नागरिकता संशोधन क़ानून: 'उबलने' लगा है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय


नागरिकता संशोधन क़ानून, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, एएमयूइमेज कॉपीरइटSAMIRATMAJ MISHRA/BBC
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र सड़कों पर उतर आए हैं. पिछले कई दिनों से इसका विरोध कर रहे छात्रों ने शुक्रवार को दिन भर नारेबाज़ी की और पुलिस प्रशासन के साथ उनकी रस्साकशी चलती रही.
दिल्ली के केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई पुलिस कार्रवाई पर आक्रोश जताते हुए एएमयू के छात्रों ने रविवार को भी प्रदर्शन किया.
छात्रों की भीड़ बाब-ए-सैयद द्वार पर परिसर का मुख्य गेट तोड़कर बाहर एएमयू सर्किल पर आ गई. पुलिस ने इन्हें पानी की बौछार से रोकने की कोशिश की तो छात्रों ने जमकर पथराव कर दिया. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद ने कहा कि यूनिवर्सिटी को 5 जनवरी तक बंद कर दिया गया है. हॉस्‍टल को खाली कराया जा रहा है. अलीगढ़ में इंटरनेट सेवा सोमवार रात 10 बजे तक बंद कर दी गई है.
रविवार रात को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस की कार्रवाई के ख़िलाफ़ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने प्रदर्शन किया है. इस घटना के बाद अलीगढ़ पुलिस ने ट्वीट किया है कि असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर कार्यवाही की जा रही है.
वहीं, शनिवार को भी छात्रों के अचानक मार्च करने की योजना की ख़बर लगते ही पुलिस और अर्धसैनिक बलों की चप्पे-चप्पे पर तैनाती कर दी गई है और विश्वविद्यालय जाने वाले रास्तों को बंद कर दिया गया है.
एएमयू में छात्रों का साथ देने के मक़सद से अध्यापकों ने भी शुक्रवार को मार्च किया और राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन दिया. शुक्रवार को छात्रों ने प्रदर्शन करने की घोषणा कर रखी थी जिसे देखते हुए भारी मात्रा में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान पहले से ही तैनात कर दिए गए थे.
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छात्रों ने घोषणा की थी कि वो ज़िलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाल कर डीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देंगे लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनसे परिसर के भीतर ही मार्च निकालने का अनुरोध किया था. परिसर के बाहर मार्च निकालने को लेकर ज़िला प्रशासन भी सख़्त था.
गुरुवार रात से ही इंटरनेट पर पाबंदी और शुक्रवार सुबह से ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पुलिस ने जिस तरह से घेराबंदी शुरू की उससे साफ़ लग रहा था कि उसे किसी अनहोनी की आशंका है. दोपहर बारह बजे के बाद पुलिस और प्रशासन की सक्रियता एएमयू के मुख्य द्वार यानी बाब-ए-सैयद द्वार पर बढ़ी और अंदर जाने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया गया.
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ज़ुमे की नमाज़ के बाद छात्रों का हुजूम एकाएक बाब-ए-सैयद द्वार पर इकट्ठा हुआ और नारेबाज़ी करने लगा. छात्र जहां गेट पर लगी बैरिकेडिंग लांघने की कोशिश में थे तो पुलिस उन्हें रोकने के लिए मुस्तैद थी. बैरिकेडिंग के उस ओर यानी विश्वविद्यालय परिसर के भीतर छात्रों का हुजूम था तो बाहर पुलिस और सुरक्षा बल के जवान तैनात थे.
अलीगढ़ के ज़िलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह और एसएसपी आकाश कुलहरि के नेतृत्व में प्रशासन के लोग लगातार छात्रों से अपील कर रहे थे कि वो क़ानून-व्यवस्था को बनाए रखें. लेकिन क़रीब दो घंटे की रस्साकशी के बाद इस गेट को खोल दिया गया और छात्रों को क़रीब दो सौ मीटर दूर एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक तक आने की छूट दे दी गई. अब छात्रों के प्रदर्शन और नारेबाज़ी का केंद्र यहां शिफ़्ट हो गया. एक सुरक्षा घेरा इससे क़रीब सौ मीटर आगे यूनिवर्सिटी सर्कल पर भी था.
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प्रदर्शन और नारेबाज़ी का ये सिलसिला घंटों चलता रहा. विश्वविद्यालय के चीफ़ प्रॉक्टर समेत तमाम अधिकारी ज़िले के प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों के साथ उन्हें रोकने की कोशिश करते रहे और ज्ञापन मांगते रहे लेकिन छात्र देने को तैयार नहीं हुए. इस दौरान काफ़ी देर तक मूसलाधार बारिश भी हुई. हालांकि, कंपकंपाती ठंड में हुई यह बारिश न तो छात्रों के उत्साह को कम कर पाई और न ही प्रशासनिक सक्रियता को.
गेट के भीतर नारेबाज़ी करते छात्र बेहद ग़ुस्से में थे. उनका आरोप था कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ज़रिए सरकार मुसलमानों को साथ भेदभाव कर रही है, उनसे उनकी नागरिकता और राष्ट्रीयता का प्रमाण लेने की कोशिश की जा रही है और भविष्य में उन्हें अपने ही देश में 'दोयम दर्जे का नागरिक' बनाने की साज़िश रच रही है.
