इमाम और उनके हिंदू दोस्त ने लेस्टर तनाव के दौरान कैसे किया लोगों को शांत

 


  • जेरेमी बॉल
  • बीबीसी न्यूज़
अजय नागला (बाएं) और इमाम अहमद
इमेज कैप्शन,

अजय नागला (बाएं) और इमाम अहमद यहां के हाईफील्ड्स इलाके में ही पले बढ़े हैं

भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप में खेले गए क्रिकेट मैच के बाद ब्रिटेन के लेस्टर में हिंदू और मुसलमानों के बीच पैदा हुए तनाव के दौरान दो दोस्त लोगों को शांत करने में जुटे थे.

इनमें से एक हिंदू है तो दूसरा मुसलमान. ये दोनों बचपन के दोस्त हैं. उस मैच के बाद लेस्टर में हिंदू और मुसलमान समुदाय के बीच बना अशांति का माहौल 17 सितंबर को चरम पर था.

पुलिस लाइन्स और एक हिंदू मंदिर के बाहर इन दोनों समुदायों के लोगों ने एक दूसरे पर बोतलें फेंकीं. इसी दौरान इमाम अहमद और उनके बचपन के दोस्त अजय नागला ने तनाव को शांत करने की कोशिश की.

ये दोनों इसी शहर के हाईफील्ड्स इलाके में पले बढ़े हैं. इमाम ने बताया कि वे बेलग्रेव रोड पहुंच कर वहां माहौल को शांत करने की कोशिश में जुटे थे.

वे बताते हैं, "इसके बाद वहां और अधिक संख्या में मुस्लिम युवक जमा हो गए फिर माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया."

लाइन

लेस्टर की ख़ास बातें

लाइन

• हिंदू 14 प्रतिशत

• मुसलमान 18 प्रतिशत

• कुल आबादी 3.5 लाख

• बड़ी आबादी गुजराती भाषी

• अफ़्रीकी देशों से आए भारतीय मूल के शरणार्थी

लाइन
हमबरस्टोन रोड
इमेज कैप्शन,

तनाव के माहौल के दौरान पुलिस ने कई सड़कें बंद कर दीं

"झंडा जलाने की तैयारी कर रहे थे लोग"

इमाम कहते हैं, "एक युवक मेरे पास आया और उसने कहा कि मुझे लग रहा है कि कुछ लोग झंडा जलाने की कोशिश कर रहे हैं."

"तो मैं उस जगह पहुंचा और उन्हें ऐसा करने से रोका, मैंने उनसे कहा कि जो आप कर रहे हैं वो ग़ैर-इस्लामी है, ये ग़लत है और फिर मैंने क़ुरान की उन आयतों के बारे में बात की जो पूजा स्थल की सुरक्षा की बात करती है."

इमाम ने इस प्रकरण में शामिल लोगों को 'बेवकूफ' बताते हुए कहा कि वो 'बहुत गुस्से' में थे.

नागला बताते हैं, "उस भीड़ में से केवल कुछ ही लोग थे जो झंडे को उतार रहे थे और उनमें से एक ने तो आग तक जला ली थी."

"यहीं पर अहमद ने मामले को शांत करने की कोशिश की. मैं आगे बढ़ा और अपने हाथ से आग बुझाई. फिर कुछ देर के लिए मामला थोड़ा बिगड़ा लेकिन फिर वो शांत हुए."

बेलग्रेव रोड पर हिंदू मंदिर
इमेज कैप्शन,

बेलग्रेव रोड पर हिंदू मंदिर

'लोगों को सुरक्षित कारों तक पहुंचाया'

नागला ने बताया हैं कि अशांति के उस दौर में वो लोगों को उनकी कारों और घरों तक पहुंचने में भी मदद कर रहे थे.

वो बताते हैं, "रेस्टोरेंट मालिकों ने कुछ लोगों को अपने यहां पनाह दी क्योंकि हमने उन्हें ऐसा करने की सलाह दी थी."

वो कहते हैं, "मैंने और इमाम ने रेस्तरां मालिकों को यह आश्वासन दिया कि हम उन सभी लोगों को उनकी कारों तक सुरक्षित पहुंचने में मदद करेंगे."

नागला कहते हैं, "इनमें एक महिला भी थीं जो अपने तीन महीने के छोटे बच्चे के साथ घर वापस जाने से डर रही थीं."

तनाव के दौरान 16 पुलिस अधिकारी और पुलिस का एक कुत्ता घायल हुआ. अस्थायी चीफ़ कॉन्स्टेबल रॉब निक्सन बताते हैं कि पुलिस को लेस्टर के पूर्वी इलाके में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान भी 'आक्रामकता' का सामना करना पड़ा.

लेस्टर में महिलाएं
इमेज कैप्शन,

लेस्टर में एशियाई समुदायों की महिलाओं ने लोगों से शांति बरकरार रखते हुए एकजुट रहने का आह्वान किया है. उनका कहना है कि हाल में हुई इस घटना ने हमारे समुदाय को विभाजित किया है.

"चार दशक से साथ रह रहे"

इसके बाद क़रीब 100 लोगों का एक समूह रविवार, 18 सितंबर को एक अन्य प्रदर्शन में शामिल हुआ. इससे उपजी अशांति के दौरान क़रीब 50 लोग हिरासत में लिए गए, 158 केस दर्ज किए गए. नौ लोगों पर मामले दर्ज किए गए.

लेस्टर के मेयर ने इस पूरी समस्या के लिए ऑनलाइन दुष्प्रचार को ज़िम्मेदार ठहराया. एक व्यक्ति को इस 'उपद्रव' के लिए सज़ा सुनाई गई. उसने स्वीकार किया है कि वो सोशल मीडिया से प्रभावित हुआ था.

इमाम अहमद ने वहां मौजूद अपने दोस्त के बारे में कहा, "ये बहुत अच्छा था, इसने एकजुटता का संदेश दिया है."

नागला कहते हैं, "लेस्टर में हम बीते चार दशकों से एक साथ रह रहे हैं और हम किसी को भी इसके बीच में नहीं आने देंगे."

ये भी पढ़ें

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Magar Momino pe Kushada hain rahen || Parashtish karen Shauq se Jis ki chahein