हजरत उमर रजिअल्लहो अन्हो ने एक मर्तबा चोर का हाथ इसलिए नहीं काटा था क्योंके कहत साली का दौर(अकाल का समय )था .......,चोरी न होने के कारण पर जब कंट्रोल नहीं था तो हाथ काटने का हुक्म(आदेश )कैसे दिया जाता .....यहाँ तो हर तरफ बलात्कार होने और करने के कारण का दरवाजा खुला हुआ है .....आस पास हर तरफ कारण खुले हुए है ऐसी सूरत में इस्लामी कानून का पहला काम सजा नहीं ,बलके उसको रोकना है ,इसलिए हिन्दुस्तान के मौजूदा समाज में सिर्फ इस्लामी सजा का मुताल्बा (मांग) करना ना काफी ,हम जब तक उन कारणों पर गौर नहीं करेंगे ,और सिर्फ आँख मुंद कर बे लेबासी ,मर्द की दादा गीरी .पुलिस का रवैया ,सरकारी बे तवज्जहि को सिर्फ जिम्मेदार मानते रहेंगे तो न हालात कंट्रोल होंगे और न रेप का मामला रुकेगा ....

                                                                         अज़ीमुल्लाह सिद्दीकी
           जब से दिल्ली में 23 वर्षीये लड़की के साथ गैंग रपे का मामला पेश आया  है ,हर तरफ से आवाज उठने लगी है ,उर्दू , हिंदी ,और अंग्रेजी मीडिया में खूब मजामीन (आर्टिकल )छप रहे हैं ,कोई आरोपी के गुप्तांग काटने की बात कर फेंकने की बात कर रहा ,तो कोई फांसी ,की सजा देने की बात कर रहा ,कोई इस्लामी कानून को लागू करने की बात कर रहा तो कोई दिल्ली में स्थित स्लम बस्तियों में गंवार मर्दों को इसका जिम्मेदार ठहरा रहा ,कोई हरयाना और पंजाब से आने वालों की जेहनियत को इसका जिम्मेदार मान रहा है तो कोई मुल्क और समाज में फहाशी ,उड़यानियत और खुलापन को इसका कारण मानकर पीड़ित औरत को ही जुर्म का दरवाजा खुला रखने वाला  घोषित कर रहा है ,गर्ज  के पूरा शहर ,पूरा मुल्क मोकम्मल (सम्पूर्ण )विरोध मार्च कर रहा है ,लेकिन ये प्रदर्शन किसके खेलाफ है ? प्रदर्शन क्यों हो रहा है ?और इसके पीछे मकसद क्या है ?अगर इसका मक्सद बलात्कारिओं(RAPISTS ) के बीच खौफ व दहशत पैदा करना है तो इसका नतीजा सुन्य आरहा है .क्यों के बीते दिनों में हमारे सामने अखबारों में जो रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं और जो मामले प्रकाश में सामने आये हैं ,उसके मुताबिक़ भिंडा में एक पच्चास साला एक आदमी को पकड़ा गया जो 2 कम उम्र लड़कियों के साथ रेप में संलिप्त था ,इंदौर में एक 17 साला लड़की की आबरू को चाक किया गया ,वर्दमान में तीन साल की लड़की की अस्मत कूट कर झाड़ी में खून में लथ पथ  अवस्था में छोड़ दिया गया गुलबर्गा में 11 साल की लड़की का रेप हुआ  इस तरह से और भी इस तरह की खबरें सामने आई ......यहाँ तक के रिपोर्ट के मुताबिक़ खुद इंडिया गेट और रायेसिना हिल पर हो रहे प्रदर्शन के बीच भी हवस के दरिन्दे सरापा एहतजाज बनी लड़कियों और औरतों को मौका पाते ही छेड़खानी से न चुके ......
            1971 से रेप से सम्बंधित डिटेल के हवाले से बीते 40 सालों में 873.3% का इजाफा हुआ ,1971 में रेप का मामला 2,487 पेश आया तो बीते साल 24,206 पर पहुँच गया ,इस लिए प्रदर्शन से rapists के बीच खौफ पैदा करने की सोच रखना बेमाना (बेकार)है ......
