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पेट्रोल-डीज़ल पर सरकार की कमाई कितनी होती है?

  यहां यह जानना बेहद ज़रूरी है कि आखिर यूपीए सरकार के दौरान जारी किए गए जिस ऑयल बॉण्ड के भुगतान की सरकार बार बार दुहाई दे रही है आखिर वो केंद्र सरकार हर साल पेट्रोल और डीज़ल पर एक्साइज़ ड्यूटी से कमाती कितना है? मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के पहले वर्ष यानी 2014-15 के दौरान एक्साइज ड्यूटी से पेट्रोल पर 29,279 करोड़ रुपये और डीज़ल पर 42,881 करोड़ रुपये की कमाई की थी. लेकिन इसी वर्ष मार्च में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने लिखित जवाब में बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों के दौरान पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स से कमाई बढ़कर 2.94 लाख करोड़ हो गई है. यह वो वर्ष है जब कोरोना महामारी की वजह से देश में लंबी अवधि के लॉकडाउन लगाए गए और पेट्रोल-डीज़ल की ख़पत कम हुई. अब यहां ये हिसाब करने की ज़रूरत है कि केंद्र सरकार को 1.31 लाख रुपये के ऑयल बॉण्ड के मूलधन के रूप में तेल कंपनियों को देने हैं, इसमें ब्याज़ भी लगेगा और यह रक़म दोगुनी हो सकती है. तो भी 2.62 लाख रुपये या इससे ज़्यादा/कम देना होगा. साफ़ है कि ये रक़म केंद्र सरकार क

डीजल और पेट्रोल ||जीएसटी के मुताबिक अगर टैक्स लगे तो पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें लगभग आधी हो जाएंगी || क्या केंद्र सरकार कीमतें घटाएगी? ।।

  क्या केंद्र सरकार कीमतें घटाएगी? मूडीज़ समर्थित प्रमुख रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने शुक्रवार को कहा है कि केंद्र सरकार को पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स कम करने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उसका कहना है कि केंद्र चाहे तो वो बग़ैर घाटा उठाए पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में कम से कम 4.50 रुपये तक टैक्स कम कर सकती है. टैक्स कम करने से सरकार की कमाई कम कैसे नहीं होगी, ये उसने एक गणना के ज़रिए बताया. एजेंसी ने कहा कि इससे पेट्रोल पंप पर कीमतें कम होंगी और आम आदमी को राहत मिलेगी. लेकिन जानकारों के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से सरकार का ख़र्च बहुत बढ़ गया है. ऐसे में अपना ख़जाना बढ़ाने के साथ ही राजकोषीय घाटे को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स कम नहीं कर रही है. भारत कच्चे तेल का आयात करने वाला (अमेरिका और चीन के बाद) दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. पेट्रोल, डीज़ल और शराब, सरकार की कमाई के सबसे बढ़िया ज़रिया हैं. यही कारण है कि बार बार यह मांग उठने के बावजूद सरकार ने इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है ताकि इस पर टैक्स को अपने अनुसार घटा बढ़ा सके और इसके लिए उसे जी