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सदियाँ हुसैन की हैं ज़माना हुसैन का

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 आज आशुरा-ए-मुहर्रम है आज के ही दिन 1378 वर्ष पूर्व इराक के शहर कर्बला के मैदान में पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने अपने 72 प्रियजनों के साथ सत्य और न्याय तथा इस्लाम धर्म की रक्षा के लिए जो कुर्बानी दी थी उसे भुलाया नहीं जा सकता उन्होंने अपने और 72 लोगों को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दिया था और ये संदेश दिया था कि तुम जियो तो सिर्फ अल्लाह के लिए और करो तो उसी के लिए, इसलिए कि सबसे मुलवान जीवन वह है जो अल्लाह की राह में कुर्बान कर दी जाए।  मनुष्यता और न्याय के हित में अपना सब कुछ लुटाकर भी कर्बला में हजरत इमाम हुसैन ने जिस अदम्य साहस की रोशनी फैलाई, वह सदियों से न्याय और उच्च जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ रहे लोगों की राह रौशन करती आ रही है। कहा भी जाता है कि ‘कत्ले हुसैन असल में मरगे यजीद हैं ध् इस्लाम जिन्दा होता है हर कर्बला के बाद।‘ इमाम हुसैन का वह बलिदान दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ही नहीं, संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। हुसैन महज मुसलमानों के नहीं, हम सबके हैं।   इस्लाम के प्रसार के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में एक बार राष्

मैदान-ए-अराफ़ात में आख़री नबी नबी-ए-रहमत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने 9 जिलहिज 10 हिजरी 7 मार्च 632 ईस्वी को आख़री ख़ुत्बा दिया !!

  आइये इस ख़ुत्बे की अहम निकात को दुहरा लें क्योंकि हमारे नबी सल्लल्लाहू अलैहि व्सल्लन ने कहा था मेरी इन बातों को दूसरों तक पहुचाएं !!  बहुत अहम संदेश दिया था। गौर से पढे हर बात बार बार पढे सोचे कि कितना अहम संदेश दिया था !! 1. ऐ लोगो ! सुनो, मुझे नही लगता के अगले साल मैं तुम्हारे दरमियान मौजूद रहूंगा , मेरी बातों को बहुत गौर से सुनो, और इनको उन लोगों तक पहुंचाओ जो यहां नही पहुंच सके !! 2. ऐ लोगों ! जिस तरह ये आज का दिन ये महीना और ये जगह इज़्ज़त ओ हुरमत वाले हैं, बिल्कुल उसी तरह दूसरे मुसलमानो की ज़िंदगी, इज़्ज़त और माल हुरमत वाले हैं। ( तुम उसको छेड़ नही सकते ) 3. ज़ुबान की बुनियाद पर , रंग नस्ल की बुनियाद पर ताअसुब में मत पड़ जाना , काले को गोर पर और गोर को काले पर , अरबी को अजमी पर और अजमी को अरबी पर कोई फ़ौकीयत हासिल नहीं !! लोगों के माल और अमानतें उनको वापस कर दो।  4. किसी को तंग न करो, किसी का नुकसान न करो, ताकि तुम भी महफूज़ रहो।  5. याद रखो, तुम्हे अल्लाह से मिलना है, और अल्लाह तुम से तुम्हारे आमाल के बारे में सवाल करेगा।  6. अल्लाह ने सूद(ब्याज) को खत्म कर दिया, इसलिए आज से सारा सूद खत्

मौलाना उमर गौतम ( Maulana Umar Gautam ) पर लगे आरोपों में कितना दम ? (Part 3)Ek Tarah se kya sabit Nahin hone Laga Mazhab E Islam Apni khushiyon se Khood Puri Dunia mein Faila ?

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मुसलमानों से निवेदन है ....

 अगर कोई नाम निहाद मौलाना आपके  मास्क लगाने पर सवाल खड़ा करते हुए आपके ईमान को कमजोर साबित  करने की कोशिश करे तो जरा ऐसे मौलानाओं से  पूछना  कि जब बीवी बाल बच्चे बीमार होते हैं तो डॉक्टरों के पास क्यों जाते हो ? खुद हल्की सी छींक आते ही  तुम्हारी नींद क्यों उड़ जाती है ? तुम्हारा मजबूत ईमान को उस वक़्त घुन क्यों लग जाता है ? ये तो बहुत ही मामूली बात और सवाल है , लिहाज़ किया जा रहा है , ताकि आइंदा बोलने से पहले सोंचों । कम पढ़े लिखे लोगों के पास उल्टी सीधी बात कर वाहवाही लूटने वाले ऐसे मौलानाओं को नहीं पता होता कि जब तुम्हारी बातों की पकड़ साइंस और सही हदीस के हवाले से होने लगेगी तो , अगवारे गिला और पछवारे पिला होने अलावा कुछ नहीं बचेगा । फिर मुँह दिखाने के लायक भी नहीं रहोगे । बात तो कभी कभी खूब बनाते हो ,  क़ुरआन, इस्लाम  और विज्ञान  इन सभी में आपस में खूब रिश्ता जोड़ते हो , संबंध जोड़ने में पीछे नहीं हटते । दुनिया को बताने की कोशिश खूब करते  हो कि विज्ञान , क़ुरआन में तरह तरह से सोध (रिसर्च ) के फलस्वरूप आया । दूसरी तरफ इसी क़ुरआन में रिसर्च  से पैदा हुए विज्ञान पर अमल करने वाले , इस्लाम और विज

बड़े से बड़े शिक्षित और स्कॉलर इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मन तो सरेंडर कर जा रहे इस्लाम की असलियत जानने के बाद ।।

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एक पंडित जी का इस्लाम मजहब अपनाने की कहानी ....

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Deepak Malhotra ki Zindagi mein Islam kaise Aaya ? Click kar dekhein pura video

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