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कमलेश तिवारी हत्या की जांच को जान बूझ कर भटकाने की कोशिश ? पुलिस के दावे में कितनी सच्चाई? वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं, "जिस तरह से डीजीपी ने इस मामले को सुलझाने का दावा करते हुए इसे ख़त्म करने की कोशिश की है, उससे लगता है कि कुछ ज़्यादा ही जल्दबाज़ी दिखाई जा रही है. उनके बयान से साफ़ पता चलता है कि उसे एक ख़ास दिशा में मोड़ने की कोशिश हो रही है जबकि परिजनों के आरोपों से साफ़ तौर पर पता चलता है कि इसके पीछे आपसी रंज़िश और ज़मीनी विवाद से इनकार नहीं किया जा सकता." सुभाष मिश्र कहते हैं, "जिन लोगों ने एक सँकरी जगह पर जाकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी, उसे पुलिस ढूंढ नहीं पा रही है जबकि उसके पास सीसीटीवी फुटेज हैं, नौकर भी पहचानता है, दूसरे अन्य साक्ष्य भी मौजूद हैं. लेकिन एक ही दिशा में पुलिस अपनी तफ़्तीश को केंद्रित रखे है और वहीं से उसे ख़त्म भी करना चाह रही है."
कमलेश तिवारी हत्या की जांच को जान बूझ कर भटकाने की कोशिश ? पुलिस के दावे में कितनी सच्चाई? वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं, "जिस तरह से डीजीपी ने इस मामले को सुलझाने का दावा करते हुए इसे ख़त्म करने की कोशिश की है, उससे लगता है कि कुछ ज़्यादा ही जल्दबाज़ी दिखाई जा रही है. उनके बयान से साफ़ पता चलता है कि उसे एक ख़ास दिशा में मोड़ने की कोशिश हो रही है जबकि परिजनों के आरोपों से साफ़ तौर पर पता चलता है कि इसके पीछे आपसी रंज़िश और ज़मीनी विवाद से इनकार नहीं किया जा सकता." सुभाष मिश्र कहते हैं, "जिन लोगों ने एक सँकरी जगह पर जाकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी, उसे पुलिस ढूंढ नहीं पा रही है जबकि उसके पास सीसीटीवी फुटेज हैं, नौकर भी पहचानता है, दूसरे अन्य साक्ष्य भी मौजूद हैं. लेकिन एक ही दिशा में पुलिस अपनी तफ़्तीश को केंद्रित रखे है और वहीं से उसे ख़त्म भी करना चाह रही है."
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