             अगर इसका मकसद सब्जबाग इन्कलाब के बाद मर्दों और औरतों के दरमयान पैदाकुर्दा कशमकश में हकूक के निस्वान (औरतों के अधिकार )के कथित संगठनों का मर्द समाज को कटघेरे में खड़ा करना है ,अगर इसका मकसद पुलिस और सरकार को इसकेलिए जिम्मेदार ठहराकर इनको निशाना बनाना है तो इन मकसद के लिए जद्दो जेहद (प्रोटेस्ट )से कोई लाभ नहीं होने वाला .,कयोंके ये मालमले को एकतरफा हल करने की कोशिश है ,जबके ये मामला कई रूपों में और परतों में फैला हुआ है ,इसके लिए पाएदार जद्दोजेहद इख्तेयार करना होगा ......आज हमारे समाज में सिर्फ रेप ही नहीं होता ,बलके रेप का खेल चलता है ,देश में औरतों और लड़कियों का अगवा बनिस्बत रेप से कहीं जेयादा  है ......एक़्तेदार और सियासत की कुर्सियों पर बैठे सफ़ेद पोश के हुजूर में खुबसूरत लड़कियों  का अगवा या बहला फुसलाकर पेश किया जाना समाज का ऐसा सच है के जिससे अगर पर्दा उठाया जाये तो इंसानियत काँप उठे .....अभी हाल ही में कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी राहुल गाँधी पर रेप का मुकदमा चला ,हलाके वह नाकाफी सबूत (सबूत की कमी )के कारण वह बड़ी हो गए ,मगर अन्दर की बात सामने न आ सकी .......हाल ही में IIBN -7  ने  खुलासा किया के देश के दो वर्तमान MP और 6 मेंबर असेम्बली पर बलात्कार के मुक़दमे दर्ज हैं ....रिपोर्ट के मुताबिक़ कांग्रेस  , BJP , SP ,BSP ने जान बुझकर ऐसे लोगों को टिकेट दिया  जो रेप के आरोपी थे ......मुल्क के एक आला सियासी रहनुमा एन डी तिवारी का नाम इस मामले में काफी बदनाम रहा है ,रूपये आयर ताक़त के नाम पर कम उम्र लड़कियों के साथ जिस्मानी संबंध कायम करने के मामले में हिन्दुस्तान में सियासत और और एक्तेदार के कॉरिडोर को काफी बदनाम कर रख्खा है ......मुल्क में लड़कियों के खरीद फरोख्त बड़ी संख्या में होती है ....पुलिस के नाक के निचे से लड़कियों को बिहार,झारखण्ड ,बंगाल ,और नेपाल से खरीद कर अस्मत लुटाने की मंडी  में
धकेल दिया जाता है .....इस हवाले से पुलिस का का किरदार काफी बदनाम रहा है .....कही दूर न जाएँ दिल्ली के दिल में स्थित और पुलिस पुलिस हेड कुआटर  से करीब आई पी स्टेट थाना में आठ पुलिस वालों के खेलाफ मुक़दमा दर्ज है जिन पर इल्जाम है के पुलिस वालों ने एक लड़की का सामूहिक बलात्कार किया ,वह लड़की विगत आठ माह से इन्साफ के लिए भटकती फिर रही है ....दिल्ली पुलिस कमिशनर से इन्साफ की गुहार लगा रही है मगर आज तक इन पुलिस वालों के खेलाफ कारवाई शुरू नहीं हुई .......रेप की सियासत का तो मत पूछिए ,फिरकावाराना फसादात (दंगों)में अल्पसंख्यक लड़कियों का रेप बड़े पैमाने पर होता रहा है ,गुजरात में बिल्किश बानो  समेत न जाने दोसेजाओं का रेप हुआ ,उनके साथ जुल्म और वहशत का नंगा नाच नचा गया ,खुद कश्मीर में हिन्दुस्तान की फ़ौज रेप में संलिप्त पाई गई है ....इंटरनेशनल people ट्रिब्यूनल ऑफ़ हुमन राइट्स और APDP  ने जेंसी जेयादतियों में फ़ौज के अफसरान के बारहेरास्त मलौविश होने का इन्केसाफ किया .........जरी ......देश में हुए 30हजार से जेयादा छोटे और बड़े मामलों सम्प्रदैक दंगों में एक सर्वे के मुताबिक़ सत्तर हजार मुस्लिम औरतें सेक्सुअल और भेयानक रेप का शिकार हुईं .......तारीख और मुल्क का रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिये आज तक एक को भी इन्साफ नहीं मिला .......आज एक लड़की के रेप पर इतना हंगामा है ,होना चाहिए ,मगर क्या उन हजारों पाकीजा सिफत के रेपिस्टों को कैफारे किरदार तक पहुँचाया गया .....