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एक माफिया पॉलिटिक्स को चला रहा है ?

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हिंदुओं और मुसलमानों ने जब दंगा करने के लिए मिलाया था हाथ

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  दिनयार पटेल इतिहासकार इमेज स्रोत, GETTY IMAGES इमेज कैप्शन, प्रिंस ऑफ वेल्स आज से ठीक 100 साल पहले ग़ुलाम भारत के बॉम्बे (अब मुंबई) में एक ऐसा दंगा हुआ, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे अलग तरह के दंगों में से एक माना गया. इस दंगे में हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे के ख़िलाफ़ लड़ने के बजाय एक साथ मिलकर लड़े थे. वहीं इनके विरोध में दूसरे समूह खड़े थे. इतिहासकार दिनयार पटेल आज के भारत को उस घटना से मिले सबक़ के बारे में बताते हैं. बॉम्बे का ये दंगा नवंबर 1921 में हुआ. प्रिंस ऑफ वेल्स दंगे के नाम से भी जाने जानेवाले इस दंगे को वैसे अब भुला दिया गया है. पर आज जैसे बंटे हुए वक़्त में धार्मिक असहिष्णुता और बहुसंख्यकवाद को लेकर यह दंगा देश को कई अहम सबक़ देता है. असहयोग आंदोलन के समय हुआ ये दंगा हिंसा की उन घटनाओं में आज़ादी की लड़ाई के एक हीरो, भावी ब्रिटिश सम्राट और पतनशील तुर्क सुल्तान कहीं न कहीं शामिल थे. साथ ही कई विचारधाराओं और लक्ष्यों, जैसे: स्वराज, स्वदेशी (आर्थिक आत्मनिर्भरता), बहिष्कार और पैन-इस्लामिज़्म को भी इसकी वजह बताया गया. विज्ञापन ब्रिटेन के प्रिंस ऑफ वेल्स (एडवर्ड आठवें) नवंबर 192

दिल्ली दंगा: पुलिस की वो "बेढंगी और हास्यास्पद" जाँच जिस पर लगा जुर्माना

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  सलमान रावी बीबीसी संवाददाता, नई दिल्ली इमेज स्रोत, GETTY IMAGES इमेज कैप्शन, सांकेतिक तस्वीर दिल्ली के पूर्वोत्तर इलाक़े में पिछले साल फ़रवरी में हुए दंगों के एक पीड़ित मोहम्मद नासिर की एफ़आईआर अब शायद दर्ज हो सके, इसके लिए उन्हें थानों और अदालतों के कई चक्कर लगाने पड़े. अब भी शायद इसलिए क्योंकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह अदालत के जुर्माने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत में अपील कर सकती है. अतिरिक्त सत्र न्यायधीश विनोद यादव ने मामले की सुनवाई के बाद पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस पर 25 हज़ार रूपए का जुर्माना लगाया है. उसी आदेश में जज ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से ये भी कहा है कि वो नासिर के मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों के ऊपर कार्रवाई करके अदालत को इसकी सूचना दें. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि नासिर के मामले में दिल्ली पुलिस की जांच "बेढंगी, लापरवाह और हास्यास्पद" है. आदेश में कहा गया कि नासिर ने जिन लोगों पर हमले का आरोप लगाया है, पुलिस के "अधिकारियों ने उनका बचाव करने के रास्ते बनाने की कोशिश की है." दिल्ली दंगे: अपने-अपने चश्मे, अपना-अपना सच दिल्ली ह