मेराज की रात मस्जिद ए अल-अक्सा में अल्लाह के सभी पैगंबर एक ही समय में एक ही स्थान पर एकत्र हुए थे। सैय्यदीना मुहम्मद के आने से पहले अंबिया (AS) को मस्जिद अल-अक्सा में पहले ही इकट्ठा कर लिया गया था। अजान दिया गया और फिर अकामत बोला गया और फिर नमाज के लिए सफ बनाया गया. एक इमाम को आगे बढ़ने के लिए कहा गया। सैय्यदीना जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने सय्यदिना मुहम्मद (PBUH) को इमाम बनाया।
नमाज की दो रकअतें पूरी होने पर, सय्यदीना मुहम्मद से पूछा गया कि क्या उन्हें पता है कि मण्डली के सदस्य कौन थे। जब उन्होंने न में जवाब दिए, तो सैय्यदीना जिब्राईल (AS) ने उन्हें बताया कि आपने एक जमात या मंडली का नेतृत्व किया जिसमें हर एक पैगंबर शामिल थे जिसे अल्लाह (SWT) ने कभी पृथ्वी पर भेजा था। और इस तरह इस रात को जो हुआ वह सैय्यदीना मुहम्मद की स्थिति का अमली इजहार था.
जबकि मण्डली में अम्बिया में से कई फिलिस्तीन के लिए स्वदेशी या कहें तो यहां के मुकामी बासिंदे थे, अल-कुद्स के बावजूद सय्यदीना मुहम्मद इमाम के रूप में पहली पसंद थे जबकि ये इलाका उनकी मातृभूमि नहीं थी, उन्होंने अपने रूहानी अधिकार की पुष्टि की और निरूपित किया कि अल-अक्सा को अब उनका हिस्सा और मिशन का आंशिक हिस्सा माना जाएगा।
अल-अक्सा के संबंध में अम्बिया की सम्मानित सभा और उनके बरकत या आशीर्वाद पर तब्सिरह करते हुए, सैय्यदीना इब्न अब्बास रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं कि, “बैत अल-मुकद्दाद में एक इंच भी वो जगह नहीं है जहां पैगंबर ने इबादत नहीं की हो या फरिश्ते खड़ा नहीं हुए हों। ”
“गौरवशाली वह है जिसने पाक मस्जिद [मक्का में] से सबसे दूर मस्जिद अल अक्सा [यरूशलेम में] में रात तक अपने सेवक (पैगंबर मोहम्मद {PBHU}को मेराज पर ले जाने वाला जन्नत का एक जानवर बुराक) को रखा, जिसके आसपास हमने बरकत दिया है कि हम उसे कुछ हमारी निशानियां दिखा सके. बेशक वही अकेला सब सुनने वाला और देखने वाला है। “- (सुरह असरा, आयत नं 17:1)
सूरह असरा की यह आयत बुराक की विशेषता की पुष्टि करती है जैसा कि मस्जिद अल-अक्सा और उसके आसपास शाम (अब सिरिया) की व्यापक भूमि में बुराक ने सफर किया और इसका इंजॉव लिया।
अंबिया की सामूहिक इस ऐतिहासिक नमाज को मस्जिद अल-अक्सा के अंदर पढ़ा गया था, जिसमें मस्जिद के भीतर के सटीक स्थान को निर्दिष्ट करने के लिए कोई प्रत्यक्ष जानकारी उपलब्ध नहीं है, जहां से इसका नेतृत्व किया गया था। कुरान की आयत सुरह असरा में इसका जिक्र करते हुए, अल्लाह (SWT) ने अपनी मंजिल का उल्लेख मस्जिद अल-अक्सा के रूप में किया है।
अल अक्सा और डोम ऑप रॉक में कतई कन्फयूज न करेंयह मस्जिद की एक सम्मोहक परिभाषा प्रदान करता है, इसे गलत धारणाओं से अलग करते हुए कुछ वर्तमान में मस्जिद का गठन किया गया है. काले गुंबद वाली ‘जमी अल-क़िबली’ और सोने की परत वाली क़ुब्बत अल सखरा (Dome of the Rock) जैसी संरचनाएं असरा और मेराज के समय मौजूद नहीं थीं।
मस्जिद ए अक्सा से दुर दिखता डोम ऑफ रॉकइस प्रकार, अल-अक्सा का दिव्य संदर्भ अपनी सीमाओं के भीतर सब कुछ शामिल करता है, और इसकी पुष्टि यह है कि यह भूमि अल्लाह की बरकत से है और इसलिए इस मस्जिद की पवित्रता सभी को आकर्षित करती है।
सिमरन प्रजापति with Rekha Vinod Jain and 4 others Mon · क्या खुब लिखा है किसी ने ... "बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!" न मेरा 'एक' होगा, न तेरा 'लाख' होगा, ... ! न 'तारिफ' तेरी होगी, न 'मजाक' मेरा होगा ... !! गुरुर न कर "शाह-ए-शरीर" का, ... ! मेरा भी 'खाक' होगा, तेरा भी 'खाक' होगा ... !! जिन्दगी भर 'ब्रांडेड-ब्रांडेड' करने वालों ... ! याद रखना 'कफ़न' का कोई ब्रांड नहीं होता ... !! कोई रो कर 'दिल बहलाता' है ... ! और कोई हँस कर 'दर्द' छुपाता है ... !! क्या करामात है 'कुदरत' की, ... ! 'ज़िंदा इंसान' पानी में डूब जाता है और 'मुर्दा' तैर के दिखाता है ... !! 'मौत' को देखा तो नहीं, पर शायद 'वो' बहुत "खूबसूरत" होगी, ... ! "कम्बख़त" जो भी ...
करे गैर गर बूत की पूजा तो काफिर जो ठहराए बेटा खुदा का तो काफिर गिरे आग पर बहर सिजदा तो काफिर कवाकिब में मानें करिश्मा तो काफिर मगर मोमिनो पर कुशादा हैं राहें परस्तिश करें शौक से जिस की चाहें नबी को जो चाहें खुदा कर दिखाएं इमामों का रुतबा नबी से बढ़ाएं मज़ारों पे दिन रात नजरें चढ़ाएं शहीदों से जा जा के मांगें दुआएं न तौहीद में कुछ खलल इससे आये न इस्लाम बिगड़े न ईमान जाए । ( मुसद्दस हाली ) __________________________________________________ Padhne k baad kya Samjhe ? Agar Gair Boot ki Puja , Murti Puja , Yani ek khuda k Awala ki kisi Dusre ki puja kare to Kafir Eesha Alaihissalam ko manne wale Agar Ek Allah ki Parastish karne k sath Eesha Alaihissalam ko Khuda maan Liya to Fir bhi Kaafir Aag ki sijdah Jisne Kiya wah bhi kaafir ho gaya Falkiyaat Aur chaand aur sitaron k Wajud ko Allah ka banaya hua n maan kar Sirf Karishma maan liya to bhi Kaafir ... Lekin Musalmano ki Rahen Aasan aur Wasi kai...
Comments