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पता करें कि चेहरा छूने की ज़रूरत कब होती है? बिहेवियरल साइंस विशेषज्ञ इस बात की सलाह भी देते हैं कि हमें ये पता करना चाहिए कि हम अपने चेहरों को क्यों छूते हैं. हॉलस्वर्थ इसे समझाते हुए कहते हैं, "अगर हम उन स्थितियों को पहचान जाएं जब हमें चेहरा छूने की ज़रूरत महसूस होती है तो हम ऐसे मौक़ों पर ज़रूरी क़दम उठा सकते हैं. जो लोग अपनी आंखों को छूते हैं, वे धूप का चश्मा पहन सकते हैं, या जब लगे कि अब वे चेहरा छूने जा रहे हैं तो हाथों को दबाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, हम अपने हाथों को व्यस्त रखने के तरीक़ों का सहारा ले सकते हैं. इसमें मुलायम गेंदों जैसे खिलौनों का इस्तेमाल कर सकते हैं जिनसे हाथ व्यस्त रहते हैं. लेकिन आपको उन्हें अक्सर कीटाणुरहित करना पड़ सकता है. इसके साथ-साथ आप ख़ुद को याद दिलाने के लिए नोट भी बना सकते हैं. हॉलस्वर्थ मानते हैं, "अगर कोई जानता है कि उनकी एक आदत ऐसी है जिसे वे चाहकर भी नहीं रोक पाते हैं तो वे अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को ऐसा करने पर टोकने के लिए कह सकते हैं." दस्ताने कैसे विकल्प हैं? लेकिन एक सवाल ये उठता है कि क्या ख़ुद को याद दिलाने के लिए दस्ताने पहने जाने चाहिए? इसका आसान जवाब है कि ये एक ग़लत तरीक़ा है, जब तक कि दस्तानों को बार-बार साफ़ करके कीटाणुमुक्त ना किया जाए, नहीं तो वे भी हानिकारिक बन जाएंगे.

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