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Showing posts with the label #FakeTRP"°_Racket|| टी आर पी में फर्जीवाड़ा का भंडाफोड़|| मुम्बई पुलिस ||MumbaiPolice

अर्नब गोस्वामी मामले में बोले इमरान ख़ान, मोदी सरकार को घेरा

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  इमेज स्रोत, WAKIL KOHSAR/GETTYIMAGES रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ़ अर्नब गोस्वामी और बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच हुई कथित व्हॉट्सएप चैट्स के लीक होने का विवाद अब पाकिस्तान तक पहुँच गया है. साथ ही सोशल मीडिया पर भी इस मसले पर बहस छिड़ गई है. अर्नब गोस्वामी की इस कथित चैट में पुलवामा हमले और और फिर बालाकोट स्ट्राइक्स का ज़िक्र किया गया है. इन चैट्स के स्क्रीनशॉट्स वायरल होने के बाद कई हलकों में सवाल उठाए जा रहे हैं कि पुलवामा हमले और बालाकोट पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी अर्नब गोस्वामी को पहले से कैसे थी? सोशल मीडिया पर अर्नब समर्थक और विरोधी दोनों अपने-अपने विचार रख रहे हैं. विपक्षी कांग्रेस ने भी इस मामले में अपना बयान जारी किया है. सोमवार को बहस तब और तेज़ हो गई, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी इस मसले को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए. विज्ञापन अपने ट्वीट में इमरान ख़ान ने लिखा है, "2019 में मैंने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में कहा था कि कैसे भारत की फासिस्ट मोदी सरकार ने बालाकोट का इस्तेमाल चुनावी फ़ायदों के लिए किया था.

अर्णब गोस्वामी ने देश की जनता को गुमराह किया सरकार की नाकामियों पर पर्दा डाल कर ?

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आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला संगीन है लेकिन सिर्फ नाम भर आ जाना काफी नहीं होता है। नाम आया है तो उसकी जांच होनी चाहिए और तय प्रक्रिया के अनुसार होनी चाहिए। एक पुराने केस में इस तरह से गिरफ्तारी संदेह पैदा करती है। महाराष्ट्र पुलिस को कोर्ट में या पब्लिक में स्पष्ट करना चाहिए कि क्या प्रमाण होने के बाद भी इस केस को बंद किया गया था? क्या राजनीतिक दबाव था? तब हम जान सकेंगे कि इस बार राजनीतिक दबाव में ही सही, किसी के साथ इंसाफ़ हो रहा है। अदालतों के कई आदेश हैं। आत्महत्या के लिए उकसाने के ऐसे मामलों में इस तरह से गिरफ्तारी नहीं होती है। कानून के जानकारों ने भी यह बात कही है। इसलिए महाराष्ट्र पुलिस पर संदेह के कई ठोस कारण बनते हैं। जिस कारण से पुलिस की कार्रवाई को महज़ न्याय दिलाने की कार्रवाई नहीं मानी जा सकती।

 *जब गिरफ्तारी की ख़बर आई तो मैं व्हाट्स एप पर था। फिर तुरंत कपड़े धोने चला गया। नील डालने के बाद भी बनियान में सफेदी नहीं आ रही थी। उससे जूझ रहा था तभी किसी का फोन आया कि चैनल खोलिए अर्णब गिरफ्तार हुए हैं। मैंने कहा कि उन्हीं जैसौं के कारण तो मेरे घर में न्यूज़ चैनल नहीं खुलता है।* मैं आज क्यों लिख रहा हूं, अर्णब की गिरफ्तारी के तुरंत बाद क्यों नहीं लिखा? (Ravish Kumar) आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला संगीन है लेकिन सिर्फ नाम भर आ जाना काफी नहीं होता है। नाम आया है तो उसकी जांच होनी चाहिए और तय प्रक्रिया के अनुसार होनी चाहिए। एक पुराने केस में इस तरह से गिरफ्तारी संदेह पैदा करती है। महाराष्ट्र पुलिस को कोर्ट में या पब्लिक में स्पष्ट करना चाहिए कि क्या प्रमाण होने के बाद भी इस केस को बंद किया गया था? क्या राजनीतिक दबाव था? तब हम जान सकेंगे कि इस बार राजनीतिक दबाव में ही सही, किसी के साथ इंसाफ़ हो रहा है। अदालतों के कई आदेश हैं। आत्महत्या के लिए उकसाने के ऐसे मामलों में इस तरह से गिरफ्तारी नहीं होती है। कानून के जानकारों ने भी यह बात कही है। इसलिए महाराष्ट्र पुलिस पर संदेह के कई ठोस का

अर्णब गोस्वमी के साथ जेल में क्या क्या हुआ ?

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TRP घोटाले में CBI की एंट्री का क्या मतलब ?

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फ़र्ज़ी TRP के खेल का खुलासा|| जाँच शुरू ।।

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