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देश किस तरफ जा रहा ?

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#Hindu_Muslim के बीच नफरत का #Real_MasterMind || Hindu हो या Musalman कभी लड़ना नहीं चाहते उन्हें तो लड़ाया जमाने से जाता रहा , ये घिनौना काम किसने और क्यों किया ? जवाब हाजिर है

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Dainik Bhaskar Gaya dt. 2.02.2024  नीचे दिए गए  वीडियो को पूरा देखिए , इन नफरत बाजों ने कब कब कौन से खेल खेले हैं समझ में आसानी होगी और भाईचारा कायम रखने में मदद मिलेगी ......

BJP नेता जी की कहानी सुनिए

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बीजेपी ने तमाम प्रलोभन देकर पार्टी में शामिल किया था. वह धोखेबाज़ पार्टी है. यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कोई विकल्प नहीं है. हम उनकी विकास योजनाओं में शरीक होना चाहते हैं. हमने टीएमसी को बदनाम किया है. हम टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. लेकिन अब घर लौटना चाहते हैं."

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  पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक रूप से माफ़ी क्यों मांग रहे हैं बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता? प्रभाकर मणि तिवारी बीबीसी हिंदी के लिए, कोलकाता से 15 जून 2021 इमेज स्रोत, SANJAY DAS/BBC इमेज कैप्शन, सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकर पर माफ़ी मांग कर टीएमसी में वापसी की गुहार लगाते बीजेपी नेता मुकुल राय की टीएमसी में वापसी के बाद ऐसे लोगों की भीड़ बढ़ गई है जो बीजेपी से टीएमसी में वापस लौटना चाहते हैं. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगते हुए टीएमसी में वापसी की गुहार लगा रहे हैं. ऐसी स्थिति क्यों हैं, इस पर बीजेपी के राज्य यूनिट के लोगों का कहना है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का आतंक. लेकिन टीएमसी का जवाब है कि लोगों को अब अपनी ग़लती का अहसास हो गया है. बीजेपी के बड़े नेताओं की वापसी या ऐसा करने के इच्छुक नेताओं की सूची लगातार लंबी होने के बीच ही राज्य के विभिन्न इलाकों में बीजेपी के ज़मीनी कार्यकर्ता भी टीएमसी में लौटने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए वो सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने के अलावा टीएमसी के प्रति निष्ठा की शपथ ले रहे ह

खुद से पूछें वोट क्यों दे रहे थे अच्छे प्रशासन के लिए या नफरत फैलाने के लिए

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  https://www.satyahindi.com/waqt-bewaqt/government-fails-to-fight-corona-bring-oxygen-and-vaccine-118437.html वक़्त-बेवक़्त ताजा खबरें सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें ख़ुद से पूछें, क्यों वोट दे रहे थे : प्रशासन के लिये या नफ़रत फैलाने के लिये?  कोरोना से लड़ने में सरकार क्यों नाकाम है, उसने क्यों पहले से तैयारी नहीं की, ये सवाल हैं। लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सरकार चुनते वक्त किसी ख़ास समुदाय के प्रति नफ़रत नहीं थी? सवाल उठा रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।  08:26:00 am - Apr 26, 2021 |  अपूर्वानंद - सत्य हिन्दी ADVERTISEMENT ‘आह! आपने इतनी लड़ाइयाँ लड़ीं, लेकिन कोरोना से हार गए!’;  ADVERTISEMENT वक़्त-बेवक़्त : बंगाल में वोट माँगने विरोधियों के घर गए; पूरे देश में ऐसा क्यों नहीं? ‘अन्ना आंदोलन’ के जनतंत्र विरोधी नुस्खे से ही आज बन रहे क़ानून! माओवादियों में साहस है तो दिमाग़ों के युद्ध क्षेत्र में उतरें प्रताप भानु मेहता का इस्तीफा: अंतहीन समझौतों के लिए खुलता रास्ता! दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार की साम्राज्यवादी लालसा हिंदू होने के लिए क्या अब नफ़रत और हिंसा ज़रूरी हो गई? ‘यह सब उस ऊपरवाले