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विकास दुबे उज्जैन के महाकाल मंदिर में गिरफ़्तार, जल्द सौंपा जाएगा यूपी पुलिस को

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समीरात्मज मिश्र बीबीसी हिन्दी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट MP POLICE HANDOUT कानपुर में आठ पुलिकर्मियों की हत्या के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ़्तार कर लिया गया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्य प्रदेश पुलिस विकास दुबे को जल्द ही उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप देगी. इस बारे में उनकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हो चुकी है. शिवराज सिंह चौहान ने भी विकास दुबे को गिरफ़्तार करने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस को बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया है, "जिनको लगता है कि महाकाल की शरण में जाने से उनके पाप धुल जाएंगे उन्होंने महाकाल को जाना ही नहीं. हमारी सरकार किसी भी अपराधी को बख़्शने वाली नहीं है." इससे पहले मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने विकास दुबे की गिरफ़्तारी की पुष्टि की लेकिन ज़्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया. null और ये भी पढ़ें विकास दुबेः गिरफ्ता

कोई छूटभैय्ये अपराधी आतंवादी कैसे बन जाते हैं ? उसमें सत्ता और खाकी वर्दी की भूमिका कहाँ तक होती है ? देखिये देश की बात और रवीश कुमार के साथ ।

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तय 'वेतन' पर चरमपंथियों के लिए काम करते थे देविंदर सिंह: प्रेस रिव्यू

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31 जनवरी 2020 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट PTI भारत प्रशासित कश्मीर में चरमपंथियों की सहायता करने के आरोप में बर्खास्त चल रहे पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह को चरमपंथी संगठन से 'तय वेतन' मिलता था. इंडियन एक्सप्रेस  की ख़बर के मुताबिक़, एक पड़ताल करने वाले के हवाले से अख़बार लिखता है कि वह ना सिर्फ़ नावेद को परिवहन और आश्रय देने के लिए बल्कि पूरे साल सहायता देने के लिए भी पैसे ले रहे थे. इंडियन एक्सप्रेस ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि जिस समय उन्हें गिरफ़्तार किया गया वो नावेद को लेकर जम्मू जा रहे थे. जहां उसे ठंड भर रहना था. उसके बाद वे (नावेद और आसिफ़) पाकिस्तान जाने वाले थे. अधिकारी के हवाले से अख़बार लिखता है कि उस रास्ते की जांच की जा रही है जिस रास्ते से वे पाकिस्तान जाने वाले थे. देविंदर इस काम के लिए 20 से 30 लाख रुपये की मांग कर रहे थे और अभी उन्हें पूरी रक़म नहीं मिली थी. इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES मेरे पद्मश्री से मेरे पिता का