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भारत के लिए Taliban अब क्या है ?

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तालिबान के साथ भारत का रुख़ कैसा रहेगा?

  अफ़ग़ानिस्तान की अशरफ़ ग़नी सरकार और अमेरिका का साथी भारत भी आज ख़ुद को अजीब स्थिति में पा रहा है. जहाँ एक ओर चीन और पाकिस्तान, तालिबान से अपनी दोस्ती के चलते काबुल के नए घटनाक्रम को लेकर थोड़े आश्वस्त दिख रहे हैं, वहीं भारत फ़िलहाल अपने लोगों को आनन-फ़ानन में काबुल से निकालने में लगा हुआ है. तालिबान को आधिकारिक तौर पर भारत ने कभी मान्यता नहीं दी, लेकिन इस साल जून में दोनों के बीच 'बैकचैनल बातचीत' की ख़बरें भारतीय मीडिया में छाई रहीं. भारत सरकार ने "अलग-अलग स्टेकहोल्डरों" से बात करने वाला एक बयान ज़रूर दिया, ताकि मामले को तूल देने से रोका जा सके. स्टोरी: सरोज सिंह आवाज़: नवीन नेगी वीडियो एडिटिंग: दीपक जसरोटिया ( बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप  यहां क्लिक  कर सकते हैं. आप हमें  फ़ेसबुक ,  ट्विटर ,  इंस्टाग्राम  और  यूट्यूब  पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

अफ़ग़ानिस्तान और तालिबान के लिए कंधार की इतनी अहमियत क्यों है?

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  13 अगस्त 2021 इमेज स्रोत, AHDESIGNCONCEPTS अक्सर ये कहा जाता है कि जिसने भी कंधार पर नियंत्रण कर लिया, वो पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर नियंत्रण कर लेता है. वैसे तो कंधार अफ़ग़ानिस्तान का दूसरा बड़ा शहर है. लेकिन इसकी सामरिक और आर्थिक अहमियत सबसे ज़्यादा है. अमेरिकी सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान से वापस जाने के बाद से तालिबान लगातार अपने नियंत्रण का दायरा बढ़ाता जा रहा है. इसी कड़ी में उसने कंधार पर भी अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है. अफ़ग़ानिस्तान के सबसे बड़े पश्तून समुदाय का ये गढ़ है और यही तालिबान का जन्मस्थान भी है. तालिबान के संस्थापक मौलाना मुल्ला उमर भी कंधार के ही थे. अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई का जन्मस्थान भी यही है. कंधार को समारिक रूप से इसलिए भी अहम माना जाता हैं, क्योंकि यहाँ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. कृषि और औद्योगिक उत्पादन की दृष्टि से भी कंधार महत्वपूर्ण है और ये अफ़ग़ानिस्तान के मुख्य व्यापारिक केंद्रों में से भी एक है. विज्ञापन तुर्की और तालिबान होंगे आमने-सामने, अर्दोआन ने भी की पुष्टि अफ़ग़ान सरकार ने हार के बीच तालिबान के सामने रखा ये प्रस्ताव कंधार

तालिबान जहां-जहां जा रहा है भारत भी उन देशों से क्यों संपर्क कर रहा है?

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  दिलनवाज़ पाशा बीबीसी संवाददाता, दिल्ली 11 जुलाई 2021, 06:54 IST इमेज स्रोत, @DRSJAISHANKAR इमेज कैप्शन, ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ (दाएं) के साथ भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (बाएं) अफ़ग़ानिस्तान में हाल के दिनों में जिस तरह तालिबान का क़ब्ज़ा नए इलाक़ों पर हो रहा है उसे लेकर भारत के राजनयिक हलकों में चिंता है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के गुरुवार की ईरान यात्रा को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. एस जयशंकर ने तेहरान में नव-निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाक़ात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी दिया. जिस दिन भारतीय विदेश मंत्री तेहरान में थे उसी दिन अफ़ग़ानिस्तान सरकार और तालिबान का एक प्रतिनिधि मंडल भी वहां मौजूद था. जयशंकर बाद में जब रूस पहुंचे तो वहां भी तालिबान के नुमाइंदे मौजूद थे. हालांकि भारत की तरफ़ से इस मामले पर किसी तरह का आधिकारिक बयान नहीं आया है. ईरान की सीमा तक पहुंचा तालिबान, चौकियों पर किया क़ब्ज़ा तालिबान रूस क्यों गया और इस्लामिक स्टेट को लेकर क्या वादा किया? मीडिया में पहले भी भारत और तालिबान में अनौपचारिक बातचीत की ख़बरें आती रही