इस्लामोफ़ोबिया के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र में आए प्रस्ताव पर भारत चिंतित क्यों?
शकील अख़्तर बीबीसी उर्दू संवाददाता 19 मार्च 2022, 08:55 IST इमेज स्रोत, GETTY IMAGES संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को फ़ैसला किया कि अब से 15 मार्च को 'इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस' मनाए जाएगा. इसे लेकर भारत ने अपनी गहरी चिंता जाहिर की है और कहा है कि एक धर्म विशेष को लेकर डर उस स्तर पर पहुंच गया है कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की स्थिति आ गई है. भारत ने यह भी कहा कि विभिन्न धर्मों ख़ासकर हिंदुओं, बौद्ध और सिख धर्म के ख़िलाफ अलग-अलग तरीक़े से डर का मौहाल बनाया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर भारत जैसा देश मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा और नफ़रत रोकने के लिए लाए गए किसी प्रस्ताव का विरोध क्यों कर रहा है? विज्ञापन वीडियो कैप्शन, ट्रूडो बोले, 'हमारे देश में इस्लामोफोबिया है' क्या कहता है ये प्रस्ताव? इससे पहले, 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कॉन्फ्रेंस (ओआईसी) की ओर से हर साल 15 मार्च को 'इंटरनेशनल डे टू कॉम्बैट इस्लामोफोबिया' यानी 'इस्लाम के प्रति डर से लड़ने का अंतरराष्ट्र