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भारत-चीन तनाव: सीमा पर 20 भारतीय सैनिकों की मौत, क्या बोला चीन?

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17 जून 2020 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES भारत और चीन की विवादित सीमा पर 45 साल बाद पहली बार किसी की जान गई है. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पिछली रात (15/16 जून) चीन और भारत की सेना के आमने-सामने के संघर्ष में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 19 जवानों की मौत हुई है. भारतीय सेना ने मंगलवार देर रात एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, ''भारत और चीन की सेना गलवान इलाक़े से पीछे हट गई है. 15/16 जून की रात यहीं पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. झड़प और गतिरोध वाले इलाक़े में ड्यूटी के दौरान 17 भारतीय सैनिक गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गए थे. शून्य डिग्री से भी नीचे तापमान और बेहद ऊंचाई वाले इस इलाक़े में गंभीर से रूप ज़ख़्मी इन 17 सैनिकों मौत हो गई. यहां कुल 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई है. भारतीय सेना देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.'' इससे पहले भारतीय सेना ने अपने बयान में एक सैन्य अधिकारी और दो जवानों की मौ

मौतो में भारी उछाल नीचे के लिंक पर क्लिक कर जानें पूरा हाल ।

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मुंबई कोरोना संक्रमण: कैसे एक ग़लती से 18 लोगों का परिवार वायरस की चपेट में आ गया?

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जाह्नवी मुले बीबीसी मराठी संवाददाता  पोस्ट को शेयर करें Facebook   पोस्ट को शेयर करें WhatsApp    पोस्ट को शेयर करें Messenge साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट JANHAVI MOOLE/BBC Image caption पवार परिवार "एक के बाद एक परिवार के लोग बीमार पड़ने लगे थे. कोई खांस रहा था तो किसी को छींक आ रही थी. पूरे माहौल में डर पसरा हुआ था." नेहाली पवार बताती हैं कि कैसे कोरोना वायरस संक्रमण कहर बन कर उनके परिवार पर टूटा. 18 सदस्यों का उनका संयुक्त परिवार मुंबई में वडाला के नज़दीक रहता है. हालांकि ये इलाक़ा झुग्गी झोपड़ियों और तंग गलियों से पटा पड़ा है लेकिन नेहाली के घर में नौ कमरे हैं. कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान देश के दूसरे परिवारों की तरह उनका परिवार भी अपने घर पर ही सिमट गया. परिवार के सदस्य अलग-अलग तरह के पकवान बनाने, मिल कर गीत गाने, ताश के पत्ते खेलने और पूरी-पूरी रात जाग कर खेलने में बिताने लगे थे. null और ये भी पढ़ें मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों में कोरोना से जंग लड़ने वाले योद्धाओं की दास्तां डर और असुरक्षा के बीच कैसी है एक आशा वर्कर की ज़िंदगी