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बढ़ेगी भारत की ताकत, इसी साल मिल सकता है रूस का एस-400 मिसाइल रक्षा सिस्टम

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  एजेंसियां , नई दिल्ली Last Modified: Wed, Aug 25 2021. 07:03 AM IST     भारत को साल 2023 तक रूस में निर्मित क्रिवाक श्रेणी का पहला जंगी जहाज मिल जाएगा। यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन (यूएससी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलेक्सी रखमानोव ने सोमवार को यह भरोसा दिलाया। इसके अलावा भारत को इस साल के आखिर तक रूसी मिसाइल रक्षा सिस्टम एस-400 भी मिलने की उम्मीद है। मॉस्को में आयोजित ‘आर्मी-2021’ को संबोधित करते हुए रखमानोव ने कहा, ‘कोरोना संकट के चलते क्रिवाक श्रेणी के जहाज के निर्माण में कुछ अड़चनें आईं। यह प्रोजेक्ट लगभग आठ महीने पीछे चल रहा है। भारत को 2023 के मध्य तक दो में से एक जहाज सौंप दिया जाएगा।’ देश से और  बढ़ेगी भारत की ताकत, इसी साल मिल सकता है रूस का एस-400 मिसाइल रक्षा सिस्टम Wed, Aug 25 2021. 07:03 AM IST    अब भी पूरा नहीं हुआ है पुलवामा का बदला, जिंदा है आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता समीर डार Wed, Aug 25 2021. 07:03 AM IST    राहुल से तीन घंटे मुलाकात के बाद भी नहीं सुलझा छत्तीसगढ़ कांग्रेस विवाद, सोनिया गांधी लेंगी आखिरी फैसला Wed, Aug 25 2021. 07:03 AM IST    अब व्हाट्सएप क

चीन बहुत खुश ।। #Subhramanyam_Swami

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अमेरिका की 'गोपनीय रिपोर्ट' में भारत को लेकर चीन की कड़ी आपत्ति

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  इमेज स्रोत, GETTY IMAGES भारत और चीन में जारी तनाव के बीच ट्रंप प्रशासन की एक कथित गोपनीय रिपोर्ट सार्वजनिक होने से हलचल बढ़ गई है. इस रिपोर्ट में अमेरिका की एशिया प्रशांत रणनीति की बात की गई है. अमेरिकी वेबसाइट एक्सिओस ने कहा है कि उसने उस रिपोर्ट की कॉपी देखी है, जिसमें अमेरिका अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत को आगे बढ़ाना चाहता है ताकि चीन से मुक़ाबला किया जा सके. एक्सिओस न्यूज़ के अनुसार साल 2018 की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन ने 10 पन्ने की एक रिपोर्ट तैयार की थी. इसमें इंडो-पैसिफ़िक इलाक़े में पिछले तीन सालों में चीन, भारत और उत्तर कोरिया के अलावा बाक़ी के देशों को लेकर रणनीति का ज़िक्र है. रिपोर्ट में अमेरिका की वैश्विक रणनीति और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए कई पहलुओं का ज़िक्र है. ज़ाहिर है अब 20 जनवरी के बाद इनसे बाइडन प्रशासन को निपटना है. इस दस्तावेज़ में चीन को चिंता के तौर पर रेखांकित किया गया है. इसके बाद उत्तर कोरिया को भी इसी रूप में देखा गया है. दस्तावेज़ की रणनीति में इस बात पर ज़ोर है कि चीन से मुक़ाबला करने के लिए इलाक़े के वैसे देशों से गठजोड़ करने की ज़रूरत