राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े किसान संघ का एमएसपी को लेकर प्रदर्शन

 


  • शुरैह नियाज़ी
  • बीबीसी हिंदी के लिए
किसान प्रदर्शन

बीते 20 दिनों से दिल्ली के सीमावर्ती इलाक़ों में किसान नए कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की माँग कर रहे हैं और सड़कों पर डटे हुए हैं. कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े किसान संघ भी नए क़ानूनों से ख़ुश नहीं हैं और वे इसमें संशोधन की बात कर रहे हैं.

हालांकि ये लोग दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन करने वाले किसानों के साथ शामिल नहीं हैं.

ऐसे में मंगलवार को मध्यप्रदेश के इंदौर- उज्जैन संभाग के किसान सड़क पर उतरे और कपास-मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) नहीं मिलने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.

इस प्रदर्शन का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने किया था. किसानों के मौजूदा प्रदर्शनों के बीच संघ से जुड़े किसानों ने पहली बार एमएसपी की माँग के साथ कोई सार्वजनिक प्रदर्शन किया है.

इस प्रदर्शन के साथ ही प्रदेश में किसानों को लेकर राजनीति तेज़ हो गई है. जहां भोपाल में आयोजित किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए कृषि क़ानूनों को क्रांतिकारी बताया वहीं कांग्रेस ने घोषणा की है कि किसानों के समर्थन और नए कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ वो भी सड़कों पर उतरेगी.

इंदौर- उज्जैन संभाग के किसानों के साथ मिलकर भारतीय किसान संघ के लोगों ने दो राजमार्गो में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया.

किसान प्रदर्शन

यह आयोजन धार ज़िले के खलघाट में राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा-मुंबई रोड और खंडवा ज़िले के छैगांवमाखन में इंदौर-इच्छापुर स्टेट हाईवे पर किया गया.

बीकेएस के मालवा प्रांत (इंदौर-उज्जैन संभाग) के अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने बीबीसी को बताया, "यह इलाक़ा कपास के लिए जाना जाता है. लेकिन किसानों के लिये कुछ भी व्यवस्था नहीं की गई है जिसकी वजह से किसानों को मजबूर होकर अपनी फ़सल को एमएसपी से नीचे बेचना पड़ रहा है."

हाईवे पर किसानों ने कुछ घंटों तक सड़क पर आवाजाही को रोक दिया. किसानों की कुल 24 माँगें है इनमें प्रमुख माँग है कि कपास को एमएसपी दर पर लिया जाना चाहिए और किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया मिले.

किसान प्रदर्शन

क्या है किसानों की माँग

भारतीय किसान संघ के उपाध्यक्ष दयाराम पाटीदार ने बीबीसी को बताया कि यह आंदोलन अभी ख़त्म नहीं किया गया है बल्कि स्थगित किया गया है. अगर माँग पूरी नहीं की जाती है तो इससे भी बड़ा आंदोलन किया जा सकता है.

दयाराम पाटीदार ने माँग की कि सरकार मक्का की फ़सल भी एमएसपी पर ख़रीदे. अभी तक मक्का की फ़सल को एमएसपी पर ख़रीदा नहीं जा रहा है.

यह प्रदर्शन ऐसे समय में आयोजित किया गया जब सरकार किसानों के लिए किसान सम्मेलन संभागीय मुख्यालयों में कर रही है ताकि किसानों को नए कृषि क़ानून के फ़ायदे बताए जा सकें.

निमाड़ क्षेत्र के खरगोन, धार, बड़वानी, खंडवा और बुरहानपुर ज़िलों के किसानों ने इसमें भाग लिया. सरकार जहां नये कृषि क़ानून को किसानों के हित में बता रही है उस वजह से इस प्रदर्शन ने प्रशासन के लिये मुश्किल खड़ी कर दी. प्रदर्शन के बाद धार कलेक्टर को किसानों ने अपनी माँगों के समर्थन में एक ज्ञापन भी सौंपा.

किसानों के आंदोलन को देखते हुए भारी सुरक्षा व्यवस्था क्षेत्र में की गई थी.

वहीं प्रशासन ने फ़ैसला किया है कि किसानों के साथ बैठकर बातचीत की जाएगी ताकि उनकी जो भी समस्या है उसका हल निकाला जा सकें. भोपाल में राज्य सरकार ने कृषि बिल को लेकर एक किसान सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि इस नये क़ानून से किसानों की ज़िंदगी में भारी बदलाव आएगा.

छोड़िए YouTube पोस्ट, 1
वीडियो कैप्शनचेतावनी: तीसरे पक्ष की सामग्री में विज्ञापन हो सकते हैं.

पोस्ट YouTube समाप्त, 1

छह महीने में 47 मंडियां बंद

किसानों के बढ़ते दबाव की वजह से शिवराज सिंह चौहान ऐसे क़दम उठा रहे हैं जिससे किसानों की नाराज़गी को कम किया जा सके.

शिवराज सिंह चौहान ने यह भी घोषणा की है कि 18 दिसंबर को किसानों के खाते में 1600 करोड़ रुपये डालेंगे जाएंगे. सरकार इसे फ़सलों के नुक़सान का मुआवज़ा बता रही है. यह पैसा दो क़िस्तों में किसानों के खाते में डाला जाएगा.

मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों को हिदायत दी है कि वो किसानों के बीच जाएं और चौपाल लगाएं ताकि किसानों को नये कृषि क़ानून के फ़ायदे पता चल सकें.

वही कांग्रेस ने भी सरकार का विरोध करने का फ़ैसला कर लिया है. किसानों के समर्थन में कांग्रेस पार्टी ने उपवास रखने का फ़ैसला कर लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ ही दूसरे कांग्रेस नेता इसमें शामिल होंगे.

छोड़िए YouTube पोस्ट, 2
वीडियो कैप्शनचेतावनी: तीसरे पक्ष की सामग्री में विज्ञापन हो सकते हैं.

पोस्ट YouTube समाप्त, 2

कांग्रेस पार्टी के नेता प्रदेश मुख्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक किसानों के समर्थन में उपवास रखेंगे. पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश में पिछले छह माह में ही 47 मंडिया बंद हो चुकी हैं.

पटवारी ने यह भी आरोप लगाया कि गेहूं की जो ख़रीदी की जा रही है वो समर्थन मूल्य पर नहीं हो रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के नेता लगातार किसानों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं, जो ग़लत है.

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Magar Momino pe Kushada hain rahen || Parashtish karen Shauq se Jis ki chahein