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ऐसा इंसाफ जिस की खुशबू देश ने महसूस किया ।

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सदफ़ जफ़र की आपबीती: पुलिसवालों ने गंदी गालियां दीं, बाल पकड़कर थप्पड़ मारे

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समीरात्मज मिश्र लखनऊ से, बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट SADAF JAFAR/FACEBOOK Image caption सदफ़ जफ़र लखनऊ में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान जेल भेजी गईं कांग्रेस नेता और अभिनेत्री सदफ़ जफ़र ने गिरफ़्तारी से पहले हिरासत के दौरान पुलिस पर उनके शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है. सदफ़ जफ़र को 19 दिसंबर को लखनऊ में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद गिरफ़्तार किया गया था. बीबीसी से बातचीत में सदफ़ जफ़र ने बताया कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने उन्हें न सिर्फ़ अश्लील गालियां दीं बल्कि बुरी तरह से मारा-पीटा भी. वो बताती हैं, "हजरतगंज के महिला थाने में मुझे एक पुलिस अधिकारी के कमरे में ले जाया गया. अधिकारी ने देखते ही गालियां देनी शुरू कर दीं और कहा कि तुम लोगों को क्या कमी है जो इतना बवाल काट रहे हो? तुम लोग खाते यहां को हो और गाते वहां की हो. फिर उसने मेरे बाल पकड़ कर सिर नीचे झुका दिया और थप्पड़ भी मारा." 19 दिसंबर को शाम स

#UP_Police ही दंगाई बन गई है ! हर्ष मंदर

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इंसाफ .....? मुज़फ़्फ़रनगर में 11 दिन बाद रिहा हुए 'ग़लती से पकड़े गए' फ़ारूक़

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मुज़फ़्फ़रनगर में 11 दिन बाद रिहा हुए 'ग़लती से पकड़े गए' फ़ारूक़ समीरात्मज मिश्र बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट YOGESH TYAGI नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के मामले में मुज़फ़्फ़रनगर में पुलिस ने चार ऐसे लोगों को भी गिरफ़्तार कर लिया था जिन्हें बाद में ये कहते हुए रिहा कर देने की अपील की कि इन लोगों को ग़लती से पकड़ लिया था. गिरफ़्तार लोग अपनी बेग़ुनाही का सबूत देते रहे लेकिन जब तक पुलिस अपनी ग़लती मानती, तब तक 11 दिन ये लोग जेल में काट चुके थे. गिरफ़्तार लोगों में मुज़फ़्फ़रनगर के ही रोज़गार कार्यालय में क्लर्क के रूप में तैनात मोहम्मद फ़ारूक़ भी थे. 20 दिसंबर को पुलिस ने तमाम लोगों के साथ इन्हें भी गिरफ़्तार किया था. मुज़फ़्फ़रनगर में कुल 73 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस अब जेल में डाले गए लोगों में से निर्दोषों को पहचानने का काम कर रही है. इसी के तहत चार लोगों को निर्दोष मानते हुए उनकी रिहाई की

CAA विरोध प्रदर्शन: क्या दहशत में हैं यूपी के मुसलमान- ग्राउंड रिपोर्ट

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विकास पांडे बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES नए नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शनों में उत्तर प्रदेश सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाक़ा रहा है. 20 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से राज्य में 19 लोगों की जान चली गई. बीबीसी संवाददाता विकास पांडे ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में जाकर ये जानने की कोशिश की कि आख़िर राज्य में इतने बड़े स्तर पर हिंसक विरोध प्रदर्शन होने के पीछे वजहें क्या हैं और क्या दहशत में हैं यूपी के मुसलमान? कानपुर शहर में बापूपुरवा की संकरी गलियों से होते हुए मैं मोहम्मद शरीफ़ के घर पहुंचा. वह एक टीन की छत वाले छोटे से घर के बाहर बैठे थे. ये सिर्फ़ एक कमरे का घर था जो दिन में रसोई और रात में सोने के कमरे के तौर पर इस्तेमाल होता है. वो उठे, मुझे गले लगाया और फिर फूट-फूट कर रोने लगे. कुछ मिनट इस गंभीर शांति में ही बीत गए. फिर अपने आंसू पोछते हुए उन्होंने कहा, "मैंने सबकुछ