#दिल्लीपुलिस: 1984 के सिख विरोधी दंगों और 2020 के दंगों की तुलना कितनी सही?
सिन्धुवासिनी बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES Image caption हिंसा के बाद दिल्ली की सूरत "हम दिल्ली में दूसरा 1984 नहीं होने देंगे. कम से कम इस अदालत के रहते हुए तो ऐसा नहीं होगा.'' दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर ने बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को लताड़ लगाते हुए यह बात कही. जस्टिस मुरलीधर साल 1984 में हुए सिखविरोधी दंगों का ज़िक्र कर रहे थे, जिनमें अकेले दिल्ली में 3,000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. इधर, शिवसेना ने भी दिल्ली की मौजूदा हिंसा की तुलना 1984 के दंगों से की. शिवसेना ने कहा, "दिल्ली की मौजूदा 'हॉरर फ़िल्म' देखकर 1984 दंगों की भयावहता याद आती है. इस हिंसा के पीछे कौन था, यह स्पष्ट होना ही चाहिए.'' सिखविरोधी दंगों के 36 वर्षों बाद ये पहली बार है, जब दिल्ली ने इतने बड़े स्तर पर हिंसा का सामना किया है. मगर क्या वाक़ई 1984 के दंगों और वर्तमान हिंसा में कोई समानता है?