पिछले साल 24 मार्च की शाम को प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन लगाते समय कहा था कि जान है तो जहान है. लेकिन इस बार जबकि दूसरी लहर जानलेवा और भीषण है, प्रधानमंत्री लॉकडाउन से क्यों कतरा रहे हैं?
कोरोना: लॉकडाउन पर असमंजस में मोदी, जान बचाएँ या अर्थव्यवस्था? ज़ुबैर अहमद बीबीसी संवाददाता 31 मिनट पहले इमेज स्रोत, GETTY IMAGES भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बड़ी तादाद में हो रही मौतों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने का दबाव बढ़ता जा रहा है लेकिन सरकारी अधिकारियों का कहना है कि फ़िलहाल केंद्र सरकार देशभर में सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू करने के पक्ष में नहीं है. विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसकी वकालत करते हुए मंगलवार को कहा, "कोरोना के प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका एक पूर्ण लॉकडाउन है- कमज़ोर वर्गों के लिए 'न्याय' की सुरक्षा के साथ." छोड़िए Twitter पोस्ट, 1 पोस्ट Twitter समाप्त, 1 न्याय से उनका आशय 'न्यूनतम आय योजना' से है, कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले कहा था कि अगर वह चुनाव जीती तो इस योजना को लागू करेगी. भारत के कई राज्यों ने अपने स्तर पर लॉकडाउन लागू किया है. मिसाल के तौर पर मंगलवार को छत्तीसगढ़ की सरकार ने अप्रैल की शुरुआत से लगे लॉकडाउन को 10 दिन के लिए और बढ़ा दिया है, अब राज्य में 15 मई तक