चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने बताया, देश में न्याय व्यवस्था कैसी हो
सलमान रावी बीबीसी संवाददाता इमेज स्रोत, HINDUSTAN TIMES आंध्र प्रदेश और दिल्ली उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके जस्टिस एन वी रमन्ना जब भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश बने, तभी से न्यायिक गलियारे में कयास लगाए जा रहे थे कि उनका कार्यकाल पूर्ववर्ती मुख्य न्यायाधीशों से अलग होगा. उन्होंने ऐसे दौर में भारत के मुख्य न्यायाधीश की कमान संभाली जब सर्वोच्च अदालत के फ़ैसलों और न्यायाधीशों की भूमिका को लेकर बहस का दौर चल रहा था. इसी दौर में वह पल भी देखने को मिला था जब सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने एक तरह से बाग़ी तेवर अपनाते हुए परंपरा से हटकर स्वतंत्र रूप से संवाददाता सम्मलेन भी किया था. सुप्रीम कोर्ट की साख़ को लेकर भी सवाल उठने लगे थे ऐसे दौर में जस्टिस रमन्ना ने मुख्य न्यायाधीश की ज़िम्मेदारी संभालते ही बदलाव की पहली उम्मीद तब जगाई जब उन्होंने केरल के त्रिशूर ज़िले की एक 10 वर्षीय छात्रा लिडविना जोसेफ द्वारा उनको लिखे गए पत्र का जवाब ख़ुद दिया. विज्ञापन साथ ही उन्होंने उस पांचवीं कक्षा की छात्रा को संविधान की एक प्रति तोहफ़े के रूप में भी भेजी जिस पर उन्होंने ख़ुद हस्ताक्षर किये