीय अधिकारियों के लिए ये आसान फ़ैसला नहीं है.

अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान से बाहर जाने के बाद भारतीय की नीतियों पर कार्नेगी इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ बेहतरीन ट्रेनिंग और हथियारों से लैस तालिबान के हक्कानी समूह ने कथित तौर पर काबुल में भारत के दूतावास समेत भारतीय संपत्तियों पर हमले किए.

रिपोर्ट के मुताबिक, "आईएसआई और हक्कानी नेतृत्व के बीच कनेक्शन को देखते हुए ऐसा प्रतीत होते है कि फिर से एकजुट हुआ हक्कानी समूह भारत-विरोधी एजेंडे को जारी रखेगा."

शाहीन ने कहा कि हक्कानियों के ख़िलाफ़ आरोप महज़ दावे हैं. उन्होंने कहा, "हक्कानी कोई समूह नहीं हैं. वो अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी अमीरात का हिस्सा है. वो अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी अमीरात हैं."

तालिबान

इमेज स्रोत,AHMAD SAHEL ARMAN/AFP VIA GETTY IMAGES

भारतीयों के ज़ेहन में दिल्ली से काठमांडू जा रहे विमान के हाईजैक में तालिबान की भूमिका से जुड़ी बातें अभी ताज़ा है. उस विमान में 180 लोग सवार थे.

कार्नेगी की रिपोर्ट के मुताबिक, "ये (तालिबान) वही समूह हैं, जिसने आतंकवादियों को 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान हाईजैक के बाद पाकिस्तान पहुँचाने में मदद की थी."

लेकिन शाहीन का कहना है कि उस हाईजैक में तालिबान की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने अपनी तरफ़ से मदद की थी और भारत सरकार को इसके लिए शुक्रगुज़ार होना चाहिए.

वो कहते हैं, "भारत ने हमसे मदद मांगी थी क्योंकि विमान में ईंधन कम था और हमने बंधकों को छुड़ाने में भी मदद की थी."

शाहीन ने भारतीय मीडिया पर प्रोपेगैंडा फैलाने का आरोप लगाया.

दानिश सिद्दीक़ी

इमेज स्रोत,ANADOLU AGENCY/GETTY

इमेज कैप्शन,

दानिश सिद्दीक़ी

दानिश सिद्दीक़ी की हत्या

तालिबान के प्रवक्ता ने भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या के हालातों से जुड़ी किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया.

शाहीन ने कहा, "हमें नहीं पता कि वो किसकी गोलीबारी में मरे. वो एक झड़प थी. वहाँ गोलीबारी हुई थी."

पुलित्ज़र विजेता सिद्दीक़ी समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करते थे. वे अफ़ग़ानिस्तान सेना की एक टुकड़ी साथ थे, जिसपर तालिबान मे हमला किया था.

दानिश की हत्या के कुछ दिनों के बाद एक नागरिक ने बीबीसी को बताया था कि दानिश की लाश को तालिबान के लड़ाकों ने घेर रखा था और वो कह रहे थे कि उन्होंने "भारत के एक जासूस को पकड़कर मार दिया"

उस नागरिक ने याद करते हुए कहा था, "वो अभी भी वही कह रहे हैं."

शाहीन ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा, "लोग बेबुनियादी बातें करते हैं." उन्होंने कहा कि वो दानिश की हत्या की जाँच से जुड़ी सारी जानकारियाँ मीडिया से साझा करेगे.

सुहैल शाहीन ने पंजशीर घाटी के हालात को "तनावपूर्ण" बताया. वहाँ अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के नेतृत्व में तालिबान विरोधी गुट ने तालिबान से लड़ने का फ़ैसला किया है.

शाहीन ने उन खबरों को भी ख़ारिज किया, जिनमें कहा गया है कि तालिबान घर-घर जाकर अपने टार्गेट खोज रहा है और परिवार वालों को धमकियाँ दे रहा है.

उन्होंने दावा किया कि उनकी "कोई भी हिट लिस्ट नहीं है."

ये भी पढ़ें :-

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Magar Momino pe Kushada hain rahen || Parashtish karen Shauq se Jis ki chahein