Posts

ऐसे में अब संघ किस बुनियाद पर कहेगा के मैं ही असल देश भग्त हूँ ?

मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार का सुशासन एक बार फिर कटघेरे में खरा होता मालुम दिखाई पर रहा,वजह बना है, इस बार बिहार का education department ,बतायाजाताहै के पूर्बी चंपारणके फेन्हारा पर्खंड के श्री सुनील कुमार पासवान जो एक गरीब और अनुसूचित जाती से सम्बन्ध रखते हैं,इनसे सरकार ने 6 सालो से भी जेयदा समय तक पंचायत शिक्चक (shikchak ) के रूप में काम कराया जब बात वेतन भुगतान की आई तो उन्हें अवैध करार दिया जा रहा श्री सुनील कुमार उपरोक्त जिला एवं पर्खंड के बारा परसौनी में 2003 से ही लगातार काम करते आ रहे,इनके वेतन पे रोक साल 2006 में लगा दी गई ये कहते हु के इनका तीसरा पुनर्नियोजन नहीं हुआ इसलिए इनकी बहाली अवैध है

सूत्रों के अनुसार अगर पुलिस गहराई से पूछ ताछ करे तो चकिया के आस पास सरकारी स्कूलों में में पिछले 7 से आठ साल में हुए तमाम मिड डे मिल की चोरी की घटनाओं पर से प्रदा उठ जाएगा,मगर ऊँची पहुँच रखने वालों पे क्या पुलिस हाथ डाल पाए गी ,ये सबसे बड़ा सवाल है ,एक RTI के आवेदन पे दिए गए जानकारी के अनुसार 10 सालों में सिर्फ मिड डे मिल की सैकरों चोरी की घटनाएं हुईं पूर्बी चंपारण में ,गिरफ्तारी सिर्फ 2 मामलों में ,इससे अंदाजा लगाया जा सकता है के इस मामले में क्या होगा?

शातिरों को बचाने की शाजिश ?

पंथनिरपेक्षता का धुंधला पथ

चोरी के सैकड़ों क्विंटल अनाज के खरीदार को पुलिस ने पकड़ा,पुलिस अगर गहराई से पूछ ताछ करेगी तो कई सफ़ेदपोश चेहरे के बेनकाब होने की संभावना जताई जारही,मगर स्थानिये पुलिस ऐसा करने के लिए तैयार है?

दलित के साथ जुल्म और नाइंसाफी की इससे बड़ी और क्या मिशाल हो सकती है ?

जालसाजों की चाँदी ? आरक्षी अधीक्षक पूर्बी चंपारण के आदेश देने के चौदह दिन बाद भी जालसाजी के एक मामले में दर्ज न हुई एफ आई आर ...

मुस्लिम नौजवानों के खेलाफ आतंकवाद का झूठा मुक़दमा

एस डी ओ साहेब को कानून की परवाह नहीं?.डी डी सी मोतिहारी ने दिए जाँच के आदेश

हजरत उमर रजिअल्लहो अन्हो ने एक मर्तबा चोर का हाथ इसलिए नहीं काटा था क्योंके कहत साली का दौर(अकाल का समय )था .......,चोरी न होने के कारण पर जब कंट्रोल नहीं था तो हाथ काटने का हुक्म(आदेश )कैसे दिया जाता .....यहाँ तो हर तरफ बलात्कार होने और करने के कारण का दरवाजा खुला हुआ है .....आस पास हर तरफ कारण खुले हुए है ऐसी सूरत में इस्लामी कानून का पहला काम सजा नहीं ,बलके उसको रोकना है ,इसलिए हिन्दुस्तान के मौजूदा समाज में सिर्फ इस्लामी सजा का मुताल्बा (मांग) करना ना काफी ,हम जब तक उन कारणों पर गौर नहीं करेंगे ,और सिर्फ आँख मुंद कर बे लेबासी ,मर्द की दादा गीरी .पुलिस का रवैया ,सरकारी बे तवज्जहि को सिर्फ जिम्मेदार मानते रहेंगे तो न हालात कंट्रोल होंगे और न रेप का मामला रुकेगा ....