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देश किस तरफ जा रहा ?

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क्या कहता है बीजेपी का इतिहास बीजेपी के इतिहास से पता चलता है कि इसके नेता ग़लत बयानबाजी करके बिना कोई हर्जाना दिए बच जाते हैं. ये बयान ऐसे नहीं होते हैं कि कभी किसी ने जोश में आकर कोई बयान दे दिया. ये बयान उस विचारधारा से आते हैं जिसका पालन और प्रचार बीजेपी और आरएसएस करती है. ये कुछ ऐसा है कि भारतीय संविधान को मानना एक टोकनिज़्म की तरह है क्योंकि सत्ता में आने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है लेकिन इस पार्टी के असली सिद्धांत आरएसएस की विचारधारा पर आधारित हैं. जब-जब संविधान और विचारधारा के बीच जंग होती है तो विचारधारा ही जीतती है. अब भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के महिमामंडन को ही देखिए. प्रज्ञा ने गोडसे को एक सच्चा देशभक्त बताया था. इसके बाद बीजेपी के दो अन्य सांसद अनंत हेगड़े और नलिन कुमार कतील ने भी उनके बयान का समर्थन किया. पूर्व केंद्रीय मंत्री हेगड़े ने कहा कि गोडसे-गांधी मुद्दे पर बहस होनी चाहिए. वहीं, कतील ने सवाल उठाया कि गोडसे ने एक व्यक्ति की हत्या की, अजमल कसाब ने 72 लोगों की और राजीव गांधी ने 1984 में 17 हज़ार सिखों की हत्या की, तो सबसे ज़्यादा क्रूर कौन है? मोदी ने लगभग इस बार की तरह ही कहा था कि वह प्रज्ञा ठाकुर को दिल से कभी भी माफ़ नहीं कर पाएंगे. वहीं, शाह ने कहा कि बीजेपी की अनुशासन समिति दस दिनों में इस मसले पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. ये मामला 17 मई का है. इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर भारी अंतर से चुनाव जीतकर सांसद बन चुकी हैं. वह लोकसभा जा रही हैं. ऐसे में वह जल्द ही लोकसभा में अपना पहला भाषण देंगी. कैलाश विजयवर्गीय से कितने अलग हैं उनके बेटे आकाश कभी पिता के हाथ में था 'जूता' तो बेटे के हाथ में 'बल्ला' आकाश विजयवर्गीय का क्या होगा? ऐसे में वो क्या बात है जिसकी वजह से हेगड़े को मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया गया. वह बीजेपी के उन नेताओं में शामिल हैं जिनके कंधे पर चढ़कर बीजेपी कर्नाटक के अगले विधानसभा चुनाव में उतरने जा रही है. लिंचिंग और दंगों के रिकॉर्ड पर नज़र डालें तो तत्काल 'न्याय' करने वाले नेता हमेशा बीजेपी में एक मुकाम हासिल करते हैं. मुज़्ज़फ़रनगर दंगों में अभियुक्त बनाए जाने वाले सुरेश राणा इस समय यूपी कैबिनेट में मंत्री हैं. वहीं, दूसरे अभियुक्त संगीत सोम एक विधायक हैं. ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा सकती है कि बीजेपी में आकाश विजयवर्गीय का भविष्य बहुत अच्छा है.

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News हिंदी BBC News हिंदी Navigation सेक्शन नरेंद्र मोदी की नज़र टेढ़ी, अब आकाश विजयवर्गीय का क्या होगा-नज़रिया राधिका रामासेशन वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए 3 जुलाई 2019 साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट REUTERS बीते मंगलवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों के साथ विधायक आकाश विजयवर्गीय के व्यवहार की निंदा की है. इंदौर नगर निगम के कर्मचारी ऐसी इमारतों को तोड़ने के लिए निकले हुए थे जिनमें रहना जानलेवा हो सकता है. लेकिन आकाश विजयवर्गीय ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर इस अभियान पर निकले कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए उन्हें क्रिकेट बैट से पीटा. इस घटना के बाद आकाश को गिरफ़्तार कर लिया गया. लेकिन जब वह जमानत पर छूटकर अपने घर पहुंचे तो उनके समर्थकों ने किसी हीरो की माफ़िक उनका स्वागत किया. जमानत के बाद आकाश ने ऐलान किया, "ये तो बस शुरुआत है. हम नगर निगम के कर्मचारियों की गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार को ख़त्म कर देंगे. हम पहले आवेदन करेंगे, फिर निवेदन और उसके बाद दनादन. छोड़िए ट्विटर पोस्ट @AN