रूपी कौर: 84 दंगों का दर्द, रिफ़्यूजी बनने की पीड़ा और किसान आंदोलन की आवाज़
तनीषा चौहान बीबीसी पंजाबी इमेज स्रोत, RUPI KAUR FB PAGE पंजाब के होशियारपुर में जन्मी रूपी कौर इन दिनों कनाडा की चर्चित कवि, लेखिका और इलेस्ट्रेटर हैं. आप इनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इससे लगा सकते हैं कि इंस्टाग्राम पर उनके 41 लाख फ़ॉलोअर हैं. अब तक उनकी कविताओं की तीन किताबें आ चुकी हैं जो एक के बाद एक बेस्टसेलर साबित हो रही हैं. हाल में प्रकाशित उनकी तीसरी किताब है 'होम बॉडी'. इस किताब में रूपी कौर ने अपने घर यानी भारत में 1984 के सिख दंगों से लेकर कनाडा में रह रहे प्रवासियों के दर्द को अपने शब्दों में बयां किया है. उनकी कविताओं का दायरा बहुत बड़ा दिखता है, एक तरफ़ वो सामाजिक और सामुदायिक मुद्दों पर लिखती हैं तो दूसरी तरफ़ प्यार, दर्द, डिप्रेशन और सैक्सुअल फ़िलिंग्स को लेकर भी वह कविताएं लिख रही हैं. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गँवा देने वाले ये किसान किसान आंदोलन पर जस्टिन ट्रूडो का बयान क्या भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है? किसान आंदोलन: महीने भर बाद भी कैसे मोर्चे पर डटे हुए हैं लोग दिलजीत दोसांझ के ‘किंग ऑफ़ पंजाबी