ADHIKARION NE KIYA KHEL, BIHAR MEIN SUSASAN FAIL.

               इसे विडंबना  ही कहा  जायेगा के एक विकलांग  गरीब वैकति, KO INDRA आवास सरकार ने नहीं दिया  क्योंके  उसके एक रिश्तेदार के दोस्त ने  सुचना अधिकार अधिनियम २००५ के तहत  सुचना का मांग किया था, जबकि वह वैक्ति विकलांग , बेघर , बी पी एल  सूचि में उसका नाम दर्ज  था,स्मार्ट कार्ड  भी बना हुवा  है,
               ये उस राज की घटना है दोस्तों  जहाँ के मुख्मंत्री  अपने राज को भारस्चार  की लराई में देश को अगुवा बनाने  का खाब  रात दिन देख रहे हैं ,ऐसे में बिहार भारस्ताचार  चार के विरुद्ध  अगुवा तो दूर की बात है पिचलगुवा बनने  के लायक  भी नहीं रहेगा,
               मामला पुरबी चंपारण  के कल्यानपुर  ब्लाक के मनिच्प्रा  बहुआरा गांवो  से जुरा हुवा है ,नाम  मोहम्मद  कलामुद्दीन  जो उपरोक्त पंचायत के  वार्ड नंबर १ का निवासी है,  जिसके रिश्तेदार और उसके दोस्त  के सुचना अधिकार अधिनियम २००५ के तहत सुचना मांगने के कारण , उसके हक से वंचित सम्बंधित बी डी ओ  ने आला अधिकारिओं के आदेश पे  ये घिनौना काम को अंजाम दिया है,
                  कमाल की बात ये है के पिरित ने FAX  के जरिये सी एम् NITISH  कुमार   के PAAS SHIKYAT KARKE  पूरे  मामले  की  जाँच  की MAANG  की है ,LEKIN  ABTAK NATIJA  KUCH नहीं NIKLA है, LONGO का KAHNA है के जब NITISH कुमार  वाकई  में भ्रस्ताचार के विरुद्ध हैं तो पूरे  मामले की जाँच कराएं की सुचना जब आवेदक ने २००९ में माँगा तो अधिकारिओं ने जवाब २ साल बाद भी क्यों नहीं भेजा, क्या NITISH कुमार सिर्फ DIALOGOUE  ही मारते रहेंगे,YA BHARASTACHARIRON को SABAK भी SIKHAYEIN GAY ,ये बात लोग इसलिए कहरहे  केयोंकी  जब गर्बरी  नहीं हुयी तो अधिकारी २५००० का जुर्माना लगने के बाद भी सुचना नहीं भेजकर अधिकारी बताया जाता है के सुचना मांगने वालों को फंसने के लिए सरकार ने जाल बुनना सुरु करदिया है.

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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