चांदनी चौक 'फेस लिफ़्ट' योजना और इस चौक के बनने की कहानी
मिर्ज़ा एबी बेग बीबीसी उर्दू संवाददाता, दिल्ली 25 अगस्त 2020 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger इस पोस्ट को शेयर करें Twitter साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES Image caption दिल्ली का चांदनी चौक आगरे के क़िले में धूम है. नए बादशाह ख़ुर्रम की ताज पोशी 14 फ़रवरी 1628 को हो रही है.अर्जुमंद आरा इस अवसर पर की जाने वाली तैयारियों में व्यस्त हैं लेकिन रोशन आरा थक कर सो चुकी हैं. बाक़ी बच्चे दारा, शुजा और औरंगज़ेब तीरंदाज़ी के अभ्यास के लिए निकल गए हैं. जहां आरा को कोई काम नहीं और वो महल के कोने में मौजूद मस्जिद का रुख़ करती हैं जिसमे आम तौर पर हरम की औरतें ही जाती हैं. मस्जिद में जहां आरा को एक महिला नमाज़ अदा करती नज़र आती है. उनकी इबादत में ख़लल डाले बिना वो महल के बारे में सोच रही हैं जहां छह साल पहले वो रहा करती थीं और फिर छह साल तक दक्कन में मांडू, बुरहानपुर, उदयपुर और नासिक में जिलावतनी का जीवन गुज़ारकर सिर्फ एक सप्ताह पहले ही वापिस आई थीं. महिला अपनी नमाज़ पूरी करती है और इस भर