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स्वामी विवेकानंद ने जब गोरक्षक से पूछे कई मुश्किल सवाल || स्वामी विवेकानंद ने कहा, 'जो सभा-समिति इंसानों से सहानुभूति नहीं रखती है, अपने भाइयों को भूखे मरते देखते हुए भी उनके प्राणों की रक्षा करने के लिए एक मुट्ठी अनाज तक नहीं देती है लेकिन पशु-पक्षि‍यों के वास्ते बड़े पैमाने पर अन्न वितरण करती है, उस सभा-समिति के साथ मैं रत्ती भर भी सहानुभूति नही रखता हूँ. इन जैसों से समाज का कोई विशेष उपकार होगा, इसका मुझे विश्वास नहीं है.' फिर विवेकानंद कर्म फल के तर्क पर आते हैं. वे कहते हैं, "अपनों कर्मों के फल की वजह से मनुष्य मर रहे हैं- इस तरह कर्म की दुहाई देने से जगत में किसी काम के लिए कोशि‍श करना तो बिल्कुल बेकार साबित हो जाएगा. पशु-पक्ष‍ियों के लिए आपका काम भी तो इसके अंतर्गत आएगा. इस काम के बारे में भी तो बोला जा सकता है- गोमाताएँ अपने-अपने कर्मफल की वजह से ही कसाइयों के हाथ में पहुँच जाती हैं और मारी जाती हैं इसलिए उनकी रक्षा के लिए कोशि‍श करना भी बेकार है." ।। पढ़िए पूरी गुफ्तगू