इस देश का निगेहबान क्या -क्या कर और करवा सकता है ? देखिये उदहारण नंबर -2

आई पी सी में धारा 511 तक का ही जिक्र ,पर पुलिस ने लगा दी 566 । जरा देखिये और खुद समझिये मुसलमानों का आरोप पुलिस के विरुद्ध लगता रहा है ,कितना दुरुस्त और सही है ? मुसलान वर्षों से कहता रहा इस्लाम और आतंकवाद दोनों का कोई ताल मेल ही नहीं ,बड़े बड़े दावे होते रहे , इस दावे को जब देश का एक इमानदार चौकीदार आईपीएस अफसर और देश का सच्चा निगेहबान हेमंत करकरे ने , जब देश और हिन्दू मुस्लिम एकता के असल दुश्मन चेहरों पर चढ़ी आतंकवाद के परदे को उठाते हुए मुसलमानों को जैसे ही क्लीन चीट दी , और मुसलमानों के आरोपों को जैसे ही सही साबित की उन्हें शहीद कर दिया गया , जिससे दुनिया खूब अच्छी तरह जानती है ..........।
लीजिये ,देखिये , पढ़िए , समझिये और सोंचिये के हमारे देश की जांच एजेंसियां और पुलिस कौन - कौन सी करतूत कर और करवा कर सकती है ?पेश है मिशाल नंबर -2 (अलोक कुमार ,दैनिक जागरण दिनांक 6/1/14) आई पी सी में धारा 511 पुलिस ने लगाईं 566. अपने कारनामों से हमेशा सुर्खी में रहने वाली पुलिस ने एक नया धमाका किया है । इंडियन पैनल कोड (आई पी सी ) में धारा 511 तक का ही उल्लेख है ,मगर पुलिस न एक मामले में लगा दी धारा 566 । यानी आई पी सी में नई धारा इजाद कर दी । इतना ही नहीं कोर्ट में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया । आरोप पत्र में आई पी सी से बाहर की धारा देखकर न्यायेधिश परीशान हो गए ,जज साहेब की परिशानी यह है कि वे किस धारा में आरोप गठित करें । पुलिसिया कारनामे से मामला न्यालय में लंबित है ।और आरोपी आर्थिक और मानसिक संकट झेल रहे हैं , 5 साल पूर्व संहौला के महेशपुर गाँव में प्रेमी युगल पकड़ा गया था । लोगों ने युवक का सर मुंडन कर कालिख पोती थी ।इस मामले में किशोर मंडल ने 9 /9/2008 को संहौला थाना में मामला दर्ज कराया था ।महेशपुर पंचायत के सरपंच ब्रजेश महाराज ,गणेश मंडल ,किसन मंडल व अजय मंडल को नामजद किया गया था ।आरोपियों पर तब धारा 341 ,342 ,323,354 ,386 ,387 ,504 ,506 ,34, लगाईं गई थी ,बाद में अनुसंधानकर्ता एस आई घन्शेयाम राय ने इसमें धारा 467 , जोड़ने के लिए सी जे एम् कोर्ट में आवेदन दिया ,न्यालय के आदेश पर राय ने मामले में उपरोक्त धारा जोड़ दी ब्रजेश व अजय को अग्रिम जमानत मिल गई थी । गणेश व किशन जेल भेजे गये थे ,पुलिस ने ब्रजेश ,गणेश ,व किशन के खेलाफ न्यालय में आरोप पत्र दाखिल किया ,ब्रजेश के मुताबिक़ अनुसंधान में आई ओ ने अरुण मंडल ,और शालिग्राम मंडल उर्फ़ शालों के नाम भी जोड़े ,दोनों को अप्राथ्मिकी आरोपी बनाया ,अरुण व सालों भी अग्रिम जमानत मिली थी ,बाद में आई ओ ने दोनों अप्राथ्मिकी आरोपियों समेत प्राथमिकी आरोपी अजय के खेलाफ अन्य धाराओं समेत धारा 566 लगा कर आरोप पत्र दाखिल कर दिया ,ख़ास बात यह है कि आरोप पत्र तभी दाखिल किया जाता है जब उसे देख कर एस एस पी अनुमति प्रदान करते हैं .........................!



उपरोक कहानी और खबर से स्पष्ट हो गया होगा कि ............ वर्दी पहनते वक़्त जो कसमें खाई जाती हैं , वो कसमें शायद याद रहते तो शायद ये नौबत न आती । मालेगांव ,मक्का मस्जिद ,हैदराबाद समझौत एक्सप्रेस और न जाने कौन कौन से एक्सप्रेस में हेमंत करकरे से खुलासे से पहले जिन अधिकारिओं ने जो कारनामे किये ,देश को गुमराह किये ,हिन्दू मुसलमानों में गलत जांच रिपोर्ट के आधार पर जो भ्रम फैलाई गई थी , इस बात की इजाज़त कौन धर्म देता है ? जब धर्म देता ही नहीं तो फिर ऐसे लोगों के विरुद्ध करवाई में कौन सी बाधाएं सामने आजाती हैं ।

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