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एएमयू के छात्र ग़ाज़ी यूसुफ़ ख़ान का कहना था, "हम लोग इस बात से डरे हैं कि न जाने किसकी नागरिकता कब ख़त्म कर दी जाए क्योंकि इस नए क़ानून के ज़रिए सरकार को मनमानी करने की पूरी ताक़त मिल जाएगी. दूसरी बात ये कि यह क़ानून पूरी तरह से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन और संविधान के मूल ढांचे को नष्ट करने वाला है."
लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने यह आश्वासन दिया है कि जो यहां के मूल नागरिक हैं, उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं, क्या इस पर आपको भरोसा नहीं है, इस सवाल के जवाब में असम के एक छात्र ने रुंधे गले से जवाब दिया, "सर भरोसा कैसे करें? मेरे यहां लोगों ने चार-चार सौ किमी दूर जाकर, घरों के मवेशी बेचकर डॉक्यूमेंट्स बनवाए. एनआरसी की ज़रिए मुसलमानों की तुलना में हिन्दुओं को ज़्यादा बाहर किया गया था. लेकिन अब हिन्दुओं के लिए सीएबी क़ानून बना दिया गया लेकिन मुसलमान तो नागरिकता से बेदख़ल कर दिया गया. ऐसे में हम कैसे इन पर भरोसा कर लें."
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शुक्रवार को शाम क़रीब चार बजे एएमयू अध्यापक संघ ने भी बाब-ए-सैयद गेट से एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक तक मार्च किया और छात्रों की मांगों के साथ एकजुटता दिखाई. एएमयू में अंग्रेज़ी की प्रोफ़ेसर समीना ख़ान ने इसकी वजह बताई, "मुद्दा ही ऐसा है कि हम सब साथ में हैं. कोई भी क़ानून जो भेद-भाव करने वाला हो, ग़ैर संवैधानिक हो, भले ही यह प्रत्यक्ष रूप से ग़ैर संवैधानिक न दिखे, लेकिन यदि उसकी नीयत ग़ैर संवैधानिक हो तो भी उसका विरोध होना चाहिए. शिक्षा संस्थानों और शिक्षकों का ये कर्तव्य है कि वो छात्रों को न सिर्फ़ सिलेबस पढ़ाएं बल्कि छात्रों के मस्तिष्क और उनके विचारों को इस तरह परिपक्व करें कि वो आगे जाकर समाज को अपना सकारात्मक योगदान दे सकें."
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शुक्रवार को एएमयू में प्रदर्शन कर रहे छात्रों में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही थे. राजनीति विज्ञान में बीए ऑनर्स कर रहे निशांत भारद्वाज का कहना था, "एएमयू में हम लोगों ने कभी हिन्दू-मुसलमान का भेद नहीं देखा लेकिन इस मुद्दे से ऐसा लग रहा है कि जैसे अपने ही देश में धर्म के आधार पर लोगों को ज़बरन विभाजित किया जा रहा है. पूरी तरह से ये हमारे संविधान के ख़िलाफ़ है. इसीलिए हम इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं."
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प्रदर्शन स्थल पर मौजूद ज़िलाधिकारी और एसएसपी छात्रों को लगातार समझाते रहे. प्रशासन ने एहतियात के तौर पर रात से ही इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं. छात्रों का कहना था कि वो प्रदर्शन को आगे भी जारी रखेंगे. हालांकि इस दौरान न तो विश्वविद्यालय की कक्षाएं स्थगित हुईं और न ही परीक्षाएं. विश्वविद्यालय के पीआरओ उमर पीरज़ादा कहते हैं, "लोकतांत्रिक तरीक़े से किए गए प्रदर्शनों को नहीं रोका जाएगा. छात्रों को यह बात समझा दी गई है लेकिन यदि किसी भी तरीक़े से कोई भी छात्र क़ानून से इतर जाकर कुछ करता है तो उसे दंडित किया जाएगा. इस मामले में हम छात्रों और ज़िला प्रशासन के भी शुक्रगुज़ार हैं कि उन्होंने काफ़ी सहयोग दिया."
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दरअसल, नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर देश के दूसरे हिस्सों की तरह अलीगढ़ में भी, ख़ासकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में विरोध हो रहा है. दो दिन पहले छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को भी इस बारे में एक पत्र भेजा था और पूछा था वो क्यों नहीं इसका विरोध कर रहे हैं?
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शुक्रवार को एएमयू के अलावा कुछ अन्य जगहों पर भी नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन हुए. एएमयू छात्रसंघ अध्यक्ष सलमान इम्तियाज़ कहते हैं जल्दी ही देश भर के छात्र और युवा एक साथ इसके ख़िलाफ़ आंदोलन करेंगे. सलमान इम्तियाज़ ने बीबीसी को बताया कि जल्द ही वो लोग इस मुद्दे पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं.
शुक्रवार को हुए प्रदर्शन के शांतिपूर्ण होने के बाद विश्वविद्यालय और ज़िला प्रशासन ने चैन की सांस भले ही ली हो लेकिन आंदोलन आगे भी जारी रहने की आशंका मात्र उनकी बेचैनी बढ़ा दे रही है.
वहीं, प्रशासन ने विश्वविद्यालय को पांच जनवरी तक बंद करने का फ़ैसला लिया है. प्रशासन का कहना है कि पांच जनवरी के बाद ही परीक्षाएं होंगी.

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