चीन तक आम पाकिस्तान ने पहुँचाए, अब भारत को टक्कर देने की तैयारी
हरजिंदर वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट EPA/NADEEM KHAWAR गर्मियों के मौसम में आम के बारे में बहसें भी बहुत आम हैं. कोई लंगड़ा के लिए मरने-मारने को तैयार हो जाता है तो चौसा के कसीदे पढ़ता है, तो कोई दशहरी के आगे किसी और आम को कुछ ख़ास नहीं समझता, इसी तरह अलफांसो यानी हापुस के दीवाने भी दम भरते हैं. आम को लेकर यह सोच पिछले कुछ साल में काफी बढ़ी है कि कुछ आम खास होते हैं और बाकी सब तो बस आम होते हैं. महाराष्ट्र और गोवा वगैरह में माना जाता है कि एक आम होता है और एक अलफांसो होता है. माना जाता है कि पुर्तगाली जनरल अलफांसो डि अलबुक़र्की ने हापुस की खेती को बहुत बढ़ावा दिया और उनके नाम पर आम की नस्ल अलफ़ांसो कहलाई. गोवा से लेकर महाराष्ट्र के तटवर्ती रत्नागिरी इलाके तक में इसकी भरपूर उपज होती है. अलफांसो संभवतः सबसे महँगा आम है और इसका बहुत बड़ा हिस्सा भारत से निर्यात हो जाता है जिसकी यूरोपीय बाज़ार में काफ़ी माँग रहती है. बहरहाल, बिहार