एक राम सिंह के जुर्म को इस कद्र तूल दिया जा रहा है ,मगर राम के नाम पर बलात्कार करने वाले हजारों बलात्कारिओं पर ख़ामोशी क्यों?दरअसल रेप के वारदात को बढ़ावा देने में समाज का किरदार किसी से कम नहीं  है .......समाज ने औरत का मुकाम इस कद्र गिरा दिया है के औरत एक सेक्स की टूल और बिजिनस का सामान बनकर रह गई है .......हर प्रोडक्ट के इश्तेहार (advertisement )में औरत का जिस्म दिखाया जाता है ,यहाँ तक के साबून,सर्फ़,और सैम्फू पर अधनंगी औरतों के की तस्वीर लगाई जाती है जिसने औरत की हैसियत को और गिरा दिया है ,ऐसा लगता है के औरत के पास सिर्फ जिस्म है ,बाक़ी उसका इंसान होना ,उसकी अजमत और किरदार की बुलंदी कुछ भी नहीं है ,सिनेमा में औरतों का रेप होते या मर्दों के साथ रोमांस करते दिखाया जाता है ,,,शायद ही एक दो फिल्म हो जिसमे औरतों का दूसरा समाजी किरदार दी खाया गया हो
.वरना औरत मर्दों के बिस्तर ,समुन्दर के किनारे ,ऊँचे टीलों  पर  किस देती नजर आती है ....डेल्ही रेप वारदात के फ़ौरन बाद वेजारत बराए तरक्की इत्फाल व निसवां मोहतरमा कृष्णा तीरथ ने महिला मेंबर पार्लियामेंट के साथ एक मीटिंग में एलान किया के वह मरा हक्कुल बलुग लड़कों की प्रशिक्षण का राष्ट्रीय प्रोग्राम मून आकिद करेंगी ......जिसमे औरतों की इज्ज़त व एहतराम का दर्श दिया जायेगा ........ये और बड़ा अच्छा क़दम होता अगर प्रोग्राम में खूद औरतों को भी खूद की पहचान और एहतराम करने का दर्श दिया जाता ......पहले खूद की इज्ज़त करनी होती है तब जाकर कोई इज्ज़त करता है ....औरतों ने समाज के ठीकेदारों के बहलावे और फुसलावे में आकर अपना मुकाम कितना गिर रख्खा है .........
     उनका लिबास जाहिर करता है के उनके पास सिर्फ दिखाने के लिए खुबसूरत जिस्म है ,बाकी सब कुछ बे मानी है ....उनका किरदार इस्तेहारों और फिल्मों में क्या होता है?हालांके सिर्फ जिस्म की नुमाइश रेप का सबब नहीं है क्योंके उपरोक्त वारदात में दो साला,और पांच साला बच्ची की जिस्म की नुनुमाइश की वजह से रेप नहीं हुआ ,बंद कमरे ,और घरों में रेप का वारदात जिस्म की नुमाइश की वजह से नहीं हॉट अलेकिन ये भी हकीकत है के नुमाइश सैतानी रगों में हिजान(जोश)पैदा करती है ,ये नुमाइश शैतान के इरादों को खोराक देती है ,ये नुमाइश इब्लिशी दरिंदों को ये फ़िक्र देती है के औरत खुबसूरत जिस्म सेवा कुछ नहीं .....रेप के मुजरिमों को रोकने के लिए सजा सख्त करने से कोई फ़ायदा नहीं होगा ,बलके असल जरुरत है सजा के खौफ को पैदा किया जाये .........
            हजरत उमर रजिअल्लहो अन्हो ने एक मर्तबा चोर का हाथ इसलिए नहीं काटा था क्योंके कहत साली का दौर(अकाल का समय )था .......,चोरी न होने के कारण पर जब कंट्रोल नहीं था तो हाथ काटने का हुक्म(आदेश )कैसे दिया जाता .....यहाँ तो हर तरफ बलात्कार होने और करने के कारण का दरवाजा खुला हुआ है .....आस पास हर तरफ कारण खुले हुए है  ऐसी सूरत में इस्लामी कानून का पहला काम सजा नहीं ,बलके उसको रोकना है ,इसलिए हिन्दुस्तान के मौजूदा समाज में सिर्फ इस्लामी सजा का मुताल्बा (मांग) करना ना काफी ,हम जब तक उन कारणों पर गौर नहीं करेंगे ,और सिर्फ आँख मुंद  कर बे लेबासी ,मर्द की दादा गीरी .पुलिस का रवैया ,सरकारी बे तवज्जहि को सिर्फ जिम्मेदार मानते रहेंगे तो न हालात कंट्रोल होंगे और न रेप का मामला रुकेगा ....
दैनिक उर्दू पिन्दार दिनांक 31/12/2012 के अंक से लिया गया है 

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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