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जम्मू-कश्मीर: नौकरी से बर्ख़ास्त किए गए कर्मचारियों का क्या कहना है?

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  माजिद जहांगीर बीबीसी हिंदी के लिए, कश्मीर से 2 घंटे पहले इमेज स्रोत, MAJID JAHANGIR/BBC इमेज कैप्शन, इदरीस जान मीर नौकरी से बर्ख़ास्त किए जाने के बाद 39 साल के इदरीस जान मीर के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि अब घर कैसे चलेगा? बीते ढाई माह से इदरीस रोज़गार की तलाश में हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. छोटा-मोटा व्यापार शुरू करना भी आसान नहीं, क्योंकि उनके मुताबिक़, "उसके लिए भी क़र्ज़ लेना पड़ेगा और क्या किया जाए ये भी एक बड़ा सवाल है." इदरीस जान मीर जम्मू-कश्मीर प्रशासन की हाल में आई एक रिपोर्ट के बाद बर्ख़ास्त किए जाने वाले पहले सरकारी मुलाज़िम हैं. उन पर अलगाववादी विचारधारा रखने, पत्थरबाज़ी करने और अपने इलाक़े में हिंसा भड़काने का इलज़ाम है. कहा गया है कि उनके हिंसा भड़काने की वजह से सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचा. पिछले तीन-साढ़े तीन महीने के भीतर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 18 सरकारी कर्मचारियों को बर्ख़ास्त किया जा चुका है. इन लोगों को नौकरी से निकाले जाने का कारण 'राज्य के सुरक्षा हित' में उठाया गया कदम बताया गया है. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे ब

कोई छूटभैय्ये अपराधी आतंवादी कैसे बन जाते हैं ? उसमें सत्ता और खाकी वर्दी की भूमिका कहाँ तक होती है ? देखिये देश की बात और रवीश कुमार के साथ ।

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#Kashmiri_Journalists कार्रवाई मामले पर अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं रिपोर्टर्स सांस फ़्रंतिए और एमनेस्टी इंटरनेशल ने भारत सरकार से आरोपों को वापस लेने और प्रेस की स्वतंत्रता बहाल करने की माँग की है.

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क्यों हो रही है कश्मीरी पत्रकारों पर कार्रवाई रियाज़ मसरूर बीबीसी संवाददाता, श्रीनगर इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए भारत प्रशासित कश्मीर में सरकार ने सख़्त क़ानून यूएपीए (ग़ैरक़ानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम) के तहत एक महिला फ़ोटो-पत्रकार समेत तीन पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है जिसकी दुनिया भर के पत्रकारों के संगठन ने भर्त्सना की है. 26 वर्षीया मसरत ज़हरा पर राष्ट्रविरोधी फ़ेसबुक पोस्ट्स लिखने का आरोप है जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफ़ी आक्रोश देखा गया. ज़हरा पिछले चार वर्षों से वाशिंगटन पोस्ट और गेटी इमेजेज़ के लिए कश्मीर कवर कर रही थीं. विज्ञापन राष्ट्रीय समाचार पत्र द हिंदू के संवाददाता आशिक़ पीरज़ादा को एक पुलिस हैंडआउट के अनुसार “फ़ेक न्यूज़” लिखने के आरोप में थाने तलब किया गया. उन्हें इसके लिए लॉकडाउन के बीच श्रीनगर से लगभग 100 किलोमीटर दूर अपने घर से लंबा सफ़र करना पड़ा. null और ये भी पढ़ें भारत प्रशासित कश्मीर में एक अन्य पत्रकार के ख़िलाफ़ के